Balance of Payment क्या होता है? भुगतान संतुलन Definition in Hindi

Sansar LochanEconomics Notes, Finance

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यदि आप किसी कंपनी में आनेवाले और उससे जानेवाले नकद को देखना चाहते हैं तो आपको उस कंपनी के अकाउंट बुक को देखना होगा. इसी प्रकार यदि हम चाहते हैं कि देश में आने और देश से बाहर जानेवाले नकद के प्रवाह की जानकारी लें तो इसके लिए हमें देश के भुगतान संतुलन का लेखापत्र (account sheet) देखना होगा. बैलेंस ऑफ़ पेमेंट (Balance of Payment अर्थात् BoP) के दो भाग/अंश होते हैं – चालू खाता और पूँजी खाता. IMF के मतानुसार, भुगतान संतुलन के तीन अंश होते हैं – चालू खाता, पूँजी खाता और वित्तीय खाता. इस टॉपिक के तकनीकी पहलुओं में पड़े बिना, चलिए इसे सरल रूप से समझने की कोशिश करते हैं.

Balance of Payment (भुगतान संतुलन)

करंट अकाउंट

1. आयात और निर्यात का विवरण रहता है (यह हमेशा negative रहता है क्योंकि हमलोग निर्यात से ज्यादा आयात करते हैं; Import>Export= व्यापार घाटा)

2. विदेशों से आनेवाले आय का विवरण रहता है (भारतीय निवेशकर्ता को दिया गया interest की राशि, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश/FDI से प्राप्त ब्याज)

3. हस्तांतरण (उपहार, NRI द्वारा परिवारों को भेजे गए पैसे….ये हमेशा positive/अधिक रहता है क्योंकि विदेशों में भारतीयों की भारी संख्या है)

कैपिटल अकाउंट/फाइनेंसियल अकाउंट

1. भारत में दूसरे देशों के प्रत्यक्ष निवेश से मिली राशि (FDI, FII, ADR, विदेशियों द्वारा भारत में जमीन खरीद लेना, अन्य सम्पत्ति)

2. बाहर से पैसा उधार लेना. बाहरी सहायता इत्यादि.

  • यदि कोई अमेरिकन भारत में इन्वेस्ट करता है (via FDI, FII, ADR etc)  तो इसको हम लोग प्लस (+) में डालेंगे यानी credit में डालेंगे.
  • यदि कोई भारतीय अमेरिका में इन्वेस्ट करता है (via FDI, FII, IDR etc) तो इसको हम लोग माइनस (-) में डालेंगे यानी इसे debit में रखेंगे.
  • बैलेंस ऑफ़ पेयमेंट के माध्यम से हमलोग पूँजी के प्रवाह पर नजर रखते हैं.
  • भारत के लिए, Current Account हमेशा घाटे में रहता आया है (in negative figure) और Capital Account हमेशा suprlus में रहा है (in positive figure)
  • आदर्श रूप से BoP में Current Account और Capital Account दोनों बराबर होना चाहिए.
  • यदि Current Account घाटे में है तो Capital Account उतने ही surplus में रहना चाहिए जिससे दोनों में balance बनी रहे (BoP=0). पर ऐसा क्यूँ?

Balance of Payment = Zero की थ्योरी आखिर क्यूँ?

मानिए इस विश्व में केवल दो देश हैं. एक अमेरिका (डॉलर वाला देश) और दूसरा भारत (रूपया वाला देश). और इनके बीच न ही कोई बिचौलिया है, न ही कोई एजेंट, न ही कोई टैक्सेशन सिस्टम, न ही सचिन तेंदुलकर और न ही तारक मेहता का उल्टा चश्मा….कहने का मतलब है कि अमेरिका और भारत के अलावा विश्व में कुछ नहीं है.

अब भारत अमेरिका से  worth 10 billion डॉलर का एप्पल फ़ोन खरीदता है. चूँकि कोई Forex agent, taxation नहीं है इसलिए भारत अमेरिका को 10×60=600 billion INR भारतीय मुद्रा देता है (if $1=60). इसका मतलब हुआ कि भारत के बहुत सारे रुपये भारत के Current Account से अमेरिका चले गए.

मगर अमेरिका भारत के मुद्रा का क्या करेगी? भारतीय मुद्रा तो उसके कोई use का है ही नहीं. America के पास तीन options हैं —

1. या तो वह उस मुद्रा से भारत से कुछ खरीदे  (जैसे, कच्चा माल, स्टील, प्लास्टिक आदि)

2. या तो भारत से कुछ समझौता कर के भारत में factory setup कर ले, या Mc Donald के कुछ और सेंटर खोल ले.

3. वह भारत के कुछ share/bonds खरीद ले.

इन तीनों परिस्थितियों में भारत का पैसा वापस भारत के पास ही आएगा. इसलिए कम से कम Balance of Payment theory के अनुसार, current capital+capital account=zero (B0P)

पर वस्तुतः, RBI के पास कभी भी सभी वित्तीय लेनदेन और मुद्रा विनिमय दरों (जो प्रायः उतरती, चढ़ती रहती है i.e. $1=60 Rs., $1=66 Rs.) के बारे में complete detail नहीं रहता. इसलिए सांख्यिकीय विसंगतियों, त्रुटियों और चूक की पूरी संभावना बनी रहती है. इसलिए BoP को इस रूप में बताया जाता है – – ->

चालू खाता + पूँजी खाता + शुद्ध त्रुटियाँ या चूक = 0 (Balance of Payment).

Surplus or Deficit?

क्या इसका अर्थ यह लगाया जाए कि एक देश के पास कभी भी Surplus या Deficit BoP स्थाई रूप से नहीं रहेगा?

Balance of Payment/भुगतान संतुलन में surplus या deficit अस्थायी (temporary) है क्योंकि Balance of Payment का calculation त्रैमासिक या वार्षिक आधार पर होता है. बहुत अधिक chance है की USA जिसने भारत को apple phone बेचकर 600 billion INR कमाए थे, वह 2 साल, 3 साल etc. तक…भारत में कोई investment ही न करे.

हो सकता है भविष्य में में भारत सरकार ही कोई USA पर व्यापारिक प्रतिबंध लगा दे जिससे USA भारत में इन्वेस्ट ही न कर सके.

पर long run ऐसी स्थिति आ ही जाएगी जिससे सारा सिस्टम फिर से बैलेंस में आ जायेगा, जैसे अमेरिका कोई दूसरे देश को INR दे दे और बोले कि आप India में इन्वेस्ट करो और बदले में 50% profit का मुझे देना. अंततः भारत का पैसा भारत में ही आएगा…आज न कल.

या अमेरिका को कोई ऐसा NRI investor मिल जाए जो अमेरिका में रहता हो और वह 60 billion INR लेने के लिए तैयार हो और वह बंदा कालांतर में भारत में इन्वेस्ट करे.

कहने का अर्थ यह है कि घूम-फिर कर ऐसी स्थिति आ ही जाती है जिससे देश के बाहर भेजा गया पैसा वापस देश में आ ही जाता है अर्थात् Balance of Payment is always ZERO or balanced.

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