भारत 2018 : PIB Collection Part 4

Sansar LochanPIB Hindi

हमने वर्ष 2018 में PIB और NITI Ayog द्वारा जारी अपडेट को संक्षेप में एक जगह इकठ्ठा करना शुरू कर दिया है. यह भाग तीन (Part 4) है. अन्य भाग्य जल्द ही अपलोड किये जाएँगे. नीचे शेष भागों की लिंक दे दी गई है.

Table of Contents

डिजिटल इंडिया

डिजिटल इंडिया भारत को ज्ञान आधारित रूपांतरण के लिए तैयार करने के लिए एकक्षत्र कार्यक्रम है. यह एक साथ व्यापक विचारों और विचार-प्रक्रिया को एक एकल, व्यापक दृष्टि में जोड़ता है ताकि उनमें से प्रत्येक को एक बड़े लक्ष्य के भाग के रूप में कार्यान्वित किया जा सके. इस कार्यक्रम में कई वर्तमान योजनाएं शामिल हैं. इन योजनाओं को पुनर्गठन और पुनः केंद्रित किया गया है और एक सह-क्रियात्मक तरीके से कार्यान्वित किया जा रहा है. डिजिटल इंडिया की दृष्टि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम तीन मुख्य दृष्टि क्षेत्रों पर केंद्रित हैः

  1. प्रत्येक नागरिक को एक सुविधा के रूप में डिजिटल अवसंरचना
  2. अभिशासन और मांग पर सेवाएँ
  3. नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण

डिजिटल अवसंरचना में प्रत्येक नागरिक को सुविधा के रूप में, शामिल हैं :

  • नागरिकों को सेवाओं की प्रदायगी के लिए मुख्य उपयोगिता के रूप में उच्च गति इंटरनेट की उपलब्धता.
  • जन्म से मृत्यु तक डिजिटल पहचान जो विशिष्ट, आजीवन, ऑनलाइन और हर नागरिक के लिए विश्वसनीय हो.
  • डिजिटल और वित्तीय स्थान में नागरिक भागीदारी को सक्षम करने वाले मोबाइल फोन और बैंक खाते.
  • सामान्य सेवा केंद्र तक आसान पहुंच.
  • सार्वजनिक क्लाउड पर साझा करने योग्य निजी स्पेस और
  • सुरक्षित और सुरक्षित साइबर स्पेस.

अभिशासन और मांग पर सेवाएँ शामिल हैं :-

  • विभागों या अधिकार क्षेत्रों में सहज एकीकृत सेवाएँ
  • ऑनलाइन और मोबाइल प्लेटफार्मों से वास्तविक काल में सेवा की उपलब्धता
  • क्लाउड पर उपलब्ध सभी नागरिक पात्राताएं
  • व्यापार करने में आसानी में सुधार के लिए डिजिटल रूप से परिवर्तित सेवाएँ
  • वित्तीय लेनदेन इलेक्ट्रॉनिक और नकद रहित बनाना और
  • निर्णय समर्थन प्रणाली और विकास के लिए जीआईएस का इस्तेमाल करना.

नागरिकों के डिजिटल सशक्तिकरण में निम्नलिखित शामिल हैं :-

  • सार्वभौमिक डिजिटल साक्षरता
  • सुलभ डिजिटल संसाधन
  • सभी दस्तावेज/प्रमाण पत्रा क्लाउड पर उपलब्ध होना
  • भारतीय भाषाओं में डिजिटल संसाधनों/सेवाओं की उपलब्धता
  • सहभागी अभिशासन के लिए सहयोगपूर्ण डिजिटल प्लेटफॉर्म और
  • क्लाउड के माध्यम से सभी हकदारियों का स्थान्तरण

डिजिटल इंडिया के स्तंभ

इस परिवर्तनकारी कार्यक्रम को अवसंरचना, विनिर्माण, प्रक्रियाएं, कौशल और वितरण प्लेटफॉर्म में समग्र क्षमताओं का निर्माण करने के लिए डिजाइन किया गया है जो बदले में एक आत्मनिर्भर; ज्ञान अर्थव्यवस्था के निर्माण का नेतृत्व करेंगे. इसका ध्यान नागरिकों को प्रत्यक्ष सेवाओं में सुधार, के साथ-साथ व्यापार करने को आसान बनाने के लिए देश को तैयार करना है. तदनुसार, इस कार्यक्रम के अंतर्गत पहल लोगों के डिजिटल सशक्तिकरण और डिजिटल अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए आवश्यक सभी संबद्ध परतों को बनाने और बनाए रखने का लक्ष्य है. इन सभी परतों पर ध्यान केंद्रित और सुनिश्चित करने के लिए संवृद्धि क्षेत्रों के निम्नलिखित नौ स्तम्भ डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत डाले गए हैं:

  1. ब्रॉडबैंड हाइव
  2. सार्वभौमिक मोबाइल संयोजकता तक पहुंच
  3. सार्वजनिक इंटरनेट पहुंच कार्यक्रम
  4. ई-अभिशासन-प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरकार को सुधारना
  5. ई-क्रांति – सेवाओं का इलेक्ट्रॉनिक वितरण
  6. सभी के लिए जानकारी
  7. इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण – लक्ष्य निवल शून्य आयात
  8. नौकरियों के लिए सूचना प्रौद्योगिकी
  9. अर्ली हार्वेस्ट कार्यक्रम

कार्यान्वयन दृष्टिकोण

डिजिटल इंडिया में कई सरकारी मंत्रालय और विभाग शामिल हैं. यह एक साथ व्यापक विचारों और विचार-प्रक्रिया को एक एकल, व्यापक दृष्टि में जोड़ता है ताकि उनमें से प्रत्येक को एक बड़ा लक्ष्य के भाग के रूप में कार्यान्वित किया जा सके. प्रत्येक व्यक्तिगत तत्व अपने दम पर खड़ा है, लेकिन यह संपूर्ण सरकार का भी हिस्सा है. डिजिटल भारत संपूर्ण सरकार द्वारा कार्यान्वित किया जाता है और एमईआईटीवाई द्वारा समन्वयित किया जाता है. इस कार्यक्रम के अंतर्गत, सेवाओं के वितरण के लिए प्रमुख आईसीटी अवसंरचना की स्थापना और विस्तार सहित सभी पहलों का एक निश्चित समय के भीतर पूरा होने का लक्ष्य है और तदनुसार नजर रखी जा रही हैं. अधिकांश पहल योजनाएं अगले तीन वर्षों में पूरा करने की योजना है.

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य कई वर्तमान योजनाओं को एक साथ संयमित करता है. डिजिटल इंडिया के रूप में कार्यक्रमों का उभयनिष्ठ ब्रांडिंग उनके रूपांतरकारी प्रभाव को प्रमुखताएँ प्रदान करता है. इस कार्यक्रम को कार्यान्वित करते समय, भारत सरकार, डिजिटल भारत के वांछित परिणाम को प्राप्त करने के लिए अभिनव समाधानों पर आने के लिए विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए नागरिक, उद्योग और अकादमी के साथ व्यापक परामर्श कर रही है. एमईआईटीवाई ने सहयोगी और सहभागिता अभिशासन को सुगम बनाने के लिए “मेरी सरकार”( नामक एक डिजिटल प्लेटफार्म पहले ही लागू किया है.

ई-प्रमाण

e-pramaanइसका उद्देश्य सरकारी सेवाओं को अपने लक्षित प्राप्तकर्ताओं को एक सुरक्षित तरीके से प्रदान करना साथ ही नागरिकों को ऑनलाइन वातावरण में विश्वास पैदा करना है, जहां हमेशा अभिज्ञान चोरी और अन्य जुड़े जोखिमों की प्रवल संभावना होती है.  इसका एक अन्य उद्देश्य सरकारी विभागों के लिए आधार आधारित प्रमाणीकरण के साथ ई-प्रमाण नामक राष्ट्रीय ई-प्रमाणीकरण सेवा की स्थापना करना है. ई-प्रमाण के लिए कार्यान्वयन एजेंसी सी-डैक, मुंबई है. समग्र उद्देश्य एक विश्वसनीय इलेक्ट्रॉनिक वातावरण प्रदान करना है जहां व्यक्तिगत उपयोगकर्ता सरकार के साथ आसानी से और सुरक्षित रूप से व्यवहार कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त, इंटरनेट और मोबाइल प्लेटफार्म पर विभिन्न सार्वजनिक सेवाओं के वितरण के लिए ई-प्रामाण सभी नागरिकों की एक समान बहु-कारक प्रमाणीकरण प्रदान करता है.

ऑनलाइन ई-साइन (ई-हस्ताक्षर)

आधार ई-केवाईसी सेवा के माध्यम से, आधार धारक के प्रमाणीकरण का उपयोग करके, ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर सेवा की सुविधा को उपलब्ध कराना है. यह सुविधा ऑनलाइन डिजिटल हस्ताक्षर सेवा है. ई-साइन औपचारिक रूप से 1 जुलाई 2015 को माननीय प्रधान मंत्री द्वारा शुभारंभ की गई.

राज्य डेटा केंद्र (एसडीसी)

राज्य डाटा केंद्र (एसडीसी) एनईजीपी के अंतर्गत तीन प्रमुख अवसंरचना घटकों में से एक है. एसडीसी योजना के अंतर्गत, समेकित सेवाएँ अनुप्रयोगों और अवसंरचना को मजबूत करने के लिए सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में, कुशल इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी, सरकार से सरकार (जी2जी), सरकार से नागरिक (जी2सी) और सरकार से व्यवसाय (जी2बी) सेवाएँ प्रदान करने के लिए डाटा सेंटर स्थापित करने का प्रस्ताव है. इन सेवाओं को, राज्यों द्वारा, आम सेवा प्रदायगी प्लेटफार्मों, जैसे स्वान और सीएससी,के माध्यम से मूल रूप से प्रदान किया जा सकता है, जो गांव के स्तर पर अग्रभाग वितरण विसर्जन केंद्र के रूप में कोर संयोजकता अवसंरचना द्वारा समर्थित है. एसडीसी के माध्यम से प्रदान की जाने वाली कुछ प्रमुख कार्यात्मकताएं, राज्य के लिए केंद्रीय भंडार, सुरक्षित डेटा संग्रहण, सेवाओं का ऑनलाइन वितरण, नागरिक सूचना/सेवाएँ पोर्टल,राज्य इंट्रानेट पोर्टल, आपदा पुनः प्राप्ति, दूरस्थ प्रबंधन और सेवा एकीकरण, आदि, हैं. एसडीसी, राज्यों के लिए, डेटा प्रबंधन की न्यूनतम लागत के साथ, बेहतर संचालन और प्रबंधन नियंत्राण, आईटी संसाधन प्रबंधन, तैनाती और अन्य लागत, भी प्रदान करता है. 28 फरवरी 2018 तक 28 एसडीसी परिचालनरत घोषित किए गए है (तमिलनाडु, पुडुचेरी, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, मेघालय, गोवा कर्नाटक, मणिपुर, उड़ीसा, सिक्किम, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, त्रिपुरा, राजस्थान, नागालैंड, उत्तर प्रदेश, अंडमान एवं निकोबार, मध्य प्रदेश, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर, मिजोरम बिहार, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पंजाब).

मेघराज

डिजिटल इंडिया दृष्टि को समझने के लिए और क्लाउड कंप्यूटिंग के लाभों का उपयोग और सुसज्जित करने के लिए, भारत सरकार ने एक महत्वाकांक्षी पहल की शुरुआत की है – “जीआई क्लाउड”, जिसका नाम ‘मेघराज‘ रखा गया है. मेघराज की पहल केंद्र और राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के सभी विभागों/ मंत्रालयों को, क्लाउड पर आईसीटी सेवाओं को वितरित करने का है. इस पहल का मकसद देश में ई-सेवाओं के वितरण में तेजी लाना है हालाँकि सरकार के आईसीटी खर्च का अनुकूलन करते हुए, इस पहल का दृष्टिकोण, देश में ‘‘ई-सेवा’’ की वितरण में तेजी लाने के लिए है. मेघराज नीति के अनुसार, “सरकार द्वारा वित्त पोषित सभी नई परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए, केंद्र और राज्यों के सरकारी विभाग, पहले जीआई क्लाउड का उपयोग करने के विकल्प, का मूल्यांकन करें.”

राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन)

मार्च 2010 में, अवसंरचना कैबिनेट समिति (सीसीआई) ने राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन) की स्थापना को मंजूरी दी थी, जिसे, एनआईसी द्वारा 10 वर्षों की अवधि में कार्यान्वित किया जाना है. एनकेएन का उद्देश्य संसाधनों और सहयोगात्मक अनुसंधानों को साझा करने के लिए देश भर में सभी ज्ञान संस्थानों को उच्च गति डाटा संचार नेटवर्क के माध्यम से जोड़ना है. सभी विश्वविद्यालयों, उच्च शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों के शामिल लगभग 1500 संस्थानों को आवरण करने की परिकल्पना की गई थी.

भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस)

भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) आधारित निर्णय लेने की प्रणाली को राष्ट्रीय भू-सूचना विज्ञान केंद्र (एनसीओजी), एमईआईटीवाई, द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है. एनसीओजी द्वारा स्थापित जीआईएस प्लेटफार्म एक जीआईएस आधारित निर्णय समर्थन (डीएसएस) प्रणाली है, जो साझा करने, सहयोग करने, स्थान आधारित विश्लेषिकी का काम करने के लिए है जो सरकारी विभागों/एजेंसियों की आवश्यकताओं को पूरा करता है. यह प्रणाली भौगोलिक विज्ञान प्रणालियों, सूचना विज्ञान प्रणालियों को एकीकृत करके अभिशासन में स्वीकार्यता, अपनाने योग्यता और सामर्थ्य को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन की गई है.

भारत में एडुरोम सेवाओं की स्थापना

यह एक सुरक्षित, विश्वव्यापी रोमिंग एक्सेस सेवा है, जो अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान और शिक्षा समुदाय के लिए विकसित की गई है. यह छात्रों, शोधकर्ताओं और कर्मचारियों को परिसर में इंटरनेट संयोजकता प्राप्त करने के लिए भाग लेने वाले संस्थानों की अनुमति लेता है और एडुरोम सक्षम संस्थानों पर जाकर, केवल, अपने मोबाइल उपकरणों का संचालन और स्थानीय वाई-फाई नेटवर्क पर काम करके. यह परियोजना एमईआईटीवाई द्वारा वित्त पोषित है और ईआरनेट इंडिया द्वारा कार्यान्वित की जा रही है.

राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल

राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पीएमओ की ऐसी पहल है जिसमे, ऑनलाइन, छात्रवृत्ति आवेदन प्रस्तुत करने, सत्यापन और छात्रवृत्ति राशि का अंतिम वितरण, छात्रा के बैंक खाते में सीधे एक एकल एकीकृत पोर्टल के लिए परिकल्पित है. यह प्रणाली दोहराव से बचकर पारदर्शिता लाती है और समय पर वितरण सुनिश्चित करती है. देश भर में सरकार, राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा शुभारंभ की गई विभिन्न छात्रावृत्ति योजनाओं को लागू करने के लिए सामान्य इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल प्रदान करके किसी भी रिसाव के बिना सीधे छात्रावृत्ति के आवेदनों के त्वरित और प्रभावी निपटान के लिए, ‘सरलीकृत, मिशन-उन्मुख, जवाबदेह, उत्तरदायी और पारदर्शी प्रणाली, (स्मार्ट)’, प्रदान करना है.

डिजिटल लॉकर

डिजिटल लॉकर डिजिटल इंडिया के अंतर्गत एक प्रमुख पहल है, भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम जिसका लक्ष्य भारत को एक डिजिटली रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करना है. कागजी रहित अभिशासन के विचार पर लक्षित, डिजिटल लॉकर एक डिजिटल रूप में दस्तावेजों और प्रमाण पत्रों को जारी करने और सत्यापन के लिए एक मंच है, इस प्रकार भौतिक दस्तावेजों के उपयोग को नष्ट कर दिया जाता है. डिजी लॉकर खाते के लिए साइन अप करने वाले भारतीय निवासियों को एक समर्पित क्लाउड स्टोरेज स्पेस मिलता है.

नागरिक संपर्क केंद्र

नागरिक संपर्क केंद्र (सीसीसी) एक जी2सी पायलट परियोजना है जो पूरे देश में एकल अद्वितीय नंबर 166 पर गैर-आपातकालीन (सूचनात्मक और लेनदेन) क्लाउड आधारित कॉल सेंटर सेवाओं को प्रदान करने के लिए एमईआईटीवाई द्वारा लागू किया जा रहा है. परियोजना का उद्देश्य सरकार-नागरिक संबंधों को सरल बनाने का है, जहां नागरिकों द्वारा सरकारी सेवाओं तक पहुंचने के लिए कठिनाइयों का सामना किया जाता है.

ओपन सरकारी डाटा (ओजीडी) प्लेटफार्म

 मुक्त सरकारी डाटा (ओजीडी) प्लेटफार्म को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा भारत की मुक्त डेटा नीति (एनडीएसएपी) के अनुपालन में स्थापित किया गया है. नीति का उद्देश्य सरकार के स्वामित्व वाले साझा करने योग्य डेटा खुली/मशीन पठनीय प्रारूप में, इसके उपयोग की जानकारी के साथ, समय-समय पर अद्यतन तरीके से, पूरे देश में नेटवर्क के विस्तृत क्षेत्रा के माध्यम से, विभिन्न संबंधित नीतियों, नियमों और सरकार के कृत्यों के ढांचे के भीतर, तक अग्रसक्रिय पहुंच प्रदान करना है. मुक्त सोत्रा स्टैक का उपयोग करके विकसित, यह परियोजना डिजिटल इंडिया पहल के स्तंभ 6, (सभी के लिए सूचना) के अंतर्गत पहल में से एक है.

इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन एकत्रीकरण और विश्लेषण परत (ई-ताल)

ई-क्रांति के अंतर्गत विभिन्न मिशन मोड परियोजनाओं (एमएमपी) सहित ई-अभिशासन पहल की एक बड़ी संख्या, नागरिकों के लिए कुशल, सस्ती, पारदर्शी और सुविधाजनक सेवा प्रदायगी सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों संगठनों द्वारा कार्यान्वित की जा रही है. इन पहलों में से कई राष्ट्रीय महत्त्व की हैं और देश की सूचना प्रौद्योगिकी रणनीति में शामिल हैं. कुछ अनुप्रयोग सेवा स्तर और प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों (केपीआई) के माध्यम से परिभाषित आंतरिक प्रदर्शन माप तंत्रा का उपयोग करते हैं, लेकिन सभी पहलों के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए कोई मानक सरकार-व्यापी मानदंड या मीट्रिक नहीं है. भारत में इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के माध्यम से वितरित सेवाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि को देखते हुए, इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) और राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी), नोडल आईसीटी संगठन, ई-अभिशासन के वास्तविक समय प्रदर्शन को मापने के लिए सबसे अच्छा संकेतक के रूप में शुरू से अंत तक इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन की संख्या की पहचान की.

प्रगति (अग्र-सक्रिय अभिशासन और समय पर कार्यान्वयन)

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के एक भाग के रूप में, ई-अभिशासन सुधारे सरकार, प्रौद्योगिकी के माध्यम से, भारत के माननीय प्रधानमंत्री ने 25 मार्च, 2015 को अपने महत्वाकांक्षी बहुउद्देश्यीय और बहुआयामी प्लेटफार्म प्रग्रति का शुभारंभ किया. प्रगति योजनाओं/ परियोजनाओं की प्रगति की प्रत्यक्ष निगरानी के लिए भारत के प्रधानमंत्री ने महीने के हर चौथे बुधवार को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग सुविधा का उपयोग करना शुरू कर दिया. यह सुविधा एक मंच पर, भारत सरकार के सचिवों और राज्यों के मुख्य सचिवों को लेकर आती है, जिसके माध्यम से प्रधानमंत्री संबंधित केंद्रीय और राज्य अधिकारियों से पूरी जानकारी और जमीनी स्तर की स्थिति के नवीनतम दृश्यों के साथ मुद्दों पर सीधे चर्चा कर सकते हैं. यह केन्द्रीय स्तर की योजनाओं/परियोजनाओं, राज्य स्तरीय परियोजनाओं के त्वरित कार्यान्वयन और राज्य और केंद्रीय स्तर के विभागों के बीच शिकायतों के समाधान का आयोजन करता है.

डिजिटाइज इंडिया प्लेटफार्म (डीआईपी)

डिजिटाइज इंडिया प्लेटफार्म (डीआईपी) डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के अंतर्गत किसी भी संगठन के स्कैन किए गए दस्तावेज छवियों या भौतिक दस्तावेज के लिए अंकरूपण सेवाएँ प्रदान करने के लिए भारत सरकार की एक पहल है. इसका उद्देश्य अंकरूपण और सभी मौजूदा सामग्री को विभिन्न प्रारूपों और मीडिया, भाषाओं, डिजिटाइज और दस्तावेज प्रबंधन, आईटी अनुप्रयोगों और रिकॉर्ड प्रबंधन के लिए डेटा अर्क बनाने में प्रयोग करने योग्य है. यह मंच अगस्त, 2015 में डिजिटल इंडिया के अंतर्गत शुभारंभ किया गया.

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी)

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) कार्यक्रम में लाभार्थियों के आधार वरीयता बैंक खातों में सीधे लाभ हस्तांतरण के लिए लाभार्थियों के बैंक खातों में वर्तमान इलेक्ट्रॉनिक स्थानांतरण से बदलाव की परिकल्पना की गई है. इस योजना की अगुवाई डीबीटी मिशन कर रहा है. डीबीटी मिशन के अंतर्गत यह निर्देश दिया गया है कि प्रत्येक मंत्रालय में डीबीटी सेल का गठन किया जाना चाहिए. इसी तरह, संयुक्त सचिव (ई-अभिशासन) की अध्यक्षता में एमईआईटीवाई में एक डीबीटी सेल का गठन किया गया है.

अब तक आईटीआई द्वारा डीबीटी के लिए आरम्भ चार योजनाओं/ सेवाओं की पहचान की गई है, अर्थात् राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान – ओ.ए.बी. और सी छात्रावृत्ति योजना, इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी के लिए विश्वेश्वरय्या पीएचडी योजना, अनुसूचित जाति उप योजना तथा जनजातीय उप योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण शुल्क की प्रतिपूर्ति और, जीवन प्रमाण.

इंडिया पोर्टल

भारत पोर्टल, एनईजीपी के अंतर्गत एकीकृत सेवाओं की श्रेणी में मिशन मोड प्रोजेक्ट को एकीकृत पोर्टल माना गया है जो सभी सरकारी विभागों, संस्थानों और संगठनों से इलेक्ट्रानिकी रूप से वितरित होने वाली सूचना और सेवाओं के लिए एकल खिड़की पहुंच प्रदान करेगा. यह सबसे लोकप्रिय स्रोत है, जो कि हितधारकों की एक विस्तृत श्रृंखला को, नागरिकों से लेकर, सरकार, व्यापार, भारतीय प्रवासिओं को सूचना प्रदान करता है. यह केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर भारत सरकार की वेबसाइट है, जिसमें फॉर्म, दस्तावेज, सेवाएँ, अधिनियम, नियम, योजनाएं और वेब लिंक का एक समृद्ध भंडार है. भारत पोर्टल का दूसरा चरण जून 2013 में शुरू किया गया है.

हॉर्टनेट

हॉर्टनेट परियोजना के अंतर्गत मुख्य उपलब्धियां हासिल की गई है, जैसे ऑनलाइन आवेदन दाखिल, प्रमाणीकरण, और प्रसंस्करण, डिजिटल हस्ताक्षर के साथ लाभार्थी के बैंक खाते में ऑनलाइन भुगतान और/या पूर्ण सुरक्षित तरीके से जैव-मीट्रिक प्रमाणीकरण. कुल 88,920 आवेदकों/लाभार्थियों ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में हॉर्टनेट पोर्टल का उपयोग करके एमआईडीएच के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं को डिजिटल रूप से दायर किया है जिसमें से 72,337 लाभार्थियों को हॉर्टनेट भुगतान गेटवे का उपयोग करते हुए ऑनलाइन सब्सिडी प्राप्त हुई है, जिसमें लाभार्थियों के बैंक खातों को वितरित 154.1 करोड़ का कुल वितरण किया गया है. मोबाइल ऐप और भुगतान गेटवे भी कार्यान्वित किए जाते हैं. पोर्टल में डीबीटी विवरण प्राप्त किए जा रहे है.

मृदा स्वास्थ्य कार्ड

मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल देश भर में एकसमान और मानकीकृत प्रारूप में किसानों के लाभ के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने की सुविधा प्रदान करता है. यह 22 भाषाओं का समर्थन करता है. इसका उपयोग  किसानों को चेतावनी, स्वचालित उर्वरक सिफारिश गणना और सूक्ष्मपोषक सुझाव, फल और वनस्पति फसल के लिए उर्वरक अनुशंसाएं फसल चरण/आयु पर आधारित देने में किया जाता है.

दर्पण (राष्ट्र भर में परियोजनाओं की विश्लेषणात्मक समीक्षा के लिए डैशबोर्ड

विभिन्न स्तरों पर सरकार नागरिकों के लाभ के लिए जिला और निचले स्तरों पर बहुत से कल्याणकारी कार्यक्रमों और योजनाओं का कार्यान्वयन करती है. एनआईसी ने बहुत व्यापक, सामान्य और विन्यास डैशबोर्ड तैयार किया जो कि जिले और राज्यों में मुख्यमंत्रियों, मुख्य सचिवों, विभागीय आयुक्तों और जिला मजिस्ट्रेट/जिला आयुक्त के लिए समेकित डैशबोर्ड उत्पाद है. दर्पण एक ऑनलाइन उपकरण है जिसका उपयोग राज्य के महत्वपूर्ण और उच्च प्राथमिकता परियोजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी और विश्लेषण करने के लिए किया जा सकता है. यह राज्य सरकार के साथ-साथ जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को चयनित योजनाओं/परियोजनाओं के प्रमुख निष्पादन संकेतकों (केपीआई) पर वास्तविक समय डेटा प्रस्तुत करने की सुविधा देता है, जो कि योजना, मूल्यांकन और निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. डैशबोर्ड एक उद्देश्य और मात्रात्मक तरीके से जानकारी प्रदर्शित करता है, जिससे केंद्र, राज्य या जिला विशिष्ट परियोजनाओं के लिए एकल खिड़की के उपयोग में पूरे मुद्दे का व्यापक विचार प्राप्त करने में मदद मिलती है.

Read them too :
[related_posts_by_tax]