भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा – IRMS
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राकेश मोहन पैनल (2001) और विवेक देबरॉय पैनल (2015) जैसी अनेक समितियों के सुझाव के अनुरूप केंद्र की आठ सेवाओं को मिलाकर भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (Indian Railway Management Service – IRMS) नामक अलग से एक ही सेवा के सृजन तथा रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन का अनुमोदन दे दिया है. विदित हो कि वर्तमान में रेलवे के काम में अलग-अलग सेवाओं से अधिकारी तैनात होते हैं जो अपना शत प्रतिशत रेलवे को नहीं दे पाते हैं.
रेलवे बोर्ड में बदलाव
- रेलवे बोर्ड में अध्यक्ष के अतिरिक्त चार सदस्य होंगे जो अवसंरचना, संचालन एवं व्यवसाय विकास, रोलिंग स्टॉक तथा वित्त के लिए उत्तरदायी होंगे.
- कैडर के नियंत्रण का काम बोर्ड का चेयरमैन देखेगा. वह DH (HR) के सहयोग से मानव संसाधन के लिए उत्तरदायी होगा.
- बोर्ड में कुछ स्वतंत्र गैर-कार्यकारी सदस्य भी होंगे जो विषय का गहन ज्ञान रखने वाले सुप्रतिष्ठ पेशेवर होंगे जिनको उद्योग, वित्त, अर्थशास्त्र और प्रबंधन के क्षेत्रों में शीर्षस्थ स्तर पर काम करने का 30 वर्षों का अनुभव होगा. ये सभी सदस्य रेलवे बोर्ड को रणनीतिक दिशा-निर्देश निर्धारित करने में सहायक होंगे.
निहितार्थ
नई सेवा बन जाने के पश्चात् जो प्रत्याशी रेलवे में आना चाहते हैं उनको केंद्रीय लोक सेवा आयोग के प्रत्याशियों की भाँति एक प्रारम्भिक परीक्षा से गुजरना होगा. इसके पश्चात् वे IRMS के लिए अपनी प्राथमिकता पाँच विशेषज्ञताओं के लिए देंगे. इन विशेषज्ञताओं में चार इंजीनियरिंग से सम्बद्ध होंगी, जैसे – सिविल, मैकेनिकल, टेलिकॉम और इलेक्ट्रिकल. ये सभी विशेषज्ञताएँ तकनीकी विशेषज्ञता कहलाएँगी. इनके अतिरिक्त लेखा, कार्मिक और ट्रैफिक के लिए एक अलग गैर-तकनीकी विशेषज्ञता होगी जिसके लिए अधिकारियों की नियुक्ति होगी.
आगे की राह
इस नए पुनर्गठित सेवा में भारतीय रेल के किसी अधिकारी को नुकसान नहीं होगा. महाप्रबंधक स्तर के अधिकारियों को सर्वोच्च स्तर का विकल्प देना वास्तव में उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है. इससे राज्य प्राधिकरणों के साथ समन्वय बेहतर होगा और तीव्रता से निर्णय लिए जा सकेंगे. इससे रेलवे बोर्ड नीति निर्माण, रणनीतिक योजना निर्माण और जोनल रेलवे के साथ समन्वय पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा.