कुछ योजनाओं का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया जा रहा है, जो 2018 में launch हुए थे. वैसे तो हम 2018 में launch हुए सारे योजनाओं की लिस्ट इस पेज पर संकलित कर रहे हैं >>Govt schemes in Hindi
Important Info
हम लोगों ने पूरे साल के लिए (2018) सरकारी योजनाओं को 4 पार्ट में विभाजित किया है. इन चार भागों में पूरे साल के योजनाओं का आपको केवल संक्षिप्त विवरण प्राप्त होगा. दरअसल, इन चार पार्ट में जिन योजनाओं का जिक्र है, उन योजनाओं के बारे में आपको ज्यादा कुछ जानने की जरुरत नहीं है. ये योजनाएँ UPSC या State PCS के Pre exam तक के लिए ही पर्याप्त हैं. बाकी सरकारी योजनाएँ, जिन्हें हम महत्त्वपूर्ण समझते हैं, उसको ऊपर वाले पेज पर detailed way में जोड़ रहे हैं. आप चाहें तो Google में सर्च कर सकते हैं, यह लिखकर > Govt Schemes in Hindi Sansar LochanA Brief Info of some schemes launched in 2018 (Part 1/4)
E-Foreigners Regional Registration Office Scheme – E-FRRO
- 13 अप्रैल, 2018 को गृह मंत्रालय द्वारा E-FRRO योजना आरम्भ की गई है.
- यह इंडियन ब्यूरो ऑफ़ इमिग्रेशन द्वारा जारी एक वेब आधारित एप्लीकेशन है.
- इसका उद्देश्य भारत की यात्रा करने वाले विदेशियों को त्वरित और कुशल सेवाएँ प्रदान करना है.
- e-FRRO योजना के द्वारा एक पारदर्शी ऑनलाइन प्लेटफार्म बनाया जायेगा जिससे उपयोगकर्ता कैशलेस और पेपरलेस सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे.
- इस नई प्रणाली के माध्यम से E-FRRO सेवा का उपयोग कर विदेशी भारत में वीजा एवं अप्रवास से सम्बंधित 27 सेवाएँ प्राप्त कर सकेंगे.
- e-FRRO आवेदन का उपयोग करके विदेशी सैलानी इस पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं और FRO / FRRRO कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए बिना ईमेल / पोस्ट के माध्यम से सेवा प्राप्त कर सकते हैं.
City Compost Scheme
- हाल ही में सरकार के द्वारा 2019-20 तक सिटी कम्पोस्ट योजना को जारी रखने की स्वीकृति दी गई है.
- बाजार विकास सहायता (Market Development Assistance) : इस योजना के अंतर्गत उत्पादों के उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए 1500 रु. प्रति टन के हिसाब से सिटी कम्पोस्ट हेतु बाजार विकास सहायता प्रदान की जा रही है.
- विपणन :- उर्वरक कंपनियाँ एवं विपणन संस्थाएँ अपने डीलरों के नेटवर्क के माध्यम से रासायनिक उर्वरकों के साथ सिटी कम्पोस्ट को भी सह-विपणन करेगी.
- गोद लेने के प्रावधान के अंतर्गत, कंपनियाँ कम्पोस्ट के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए गावों को भी गोद लेंगी.
- उपयुक्त BIS मानक/इको-मार्क के माध्यम से किसानों तक पर्यावरण अनुकूल गुणवत्तापरक उत्पादों की पहुँच को सुनिश्चित किया जा रहा है.
उत्तर-पूर्व औद्योगिक विकास योजना (NEIDS)
- सिक्किम सहित उत्तर-पूर्व राज्यों में रोजगार प्रोत्साहन देने के लिए इस योजना के माध्यम से सरकार मुख्य रूप से MSME क्षेत्रक को प्रोत्साहित कर रही है.
- इस योजना के अंतर्गत विभिन्न विशिष्ट प्रोत्साहनों में सम्मिलित हैं : संयंत्र और मशीनरी में पूंजीगत निवेश पर प्रोत्साहन, ऋण पर ब्याज प्रोत्साहन, 5 वर्ष के लिए 100% की बीमा प्रीमियम की भरपाई, GST और आयकर में केंद्र के हिस्से की प्रतिपूर्ति, EPF में अंशदान के माध्यम से परिवहन प्रोत्साहन और रोजगार प्रोत्साहन.
- प्रोत्साहन के सभी घटकों के अंतर्गत समग्र सीमा प्रति इकाई 200 करोड़ रु. होगी.
UNNATI Project
जहाजरानी मंत्रालय के द्वारा इस परियोजना को निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ आरम्भ किया गया –
- सुधार क्षेत्रों की पहचान करने के लिए चयनित भारतीय निजी पत्तनों और सर्वोत्तम श्रेणी के अंतर्राष्ट्रीय पत्तनों के साथ 12 प्रमुख पत्तनों के लिए ऑपरेशनल एवं वित्तीय प्रदर्शन हेतु बेंचमार्क.
- प्रमुख प्रक्रियाओं एवं कार्यात्मक क्षमताओं के लिए क्षमता परिपक्वता मूल्यांकन (capacity maturity assessment) करना तथा भविष्य में पुनः मजबूती हेतु विद्यमान कमी या अंतराल एवं क्षेत्रों की पहचान करना.
- प्रदर्शन गतिरोध हेतु अन्तर्निहित कारणों की समझ के लिए सभी 12 प्रमुख पत्तनों में चिन्हित अवसर क्षेत्रों के लिए व्यापक गहन समाधान (deep-dive diagnosis) और मूल कारण का विश्लेषण (root cause analysis) करना.
- मूल कारण निष्कर्षों (root cause findings) के आधार पर व्यावहारिक एवं कार्यवाही योग्य समाधान विकसित करना और 12 प्रमुख पत्तनों में से प्रत्येक के लिए व्यापक सुधार रोडमैप विकसित करना.
प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना
- इस योजना के अंतर्गत सरकार नया सार्वभौमिक खाता संख्या (Universal Account Number : UAN) धारक नए कर्मचारी, जो अधिकतम 15 हजार रुपये प्रति माह कमाते हैं, और जो 1 अप्रैल 2016 या उसके बाद नियुक्त हुए हैं, के सम्बन्ध में कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में नियोक्ताओं के अंशदान का 8.33% (कपड़ा-चमड़ा और जूता उद्योग के संदर्भ में 12%) प्रदान करती थी.
- भारत सरकार अब सभी क्षेत्रकों के नए कर्मचारियों हेतु, उनके पंजीकरण की तिथि से प्रथम तीन वर्षों के लिए नियोक्ता के पूर्ण स्वीकार्य अंशदान (12%) का भार वहन करेगी. इसके साथ ही सभी क्षेत्रकों के मौजूदा लाभार्थियों के मामले में भी शेष तीन वर्षों की अवधि के लिए भारत सरकार पूर्ण अंशदान (12%) प्रदान करेगी.
- यह दोहरे लाभ वाली योजना है, क्योंकि नियोक्ता को प्रतिष्ठान में श्रमिकों के रोजगार आधार को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है एवं बड़ी संख्या में श्रमिकों को रोजगार और सामाजिक सुरक्षा तक पहुँच प्राप्त होती है.
- कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में पंजीकृत सभी प्रतिष्ठान इस योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं. प्रतिष्ठानों के पास वैध LIN (श्रमिक पहचान संख्या) होनी चाहिए.
प्रोजेक्ट जल संचय
- यह किसानों के जल संकट के समाधान हेतु दक्षिण-मध्य बिहार के नालंदा जिले में अपनाया गया एक जल संरक्षण मॉडल है.
- इसके अंतर्गत, रोधक बाँधों (चेक डैम) का निर्माण किया गया था तथा पारम्परिक आहर-पईन सिंचाई प्रणाली एवं पारम्परिक जल निकायों को गाद-मुक्त (desilted) और पुनर्निमित किया गया. वर्ष जल संचयन के बारे में जागरूकता सृजन हेतु जागरूकता अभियान चलाया गया था.
- इसके परिणामस्वरूप परियोजना के अंतर्गत शामिल क्षेत्रों में जल की उपलब्धता में सुधार हुआ है और कृषि उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
स्वजल योजना
- हाल ही में, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने ग्राम भीकमपुरा, जिला करौली, राजस्थान में स्वजल पायलट परियोजना का शुभारम्भ किया गया था.
- यह एक समुदाय के स्वामित्व वाला पेयकल कार्यक्रम है जो न केवल वर्ष-भर अनवरत स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा बल्कि रोजगार भी सृजित करेगा.
- यह स्वजल परियोजना के अंतर्गत दूसरी परियोजना है. इससे पहले यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में लागू की जा चुकी है.
- परियोजना लागत का 90% सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा, जबकि परियोजना लागत के शेष 10% का योगदान समुदाय द्वारा किया जाएगा.
- इस परियोजना का नाम पुरानी स्वजल परियोजना से लिया गया है, जो 1996 में उत्तर प्रदेश में ग्रामीण जल और पर्यावरण स्वच्छता को समर्पित एक विश्व बैंक की परियोजना थी.
स्त्री स्वाभिमान परियोजना
- 2018 के प्रारम्भिक महीने में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा “स्त्री स्वाभिमान परियोजना” की घोषणा की गई थी.
- इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में किशोरियों एवं महिलाओं को किफायती दर में सेनेटरी उत्पादों तक पहुँच प्रदान करने के लिए एक सस्टेनेबल मॉडल तैयार करना है.
- स्वास्थ्य मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, भारत की 355 मिलियन महिलाओं में सिर्फ 12% महिलाएँ सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग करती हैं, जबकि शेष महिलाएँ अस्वास्थ्यकर विकल्पों का सहारा लेती हैं. इस कारण लगभग 70% महिलाएँ प्रजनन नाली सम्बन्ध संक्रमण (reproductive tract infection) जैसी बीमारियो से पीड़ित होती हैं.