पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया में दावानल का एक ऐसा प्रकोप देखने को मिला जिससे देश के एक बहुत बड़े भाग में विनाश का तांडव देखा गया. वहाँ इस समय सूखा चल रहा है और गर्मी पड़ रही है. कुछ लोग इस प्राकृतिक आपदा को जलवायु परिवर्तन से जोड़ रहे हैं.
ऑस्ट्रेलिया में दुष्प्रभावित क्षेत्र
वैसे तो ऑस्ट्रेलिया के प्रत्येक राज्य में दावानल फैला हुआ है, परन्तु इसका सबसे अधिक प्रकोप न्यू साउथ वेल्स प्रांत में देखा जा रहा है.
जंगल की आग झाड़ियों से आगे बढ़कर जंगली क्षेत्रों और ब्लू माउंटेन्स जैसे राष्ट्रीय उद्यानों तक फ़ैल गई है. यहाँ तक कि मेलबर्न और सिडनी जैसे शहर भी इससे अछूते नहीं रहे और वहाँ के बाहरी उपनगरीय क्षेत्रों में स्थित घरों को क्षति पहुँची है और शहर के मुख्य केंद्र के ऊपर धुएँ की मोटी चादर दिखाई दे रही है.
दावानल (Bushfires) का कारण
गर्मी के महीनों में ऑस्ट्रेलिया में प्रत्येक वर्ष वनों में आग लग जाना सामान्य बात है. यदि मौसम गर्म और सूखा रहता है तो इसकी लपटें सरलता से फैलने लगती हैं. कई बार दावानल वैसे जंगलों पर बिजली गिरने से भी होता है जहाँ सूखे का प्रकोप होता है. विक्टोरिया प्रांत के ईस्ट जिप्सलैंड लैंड क्षेत्र में कई जगह आग लगने का कारण आकाशीय बिजली ही थी.
दावानल के लिए मनुष्य भी उत्तरदायी हो सकते हैं. न्यू साउथ वेल्स की पुलिस का आरोप है कि कम से कम 24 लोग ऐसे हैं जिन्होंने जान-बूझकर जंगलों में आग लगाई.
दावानल को बुझाने में हो रही कठिनाइयाँ
इस बार ऑस्ट्रेलिया में कई दशकों का सबसे बुरा सूखा पड़ा है. पिछला वसंत अभी तक का सबसे सूखा वसंत रहा. साथ ही दिसम्बर की लू ने अधिकतम तापमान की राष्ट्रीय औसत का कीर्तिमान तोड़ दिया. कुछ जगहों पर तो पारा 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया. इन सब कारणों से आग बुझाने में कठिनाई हो रही है.
हवाएँ भी तेज चल रही हैं जिस कारण दावानल और उसका धुआँ तेजी से फ़ैल रहा है.
विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अगलगी और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. अब तो कई वर्षों से आग लगना समय से पहले ही शुरू हो जाता है और यह पहले से अधिक तीव्रता से फैलता भी है.
अभी तक हुई क्षति
- सारे शहर लपटों की लपेट में आ गये हैं और कई राज्यों के निवासी अपने घर खो चुके हैं. सबसे भारी ढाँचागत क्षति न्यू साउथ वेल्स में हुई है जो देश का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है. यहाँ 1,588 घर नष्ट हो गये हैं और 650 से अधिक घरों को क्षति पहुँची है.
- ऑस्ट्रेलिया के छह राज्यों में कुल मिलाकर 7 . 3 मिलियन हेक्टेयर भूमि जल चुकी है. यह क्षेत्रफल बेल्जियम और डेनमार्क के योग से भी बड़ा है.
- न्यू साउथ वेल्स में 4 . 9 मिलियन हेक्टेयर का क्षेत्र जल गया है.
- पूरे ऑस्ट्रेलिया में 1 बिलियन पशु दावानल की चपेट में आये हैं. अनुमान है कि न्यू साउथ वेल्स में रहने वाले एक तिहाई क्वाला पशु (koalas ) आग में जलकर मर चुके हैं और एक तिहाई का आश्रय स्थान नष्ट हो चुका है.
यह आग कब बुझेगी?
दुर्भाग्य की बात है कि ऑस्ट्रेलिया में ग्रीष्म ऋतु अभी आधी ही पार हुई है. साधारणतः गर्मी जनवरी और फ़रवरी में सबसे तीव्र होती है. इसका अभिप्राय यह है कि दावानल से अभी महीनों राहत मिलने की संभावना नहीं है.
ऑस्ट्रेलिया में दावानल से छुटकारा पाना संभव नहीं है क्योंकि यह हर वर्ष होता ही है और जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि कई कारणों से इसकी तीव्रता और फैलाव बढ़ता ही जा रहा है.