[संसार मंथन] मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास – Eco-Bio-Tech GS Paper 3/Part 10

Sansar LochanBiodiversity, Environment and Biodiversity, Govt. Schemes (Hindi), GS Paper 3, Sansar Manthan

Topics – Carbon Sink, Himalayan Research Fellowships scheme, Ecology of the Himalayas

1st Question – Carbon Sink

सामान्य अध्ययन पेपर – 3

कार्बन सिंक से आप क्या समझते हैं?  भारत सरकार द्वारा कार्बन सिंक को बढ़ाने के लिए उठाये गए कदमों का उल्लेख करें. (250 words)

  • अपने उत्तर में अंडर-लाइन करना है  = Green
  • आपके उत्तर को दूसरों से अलग और यूनिक बनाएगा = Yellow

यह सवाल क्यों?

यह सवाल UPSC GS Paper 3 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप में लिया गया है –

संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन.

सवाल का मूलतत्त्व[no_toc]

यह Do n Die सवाल है. जानते हैं तो आप लिख पायेंगे नहीं तो कलम चलाना मुश्किल है. इसलिए निम्नलिखित उत्तर पढ़ कर नोट्स बना लें.

उत्तर :-

कार्बन सिंक एक प्राकृतिक या कृत्रिम भंडार है जो अनिश्चित अवधि के लिए कुछ मात्रा में कार्बन-युक्त रासायनिक अवयवों का भंडारण करता है. कार्बन सिंक द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को निष्कासित करने की प्रक्रिया, कार्बन प्रच्छादन (carbon sequestration) के रूप में जानी जाती है. कार्बन प्रच्छादन प्रक्रिया के माध्यम से ग्रीनहाउस गैसों के संचय को मंद करने के लिए CO2 का वायुमंडल को उद्गहण कर दीर्घकालिक तक उसका भण्डारण किया जाता है. उदाहरण के लिए, वनारोपण, कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज (CSS).

भारत सरकार द्वारा कार्बन सिंक को बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाये गए हैं –

  • NAPCC के अंतर्गत ग्रीन इंडिया मिशन, 2030 तक 10 मिलियन हेक्टेयर वृक्ष लगाने की योजना का कार्यान्वयन चल रहा है. इससे 2.5 बिलियन टन का कार्बन सिंक निर्मित होगा.
  • कैम्पा (CAMPA) फंड : इसका उपयोग वनों के नुकसान की क्षतिपूर्ति, वन पारिस्थितिकी तंत्र के पुनर्निर्माण, वन्यजीव संरक्षण और अवसंरचना के विकास के लिए वनीकरण हेतु किया जाएगा.
  • राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम : यह निम्नीकृत वन भूमि के वनीकरण के लिए कार्यान्वित किया जा रहा है.
  • नगर वन उद्यान योजना : शहर में न्यूनतम 25 हेक्टेयर वनों का विकास किया जायेगा.
  • राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन अनुकूलन विधि : जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के प्रति अनुकूल की लागत को पूरा करने में राज्य और संघ शासित प्रदेशों की सहायता करना.
  • अन्तरिक्ष विभाग द्वारा “डेजर्टिफिकेशन एंड लैंड डिग्रेडेशन एटलस ऑफ़ इंडिया” जारी किया गया. यह वर्तमान भूमि उपयोग और 2005 से 2013 तक विभिन्न राज्यों में भूमि क्षरण की गंभीरता पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है. यह आगामी भविष्य में देश के अन्दर भूमि उपयोग के लिए आधार प्रदान करेगा.
You can add these facts also--->
  • भारत में कार्बन स्टॉक लगभग 7 बिलियन टन है, जो 25.66 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के समतुल्य है.
  • कार्बन स्टॉक का 65% संग्रहण मृदा और 35% संग्रहण वृक्षों में है.
  • वैश्विक कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS) संस्थान के अनुसार, भारत उन 24 विकासशील देशों में से एक है, जो वर्तमान में CSS की गतिविधियों जैसे क्षमता विकास, आयोजना और पूर्व-निवेश एवं परियोजना विकास में संग्लन है.

2nd Question – Himalayan Research Fellowship Scheme

सामान्य अध्ययन पेपर – 3

हिमालयन रिसर्च फेलोशिप योजना के विषय में चर्चा करें और हिमालयी पारिस्थतिकी तंत्र के संरक्षण हेतु सरकार द्वारा उठाये गए क़दमों का उल्लेख करें . (250 words)

  • अपने उत्तर में अंडर-लाइन करना है  = Green
  • आपके उत्तर को दूसरों से अलग और यूनिक बनाएगा = Yellow

यह सवाल क्यों?

यह सवाल UPSC GS Paper 3 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप में लिया गया है –

संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन.

सवाल का मूलतत्त्व

यह भी Do n Die सवाल है. फिर भी सवाल के पहले पार्ट का उत्तर आप अपने मन से बात बनाकर दे सकते हो पर यदि आपके पास तथ्य नहीं तो नंबर कम मिलने की बहुत अधिक संभावना है. “हिमालयन रिसर्च फेलोशिप” शब्द देखकर ही आप यह तो कम से कम जान सकते हो कि हिमालय > पारिस्थितिकी तंत्र > दया कुछ तो गड़बड़ है. चूँकि यह एक फेलोशिप योजना है तो जरुर कोई ऐसी योजना सरकार ने बनाई है जिसमें युवाओं को हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा एवं विकास में संलग्न किया जाएगा.

उत्तर :-

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा हिमालयन रिसर्च फेलोशिप स्कीम प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया है. इस योजना का उद्देश्य प्रशिक्षित पर्यावरण प्रबंधकों, पर्यावरणविदों और सामजिक-अर्थशास्त्रियों के एक युवा समूह का निर्माण करना है. यह समूह हिमालय के पर्यावरण और विकास से सम्बंधित भौतिक, जैविक, प्रबंधकीय और मानवीय गतिविधियों की सूचनाएँ एकत्र करेगा.

कार्यान्वयन :- इस फेलोशिप स्कीम को भारतीय हिमालयी क्षेत्र (IHR) में कार्यरत विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा और इस क्रम में पूर्वोत्तर राज्यों के संस्थानों को प्राथमिकता दी जायेगी.

वित्तपोषण :- इसे राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन (NMHS) के तहत वित्तीय समर्थन प्रदान किया जायेगा. यह फेलोशिप अधिकतम तीन वर्षों की अवधि के लिए प्रदान की जायेगी.

प्रमुख क्षेत्र :- NMHS के तहत किसी भी व्यापक विषयगत क्षेत्रों (ब्रॉड थीमेटिक एरियाज : BTAs), जैसे – झरनों और जलग्रहण क्षेत्र के पुनर्नवीकरण सहित जल संसाधन प्रबंधन, जल-बिजली विकास, जल प्रेरित आपदाओं का अनुमान और मूल्यांकन तथा आजीविका के विकल्पों के साथ ईको टूरिज्म, संकटग्रस्त प्रजातियों की रिकवरी और कौशल विकास सहित जैव विविधता प्रबंधन इत्यादि पर यह अनुसंधान किया जा सकता है.

हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण हेतु सरकार द्वारा उठाये गये कदम निम्नलिखित दिए गये हैं –

  • जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) के तहत नेशनल मिशन फॉर सस्टेनिंग द हिमालयन इको-सिस्टम (NMHSE) का आरम्भ किया गया है. इसका उद्देश्य हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का निरंतर आकलन करना और नीति निर्माण निकायों को इस हेतु नीति-निर्माण कार्यों में सक्षम बनाना है.
  • केंद्र सरकार ने एक छः वर्षीय परियोजना सिक्योर हिमालय का अनावरण किया है. इस परियोजना का उद्देश्य उच्च हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र में स्थानीय और वैश्विक स्तर पर महत्त्वपूर्ण जैव विविधता, भूमि और वन संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित करना है.
  • वनारोपण के माध्यम से कार्बन सिंक विकसित करने और हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण और स्थायित्व प्रदान करने हेतु वर्ष 2010 में राष्ट्रीय मिशन आरम्भ किया गया.
About the Author

Sansar Lochan

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संसार लोचन sansarlochan.IN ब्लॉग के प्रधान सम्पादक हैं. SINEWS नामक चैरिटी संगठन के प्रणेता भी हैं. ये आपको अर्थशास्त्र (Economics) से सम्बंधित अध्ययन-सामग्री उपलब्ध कराएँगे और आपके साथ भारतीय एवं विश्व अर्थव्यवस्था विषयक जानकारियाँ साझा करेंगे.

3rd Question – Ecology of the Himalayas

सामान्य अध्ययन पेपर – 3

हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को किन-किन कारकों से खतरा है? उल्लेख कीजिए. (250 words)

  • अपने उत्तर में अंडर-लाइन करना है  = Green
  • आपके उत्तर को दूसरों से अलग और यूनिक बनाएगा = Yellow

यह सवाल क्यों?

यह सवाल UPSC GS Paper 3 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप में लिया गया है –

संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन.

सवाल का मूलतत्त्व

इसमें पहले यह बताएँ कि हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र का क्षेत्र कहाँ-कहाँ तक फैला है और इसमें जैव-विवधिता में कौन-कौन संग्लन हैं. उसके बाद खतरों का उल्लेख करें. सीधे खतरे के बारे में उत्तर में लिखियेगा तो परीक्षक भी सोचेगा कि यह तो खतरे की घंटी इसने बजा दी.

उत्तर :-

हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र 3000 किमी. से अधिक विस्तार के साथ, विश्व का सर्वाधिक उच्चतम पारिस्थितिकी तंत्र है. हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र में जैव विविधता अत्यधिक समृद्ध है. यहाँ कुछ वनस्पतियों और जीव प्रजातियों में ओक, रोडोडेंड्रॉन, वॉलनट, जुनिपर, हिम तेंदुए, कस्तूरी हिरण आदि शामिल हैं. हिमालय का एक वृहत् भाग जैव विविधता हॉट स्पॉट के रूप में घोषित किया गया है.

हिमालय पारिस्थितिकी तंत्र को खतरा निम्नलिखित कारकों से हैं –

जलवायु परिवर्तन

तापमान वृद्धि और अप्रत्याशित वर्षा, ताजे जल के प्रवाह में उल्लेखनीय परिवर्तन उत्पन्न करते हैं एवं तापीय असंतुलन उत्पन्न करते हैं. इसका क्षेत्र की विभिन्न वनस्पतियों और जन्तुओं पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है. यहाँ ट्री लाइन में वृद्धि हो रही है अर्थात् वृक्ष पहले की अपेक्षा और भी अधिक ऊँचाई पर उगने लगे हैं एवं विलुप्ति की दर में कई गुना वृद्धि हुई है.

अतिक्रमण

बढ़ते जनसंख्या दबाव के कारण प्रकृति बहुत प्रकार से दबाव बनते हैं, जैसे – कृषि भूमि का विस्तार, लकड़ी, चारे और ईंधन के लिए वनों के दोहन आदि. उपर्युक्त कारक वनस्पतियों और जन्तुओं के आवास-स्थल के ह्रास में अतिशय योगदान देते हैं.

शिकार

जंतुओं की विभिन्न प्रजातियों का वाणिज्यिक उद्देश्य, अवैध व्यापार, तस्करी, मानव-पशु संघर्ष इत्यादि के लिए शिकार किया जा रहा है. इस क्षेत्र में वन्यजीव संकट उत्पन्न हो रहा है.

अवसंरचना विकास

अर्थव्यवस्था के विकास, शहरीकरण में वृद्धि, ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने और दूरदराज के क्षेत्रों को जोड़ने से हिमालय क्षेत्र के प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र में वृहत् स्तर पर हस्तक्षेप होता है.

अपशिष्ट निपटान

हिमालयी क्षेत्रों में मानव जनसंख्या, उनके आवास तथा उद्योगों द्वारा अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थ बढ़ रहे हैं. ये बाह्य पदार्थ स्थानीय खाद्य शृंखला में प्रवेश करते हैं और जैवसंचयन एवं जैव आवर्धन के माध्यम से प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र में पूर्ण रूप से परिवर्तन लाते हैं.

राजनीतिक कारण

युद्ध, सैन्य संचालन के कारण वनों और जैव विविधता का ह्रास होता है.

“संसार मंथन” कॉलम का ध्येय है आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सवालों के उत्तर किस प्रकार लिखे जाएँ, उससे अवगत कराना. इस कॉलम के सारे आर्टिकल को इस पेज में संकलित किया जा रहा है >> Sansar Manthan

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