भारत छोड़ो आन्दोलन – भूमिका भारत के इतिहास में 1942 की अगस्त क्रान्ति (August Revolution) एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है. इस क्रांति का नारा था “अंग्रेजों भारत छोड़ो (Quit India)“ और सचमुच ही एक क्षण तो ऐसा लगने लगा कि अब अंग्रेजों को भारत से जाना ही पड़ेगा. द्वितीय विश्वयुद्ध (Second Word War) में जगह-जगह मित्रराष्ट्रों की पराजय से … Read More
क्रिप्स योजना – Cripps Mission, 30 March 1942 in Hindi
द्वितीय विश्वयुद्ध के प्रथम दो वर्ष ब्रिटिश साम्राज्य के लिए बहुत संकटपूर्ण थे. जर्मनी की निरंतर सफलता और इंग्लैंड पर आक्रमण की आशंका से इंग्लैंड अपनी रक्षा के लिए खुद प्रयत्नशील था. जापानी आक्रमण से भारतीय साम्राज्य पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे थे. इस प्रकार युद्ध की दोहरी मार से ब्रिटिश साम्राज्य की शांति और सुरक्षा खतरे में … Read More
[Quiz] अगस्त प्रस्ताव: भारत छोड़ो आन्दोलन Questions Answers
अगस्त प्रस्ताव इस समय तक युद्ध में जर्मनी की तेजी से विजय हो रही थी. डेनमार्क, नार्वे, हालैंड, फ़्रांस आदि उसके अधिकार में आ गये थे. फ्रांस में अंग्रेजी सेना को मुँह की खानी पड़ी थी और स्वयं ब्रिटेन पर खतरे के बादल मँडरा रहे थे. युद्ध के कारण ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई थी. ऐसी स्थिति … Read More
भारत में वामपंथी विचारधारा का उद्भव और आन्दोलन
बीसवीं सदी के दूसरे दशक के बाद भारत में एक शक्तिशाली वामपक्ष का उदय हुआ. मार्क्सवाद और दूसरे समाजवादी विचार बहुत तेजी से फैले. राजनीतिक दृष्टि से इस शक्ति की अभिव्यक्ति कांग्रेस के अंदर एक वामपंथ के उदय के रूप में हुई, जिसने राष्ट्रीय मुक्ति संघर्ष की धारा को दलितों – शोषितों की सामाजिक आर्थिक मुक्ति की धारा के नजदीक … Read More
भारत में क्रांतिकारी आन्दोलन – Revolutionary Movements
20वीं शताब्दी के पूर्वाह्न में भारत में उग्रवाद के साथ-साथ उग्र क्रांतिवाद का भी विकास हुआ. क्रांतिकारी आन्दोलन के उत्थान के मुख्यतः वही कारण थे, जिनसे राष्ट्रीय आन्दोलन में उग्रवाद का उदय हुआ. उग्र राष्ट्रवादियों का ही एक दल क्रांतिकारी के रूप में उभरा. भेद केवल यह था कि उग्र क्रान्तिकारी अधिक शीघ्र परिणाम चाहते थे. यद्यपि भारत के भिन्न-भिन्न … Read More
भारत सरकार अधिनियम – Government of India Act, 1935
ब्रिटिश शासन के द्वारा भारतीय जनता को संतुष्ट करने के लिए सन् 1861, 1892, 1909, 1919 और 1935 में कानून पास किये गए लेकिन ये सुधार भारतीय जनता को कभी संतुष्ट नहीं कर सके. 1935 का भारतीय सरकार/शासन अधिनियम (Government of India Act, 1935) भारतीय संविधान का एक प्रमुख स्रोत रहा है. भारत के वर्तमान संविधान की विषय-सामग्री और भाषा … Read More
द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं? Diarchy in Hindi
1919 ई. के भारत सरकार अधिनियम द्वारा प्रांतीय सरकार को मजबूत बनाया गया और द्वैध शासन (diarchy) की स्थापना की गई. 1919 के पहले प्रांतीय सरकारों पर केंद्र सरकार का पूर्ण नियंत्रण रहता था. लेकिन अब इस स्थिति में परिवर्तन लाकर प्रांतीय सरकारों को उत्तरदायी बनाने का प्रयास किया गया. इस द्वैध शासन का एकमात्र उद्देश्य था – भारतीयों को पूर्ण … Read More
भारत सरकार अधिनियम, 1919 – मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार
1858 में कम्पनी की सत्ता हस्तगत करने के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने भारत में सहयोग की नीति का अनुसरण किया. इसे कार्य रूप देने के लिए 1861, 1892 एवं 1909 के अधिनियम पारित किये गये. परन्तु यह नीति सफल सिद्ध नहीं हुई. इसलिए ब्रिटिश सरकार ने अपनी भारतीय नीति में बदलाव लाया. यह अनुभव किया गया कि केवल भारतीयों से … Read More
[कालक्रम] Modern History Important Topics
अभी तक हमने #Adhunik India By Sajiva Sir Notes में पढ़ा – Chronology of History of Modern India प्रथम विश्व युद्ध के प्रारंभ में भारतीय राष्ट्रीय नेताओं ने ब्रिटेन के युद्ध प्रस्तावों का स्वागत किया था. प्रथम विश्व युद्ध ने यूरोपियनों की जातीय श्रेष्ठता की भावना को समाप्त कर दिया. तिलक ने अप्रैल 1916 में बम्बई के बेलगांव में अपने होमरूल … Read More
तृतीय गोलमेज सम्मेलन – Third Round Table Conference
1932 में पुनः एक गोलमेज सम्मेलन लंदन में हुआ. तृतीय गोलमेज सम्मेलन (Third Round Table Conference) का आयोजन 17 नवम्बर 1932 से 24 दिसम्बर 1932 तक किया गया. इस सम्मेलन में केवल 46 प्रतिनिधियों ने भाग लिया. तृतीय गोलमेज सम्मेलन में मुख्यतः प्रतिक्रियावादी तत्वों ने ही भाग लिया. भारत की कांग्रेस तथा ब्रिटेन की लेबर पार्टी ने इस सम्मेलन में … Read More