16 अगस्त, 1932 की ब्रिटिश प्रधानमंत्री रेम्जे मेकडोनाल्ड ने “साम्प्रदायिक पंचाट” या “साम्प्रदायिक निर्णय” (Communal Award or Macdonald Award) की घोषणा की. यह अंग्रेजों द्वारा भारत में अपनाई गई “फूट डालो और राज करो” की नीति का एक अन्य उदाहरण था. साम्प्रदायिक पंचाट भारतीय राष्ट्रवाद के विकास को दबाने के लिए अंग्रेजों ने बल प्रयोग के अतिरिक्त छल-प्रपंच एवं कूटनीति … Read More
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन – Second Round Table Conference
सरकार ने कांग्रेस को द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (Second Round Table Conference) में सम्मिलित होने के लिए मनाने के प्रयास प्रारम्भ कर दिए. इसके तहत वाइसरॉय से वार्ता का प्रस्ताव दिया गया. इसके तहत वाइसरॉय से चर्चा के लिए आधिकारिक रूप से नियुक्त किया. गाँधी जी और वाइसरॉय इरविन की बातचीत 19 फरवरी, 1931 से शुरू हुई. 15 दिन की बातचीत … Read More
प्रथम गोलमेज सम्मेलन (12 नवम्बर, 1930 – 19 जनवरी, 1931)
जिस दौरान पूरे भारत में सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रगति पर था और सरकार का दमन चक्र तेजी से चल रहा था, उसी समय वायसराय लॉर्ड इर्विन और मि. साइमन ने सरकार पर यह दबाव डाला कि वह भारतीय नेताओं तथा विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधियों से सलाह लेकर भारत की संवैधानिक समस्याओं का निर्णय करे. इसी उद्देश्य से लन्दन में तीन … Read More
जिन्ना की चौदह मांगें (Fourteen points of Jinnah)
1928 ई. के राष्ट्रीय सम्मलेन में नेहरु रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया था. नेहरु रिपोर्ट के बारे में जिन्ना ने यह कहा था कि – “नेहरु रिपोर्ट को हिंदुओं की ओर से मुस्लिम प्रस्तावों का जवाब था.” जिन्ना ने कांग्रेस प्रस्ताव को, जिसमें नेहरु रिपोर्ट को स्वीकार किया गया था, मुस्लिम सम्प्रदाय का अपमान समझा और यह निष्कर्ष निकाला … Read More
नेहरु रिपोर्ट से जुड़े तथ्य और जानकारियाँ – Nehru Report 1928 in Hindi
साइमन कमीशन की नियुक्ति के साथ ही भारत सचिव Lord Birkenhead ने भारतीय नेताओं को यह चुनौती दी कि यदि वे विभिन्न दलों और सम्प्रदायों की सहमति से एक संविधान तैयार कर सकें तो इंग्लैंड सरकार उस पर गंभीरता से विचार करेगी. इस चुनौती को भारतीय नेताओं ने स्वीकार करके इस बात का प्रयास किया कि साथ में मिल-जुलकर संविधान का … Read More
साइमन कमीशन – Simon Commission [1927]
1927 में वाइसराय लार्ड इरविन ने महात्मा गांधी को दिल्ली बुलाकर यह सूचना दी कि भारत में वैधानिक सुधार लाने के लिए एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है जिसके लिए एक कमीशन बनाया गया है जिसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन होंगे. साइमन कमीशन/Simon Commission की एक मुख्य विशेषता यह थी कि उसके सदस्यों में केवल अँगरेज़ ही अँगरेज़ थे. … Read More
स्वराज दल की स्थापना, उद्देश्य और पतन – Swaraj Party
1921 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा असहयोग आन्दोलन (Non Cooperation Movement) को बंद किये जाने के कारण बहुत-से नेता क्षुब्ध हो गए. इसी कारण कुछ नेताओं ने मिलकर एक अलग दल का निर्माण किया, जिसका नाम स्वराज दल रखा गया. इस दल की स्थापना 1 जनवरी, 1923 को देशबंधु चित्तरंजन दास तथा पं. मोतीलाल नेहरु ने की. इस दल का … Read More
खिलाफत आंदोलन – Khilafat Movement in Hindi
थम विश्व युद्ध में तुर्की ने मित्र राष्ट्रों के खिलाफ युद्ध किया था. तुर्की के खलीफा को मुस्लिमों के धार्मिक प्रधान के रूप मे देखा जाता था. उन दिनों यह अफवाह फैली थी कि तुर्की पर ब्रिटिश सरकार अपमानजनक शर्तें लाद रही है. इसी के विरोध स्वरूप 1919-20 में अली बंधु, मालैाना आजाद, हसरत मोहानी तथा हकीम अजमल खान के … Read More
असहयोग आन्दोलन 1920 – Non-Cooperation Movement in Hindi
प्रथम विश्वयुद्ध (First World War) के बाद महात्मा गाँधी ने भारतीय राजनीति में प्रवेश किया और अब कांग्रेस की बागडोर उनके हाथों में आ गई. महात्मा गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने एक नयी दिशा ग्रहण कर ली. राजनीति में प्रवेश के पहले महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका में सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह का प्रयोग कर चुके थे. उन्होंने विश्वयुद्ध में … Read More
लखनऊ समझौता – 1916 (Lucknow Pact)
वर्ष 1916 का कांग्रेस अधिवेशन लखनऊ में आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता नरमपंथी नेता अम्बिका चरण मजुमदार ने की थी. गरमपंथियों का कांग्रेस में फिर से शामिल होना तथा लीग के साथ समझौता इस अधिवेशन की प्रमुख उपलब्धि थी. कांग्रेस के दोनों धड़ों को आभास हो गया था कि पुराने विवादों को दोहराने की अब कोई प्रासिंगता नहीं रह गई है … Read More