असमानता (inequality) तब होती है जब सभी व्यक्तियों को समान रूप से स्थान, वस्तु, सेवा अथवा अवसर उपलब्ध नहीं होते हैं. ऐतिहासिक रूप से, प्रायः असमानताओं का आरोपण आज्ञापत्रों द्वारा हुआ, जैसे कुलीन वर्ग और संघों की उपस्थिति अथवा रंगभेद, दासता या जातिवाद आदि के रूप में असमानता अस्तित्व में आई. विशेषकर भारत में शास्त्रों और स्मृतियों में ऐसी व्यवस्थाएँ … Read More
नैतिक सक्षमता का अर्थ एवं उसके तत्त्व (Ethics Notes Part 5)
किसी लोक-सेवक को नैतिक रूप से सक्षम होना चाहिए. नैतिक रूप से सक्षम लोक-सेवक वह होता है जो उच्च कोटि के वैयक्तिक एवं व्यावसायिक व्यवहार वाला हो, प्रासंगिक नीतिगत शास्त्र, संहिता एवं विधि का ज्ञाता हो, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाने पर नैतिक तर्कबुद्धि का प्रयोग करने की क्षमता रखता हो, नैतिकतापूर्ण कृत्य करता हो तथा सार्वजनिक एजेंसियों एवं संगठनों … Read More
नैतिक निर्णय करने से सम्बंधित सिद्धांत (Ethics Notes Part 4)
जटिल परिस्थितियों में नैतिक निर्णय करने में नीतिशास्त्र के अध्ययन के विभिन्न आयाम सहायक होते हैं. ऐसे आयाम हैं – उपयोगितावादी सिद्धांत, अधिकारवादी सिद्धांत, न्यायवादी सिद्धांत, सर्वहितवादी सिद्धांत और सद्गुणवादी सिद्धांत. चलिए स्वागत है आपका Ethics Notes Part 4 में. बाकी के Notes की लिंक नीचे दे दी गई है. उयोगितावादी सिद्धांत उपयोगितावाद की अवधारणा 19वीं शताब्दी में जेरेमी बेन्थैम … Read More
मानवीय कृत्य – नैतिक आधारभूमि (Ethics Notes Part 3)
मानवीय कृत्यों के नैतिक सिद्धांतों के दो मुख्य वर्ग हैं. पहला, कर्तव्यपरक दृष्टिकोण (स्वयं मानवीय कृत्यों पर आधारित) और परिणामवादी दृष्टिकोण (मानवीय कृत्यों के परिणामों पर आधारित). कर्तव्यपरक एवं परिणामवादी दृष्टिकोणों की तुलना हम इन दृष्टिकोणों की चर्चा नीतिशास्त्र की शाखाओं के वर्णन के समय कर चुके हैं. नीचे इन दो दृष्टिकोणों में कुछ तुलनात्मक अंतर दिए गए हैं – … Read More
नीतिशास्त्र की शाखाएँ – (Ethics Notes Part 2)
नीतिशास्त्र की चार मुख्य शाखाएँ हैं – वर्णनात्मक नीतिशास्त्र, मानदंडपरक नीतिशास्त्र, परानीतिशास्त्र तथा अनुप्रयुक्त नीतिशास्त्र. इनका वर्णन हम नीचे संक्षेप में करेंगे. चलिए जानते हैं Ethics के branches के विषय में (Notes Part 2). वर्णनात्मक नीतिशास्त्र वर्णनात्मक नीतिशास्त्र उन विषयों का शास्त्र हैं जिन्हें लोग उचित अथवा अनुचित मानते हैं या मानने को विवश कर दिए जाते हैं और यह … Read More
नीतिशास्त्र की प्रकृति एवं विषय-क्षेत्र (Ethics Notes Part 1)
यूनानी शब्द Ethikos से उत्पन्न नीतिशास्त्र (Ethics) दर्शनशास्त्र की वह मुख्य शाखा है जो समाज द्वारा प्रतिस्थापित मानंदड एवं नैतिक सिद्धांतों के परिप्रेक्ष्य में उचित और अनुचित मानवीय कृत्यों एवं आचरण का अध्ययन करता है. इस प्रकार यह किसी व्यक्ति के नैतिक चरित्र तथा साथ ही स्वीकृत सिद्धांतों के अनुसार समाज उससे क्या अपेक्षा रखता है इसकी व्याख्या करता है. … Read More
Basava Vachana Deepthi केस – Free Expression पर प्रतिबंध
सरकार ने माते महादेवी (Mate Mahadevi) नामक लेखिका द्वारा रचित एक पुस्तक पर प्रतिबंध लगाया था जिसका नाम “Basava Vachana Deepthi” था. यह मामला सर्वोच्च न्यायलय तक गया जहाँ हाल ही में इस प्रतिबंध की पुष्टि की गई. Basava Vachana Deepthi घटनाक्रम Basava Vachana Deepthi पर कर्नाटक सरकार ने 1998 में प्रतिबंध लगाया था. इसका कारण यह दिया गया था … Read More
[GS Paper IV] Ethics, Integrity and Aptitude Syllabus in Hindi
Ethics, Integrity और Aptitude के इस पेपर में परीक्षार्थी की तर्कशक्ति और दृष्टिकोण की परीक्षा होगी. परीक्षार्थी अपने सार्वजनिक जीवन में कितना ईमानदार है और उसमें कितनी सत्यनिष्ठा है…प्रश्नों के माध्यम से इसकी जाँच किया जाएगी. परीक्षार्थी को ऐसे कई सवाल दिए जायेंगे जिनमें सार्वजनिक जीवन के विभिन्न मुद्दों को सुलझाने की उनकी क्षमता की जांच की जाएगी. चलिए विस्तार से जानते हैं UPSC Paper … Read More
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