कण्व वंश

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मगध राज्य के शुंग वंश के अंतिम सम्राट देवभूति को मारकर 75 ई.पू. वासुदेव ने कण्व वंश की नींव रखी. उस समय भारत की राजनैतिक एकता नष्ट हो चुकी थी. देश की पश्चिमोत्तर सीमा पर शक वंश के राजा लगातार आक्रमण कर रहे थे. मगध राज्य में पाटलिपुत्र तथा उसके आसपास के प्रदेश ही शामिल थे. कण्व राजवंश शुंग वंश … Read More

आंध्र इक्ष्वाकु वंश

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दक्षिणी भारत के पूर्वी भारत के सातवाहन शक्ति के पतन के बाद एक नए वंश का उदय हुआ जिसे इक्ष्वाकु वंश के नाम से जाना जाता है. लगभग तीसरी और चौथी शताब्दी में कृष्णा नदी की पूर्वी घाटी में एक वंश राज कर रहा था जिसे राम के पूर्वज इक्ष्वाकु से अलग दिखाने के लिए आंध्र इक्ष्वाकु कहा जाता है … Read More

वाकाटक वंश – Vakataka Dynasty in Hindi

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उत्तर महाराष्ट्र और विदर्भ (बरार) में सातवाहनों का स्थान वाकाटकों ने लिया. वास्तव में सातवाहनों के पतन एवं छठी शताब्दी के मध्य तक चालुक्य वंश के उदय तक दक्कन में वाकाटक ही सबसे महत्त्वपूर्ण शक्ति थे जिन्होंने दक्षिण एवं कभी-कभी मध्य भारत के कुछ क्षेत्रों पर भी अपनी सत्ता स्थापित रखी. वाकाटक कौन थे ? यह अब भी एक ऐतिहासिक … Read More

गांधार कला : इस शैली की मुख्य विशेषताएँ

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विदेशी राजा भारतीय कला के उत्साही संरक्षक बन गये और उन्होंने इसके प्रचार-प्रसार में वही उत्साह दिखाया जो नए-नए धर्म परिवर्तन करने वालों में होता है. कुषाण साम्राज्य में विभिन्न पद्धतियों (schools) एवं देशों में प्रशिक्षित राज-मिस्त्रियों और एनी दस्तकारों को एक साथ इकठ्ठा किया गया. भारतीय शिल्पकार यूनानियों और रोम वालों के संपर्क में, विशेषकर भारत की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर … Read More

कनिष्क द्वारा बौद्ध धर्म का प्रचार एवं अन्य योगदान

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कनिष्क द्वारा बौद्ध धर्म का प्रचार बौद्ध साहित्य के अनुसार कनिष्क अशोक के बाद दूसरा महान बौद्ध सम्राट हुआ है. उसने बौद्ध धर्म को अपनाने के बाद अपने सिक्‍कों पर महात्मा बुद्ध की मूर्ति को प्रधानता दी. कनिष्क भी अशोक तथा हर्ष की तरह उदार धार्मिक दृष्टिकोण रखता था. उसने बौद्ध धर्म के प्रचार तथा प्रसार के लिए निम्नलिखित उपाय … Read More

कुषाण वंश और उसके प्रमुख शासक

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पार्थियन लोगों (पढ़ें > पार्थियन साम्राज्य) के बाद भारत में कुषाण आये, जिन्हें यूचि या तौचेरियन भी कहा जाता है. यूचि कबीला पांच कुलों में विभाजित था. उन्हीं में से एक कुषाण लोगों का था. कुषाण चीन की सीमा पर रहते थे. हुण नामक शक्तिशाली जाति ने उन्हें चीन से खदेड़ दिया. कुषाण लोगों ने शकों को हराकर (पढ़ें > … Read More

भारत में पार्थियन साम्राज्य एवं उसके शासक

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शकों के बाद पार्थियन लोग भारत में आए. (शक के बारे में पढ़ें > शक वंश). अनेक भारतीय संस्कृत के मूल पाठों में एक साथ इन दोनों कबीलों के लिए “शक-पहलव” संज्ञा का प्रयोग किया गया है. इस तरह इंडो-पार्थियनों को ‘पहलव (पह्लव)’ कहा गया है. इनके शासन को सुरेन साम्राज्य (Suren Kingdom) के नाम से भी जाना जाता है. पार्थियन भारत में … Read More

शक वंश का इतिहास एवं शासक

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बैक्ट्रियनों (भारतीय-यूनानियों) के बाद शक आये (पढ़ें > बैक्ट्रियन). मूलतः शक मध्य एशिया की एक कबीलायी जाति थी. लगभग ई.पू. 165 में उसे यूची नामक एक एनी मध्य एशियाई कबीले ने ही खदेड़ दिया. उनसे पूर्व भारत में आई बक्ट्रियन जाति (जो उस समय शाकल एवं तक्षशिला से उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्रों में राज कर रही थी) पर शकों ने आक्रमण शुरू … Read More

बैक्ट्रियन या भारतीय यूनानी का इतिहास और उनका योगदान

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बैक्ट्रियन या भारतीय यूनानी मौर्य साम्राज्य के पतन (184 ई० पू०) के बाद भारत की राजनीतिक एकता समाप्त हो गई. भारत की डांवाडोल राजनीतिक स्थिति का लाभ उठाने के लिए लगभग 200 ई० पू० से अनेक विदेशी शक्तियों ने भारत पर कई आक्रमण किये. सबसे पहले हिन्दुकुश पार करने वालों में यूनानी थे. वे बैक्ट्रिया पर शासन करते थे जो … Read More

गुप्त साम्राज्य – Gupta Empire के प्रमुख शासक

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चौथी शताब्दी में उत्तर भारत में एक नए राजवंश का उदय हुआ. इस वंश का नाम गुप्तवंश था. इस वंश ने लगभग 300 वर्ष तक शासन किया. इस वंश के शासनकाल में अनेक क्षेत्रों का विकास हुआ. इस वंश के संस्थापक श्रीगुप्त थे. गुप्त वंशावली में श्रीगुप्त, घटोत्कच, चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, रामगुप्त, चन्द्रगुप्त द्वितीय, स्कन्दगुप्त जैसे शासक हुए. इस वंश … Read More