आज इस पोस्ट के माध्यम से हम सातवाहन वंश की पूरी जानकारी आपके साथ साझा करने वाले हैं. ‘सातवाहन’ शब्द का उल्लेख प्राचीन ग्रन्थों में है. इस शब्द की अनेक व्याख्याएँ प्राप्त होती हैं. कथा सरित्सागर में ‘सात’ नामक यक्ष पर चढ़ने वाले को सातवाहन कहा गया है. लेकिन इस व्याख्या को मनगढ़न्त बताया जाता है. चौदहवीं शताब्दी ई० में … Read More
हम्पी के बारे में कुछ मुख्य तथ्य
कर्नाटक सरकार द्वारा हम्पी स्थल के आस-पास के रेस्त्राँओं को ध्वस्त करने के निर्णय का सर्वोच्च न्यायालय ने समर्थन किया है क्योंकि ये रेस्त्राँ मैसूर प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारक तथा पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1961 (Mysore Ancient and Historical Monuments and Archaeological Sites and Remains Act of 1961) का उल्लंघन करके बनाए गये थे. पृष्ठभूमि यह मामला कर्नाटक उच्च … Read More
नगरधन उत्खनन : वाकाटक वंश के सन्दर्भ में इसका महत्त्व
नागपुर के निकट नगरधन में हुई पुरातात्विक खुदाइयों से रानी प्रभावतीगुप्त के अधीन वाकाटक शासन के समय के जीवन, धार्मिक धारणाओं और व्यापारिक प्रथाओं का पता चलता है. खुदाई में पाई गई महत्त्वपूर्ण वस्तुएँ एक अंडाकार मुहर मिली है जो उस समय की है जब प्रभावतीगुप्त वाकाटक वंश की रानी थी. इस मुहर में उस रानी का नाम ब्राह्मी लिपि … Read More
हीनयान और महायान के सम्बन्ध में रोचक जानकारी
आज हम बौद्ध धर्म की दो शाखाओं हीनयान और महायान के बीच अंतर और कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानेंगे. बुद्ध के निर्वाण के 100 वर्ष बाद ही बौद्ध धर्म दो सम्प्रदायों में विभक्त हो गया – 1. स्थविरवादी और 2. महासांघिक. बौद्धों की द्वितीय संगीति वैशाली में हुई. इसमें ये मतभेद और भी अधिक उभर कर आये. अशोक … Read More
महात्मा बुद्ध के समकालीन लोग – Buddha’s Contemporaries
महात्मा बुद्ध के बहुसंख्यक अनुयायियों में कुछ ऐसे थे जिन्होंने अपनी प्रतिभा, विद्वत्ता, सदाचारिता और श्रद्धा के कारण उनके ऊपर स्थायी प्रभाव डाला था और वे तथागत के परमप्रिय शिष्य बन गये थे. अपनी अनवरत साधना और कार्य परायणता से इन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार में महान् योगदान दिया था. इनमें से कुछ के नामोल्लेख कर देना आवश्यक प्रतीत होता … Read More
सिन्धु घाटी सभ्यता में कृषि – Agriculture in Indus Valley Civilization
सिन्धु और पंजाब में प्रतिवर्ष नदियों द्वारा लाइ गई उपजाऊ मिट्टी में कृषि कार्य अधिक श्रम-साध्य नहीं रहा होगा. इस नरम मिट्टी में कृषि के लिए शायद ताम्बे की पतली कुल्हाड़ियों को लकड़ी के हत्थे पर बाँध कर तत्कालीन किसान भूमि खोदते रहे होंगे. मोहनजोदड़ो से पत्थर के तीन ऐसे उपकरण मिले हैं जिनके आकार-प्रकार और भारीपन से इनके शस्त्र … Read More
सिन्धु घाटी सभ्यता स्थलों से प्राप्त अवशेष
आज इस पोस्ट में हम सिन्धु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) के विभिन्न स्थलों (हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, धौलावीरा, लोथल, चन्हूदड़ो, रंगपुर, कालीबंगा, बनावली, सुरकोटड़ा इत्यादि) से प्राप्त अवशेषों एवं साक्ष्यों के विषय में क्रम से आपको बताने वाले हैं. हड़प्पा पाषाण नर्तक श्रमिक आवास काले पत्थर का शिव लिंग डेढ़ फीट का पैमाना स्वस्तिक (शुभ-लाभ) ताम्बे का वृषभ धोति पहने एवं … Read More
हड़प्पा समाज, राजनैतिक संगठन, प्रशासन एवं धर्म
आज इस पोस्ट में हड़प्पा समाज, राजनैतिक संगठन, प्रशासन एवं धर्म के विषय में बात करेंगे. इस पोस्ट को लिखने में NCERT, IGNOU आदि किताबों की मदद ली गई है और शोर्ट नोट्स बनाने का प्रयास किया गया है. सामाजिक व्यवस्था लिखित सामग्री के अभाव में सामाजिक व्यवस्था की पूर्ण जानकारी प्राप्त नहीं है, पर खुदाई में प्राप्त सामग्री के … Read More
सिन्धु घाटी सभ्यता में नगर-योजना – Town Planning in Hindi
सिन्धु सभ्यता में संपादित उत्खननों पर एक विहंगम दृष्टि डालने से प्रतीत होता है कि यहाँ के निवासी महान् निर्माणकर्ता थे. उन्होंने नगर नियोजन करके नगरों में सार्वजनिक तथा निजी भवन, रक्षा प्राचीर, सार्वजनिक जलाशय, सुनियोजित मार्ग व्यवस्था तथा सुन्दर नालियों के प्रावधान किया. हड़प्पा सभ्यता – नगर नियोजन वास्तव में सिन्धु घाटी सभ्यता अपनी विशिष्ट एवं उन्नत नगर योजना … Read More
प्रमुख बौद्ध स्थल – Buddhist Places in India
किसी बौद्ध धर्म के व्यक्ति को इन चार स्थानों का वैराग्य की वृद्धि के हेतु दर्शन करना चाहिए. वे चार स्थान हैं – लुम्बिनी वन, जहाँ तथागत का जन्म हुआ. बोधगया, जहाँ उन्होंने ज्ञानप्राप्त किया. ऋषिपतन मृगदाव (सारनाथ), जहाँ उन्होंने प्रथम धर्मोपदेश, और कुशीनगर, जहाँ उन्होंने अनुपाधिशेष निर्वाण में प्रवेश किया. उपर्युक्त चार स्थलों के अतिरिक्त चार अन्य स्थल हैं, … Read More