साम्राज्यों का उत्थान और पतन एक ऐतिहासिक सत्य है, लेकिन यह भी एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न है कि क्या साम्राज्यों के पतन के कारणों का ज्ञान होने के बावजूद भी उनके पतन को कभी रोका जा सकता है. इसका अर्थ यह हुआ कि साम्राज्यों के अंत के कारणों का विश्लेषण इतिहासकार के अपनी दृष्टिकोण पर निर्भर करता है. फिर भी साम्राज्य … Read More
UPSC में प्राचीन भारत से आये सवालों के One-Liner नोट्स : Part 2
आशा है कि आपने प्राचीन इतिहास से सम्बंधित One-Liner का पार्ट 1 पढ़ लिया होगा. यदि नहीं पढ़ा है तो यहाँ क्लिक करें > One Liner Part 1. One-Liner में हमने UPSC के सवालों को (प्राचीन भारत – Ancient India) आपके सामने परोसा ही है, साथ-साथ UPSC Prelims परीक्षाओं में जो चार ऑप्शन होते हैं – उनके विषय में भी हमने one liner … Read More
UPSC में प्राचीन भारत से आये सवालों के One-Liner नोट्स : Part 1
इस आर्टिकल का शीर्षक थोड़ा भ्रामक है क्योंकि नीचे दिए गये सारे तथ्य प्रत्यक्ष रूप से UPSC की गत परीक्षाओं में नहीं पूछे गये हैं. दरअसल, इस One-Liner में हमने UPSC के सवालों को (प्राचीन भारत – Ancient India) आपके सामने परोसा ही है, साथ-साथ UPSC Prelims परीक्षाओं में जो चार ऑप्शन होते हैं – उनके विषय में भी हमने one … Read More
हरिहर और बुक्का के बारे में जानें, संगम राजवंश
हरिहर ने अपने भाई बुक्का के साथ विजयनगर राज्य की नींव डालने के बाद सबसे पहले गुट्टी तथा उसके आसपास के क्षेत्रों को अपनी सत्ता स्वीकार करने के लिए विवश किया. उन्होंने तुंगभद्र नदी के दक्षिणी तट पर स्थित अणेगोंडी के आमने-सामने दो नगर बसाए – विजयनगर और विद्यानगर. हरिहर प्रथम (1336-1353) हरिहर ने 18 अप्रैल, 1336 ई. को हिंदू … Read More
धोलावीरा – सिन्धु सभ्यता का एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थल
सिन्धु घाटी सभ्यता के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्थल धोलावीरा (dholavira) से अब तक उम्मीद से अधिक संख्या में अवशेष मिले हैं. यह स्थल गुजरात के कच्छ जिले के मचाऊ तालुका में मासर एवं मानहर नदियों के मध्य अवस्थित है. यह सिन्धु सभ्यता का एक प्राचीन और विशाल नगर था, जिसके दीर्घकाल तक स्थायित्व के प्रमाण मिले हैं. आइए जानते हैं धोलावीरा से … Read More
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य – सैनिक उपलब्धियाँ तथा तत्कालीन भारत
आज हम चन्द्रगुप्त द्वितीय यानी विक्रमादित्य (375-415 ई.) के विषय में पढेंगे. विक्रमादित्य के परिवार, उसके सिहांसन पर बैठने के समय साम्राज्य की अवस्था, उसका वैवाहिक जीवन, शक विजय, शक विजय के परिणाम, शासन प्रबंध, सिक्के, धार्मिक दशा, सामाजिक अवस्था, शासन-प्रबंध आदि के विषय में पढेंगे. नाम और परिवार चंद्रगुप्त द्वितीय को उसके अभिलेखों में भिन्न नामों से पुकारा गया … Read More
शुंग वंश के बारे में जानें – 185 ई.पू. से 75 ई.पू.
अंतिम मौर्य राजा बृहद्रथ को उसी के ब्राहमण सेनापति पुष्यमित्र ने मारकर शुंग वंश (Shunga / Sunga Dynasty) की स्थापना की. बाण ने “हर्ष-चरित” में लिखा है कि अंतिम मौर्य सम्राट् बृहद्रथ के सेनापति पुष्यमित्र ने सेना के एक प्रदर्शन का आयोजन किया और राजा को इस पर्दर्शन को देखने के लिए आमंत्रित किया. उस समय उपयुक्त अवसर समझ कर … Read More
बौद्ध संगीतियाँ (प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ)
आज हम बौद्ध प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ बौद्ध संगीतियों के विषय में पढेंगे और ये जानेंगे कि उन संगीतियों (Buddhist Councils) के समय तत्कालीन शासक, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष कौन थे? ये भी जानेंगे कि ये संगीतियाँ (councils) कहाँ और कब (date) हुईं? [table id=37 /] बौद्ध संगीतियों के प्रमुख कार्य प्रथम संगीति बुद्ध की शिक्षाओं को संकलित कर उन्हें … Read More
चोल साम्राज्य और इस वंश के शासक – The Chola Empire
आज हम चोल साम्राज्य के विषय में पढेंगे. जानेंगे इस वंश का उदय और पतन कैसे हुआ, इस वंश के राजा कौन थे. इस पोस्ट को आगे भी update किया जाएगा जिसमें हम Chola’s government (केन्द्रीय शासन), न्याय प्रणाली, आय-व्यय के साधन, कला और संस्कृति के विषय में भी जानेंगे. चलिए जानते हैं Chola Empire के सभी details in Hindi. … Read More
बौद्ध साहित्य – जातक, पिटक, निकाय आदि शब्दावली
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत के रूप में बौद्ध साहित्य का विशेष महत्त्व है. इसमें जातक, पिटक और निकाय आदि आते हैं. चलिए जानते हैं बौद्ध साहित्य से सम्बंधित कुछ ऐसी ही शब्दावली के विषय में जो परीक्षा में अक्सर पूछे जाते हैं. जातक बौद्ध साहित्य का सबसे प्राचीन अंग कथाएँ हैं. जातकों की संख्या 547 है. जातक में भगवान् … Read More