आधुनिक भारतीय शिक्षा का विकास, Development of Modern Indian Education: Related Committees and Commissions

Sansar Lochan#AdhunikIndia, History, Modern History

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आज हम भारत में शिक्षा के प्रचार-प्रसार और विभिन्न education-related commissions or committees की बात करेंगे. हम British period और post-Independence में बने विभिन्न कमिशन और कमिटी जैसे Wood Dispatch of 1854, Hunter Commission 1882, Hartog Committee, Sargent Plan of 1944, Radhakrishnan Commission 1948-49, Mudaliar Commission of 1952-53, Kothari Commission/Ayog 1964-66, National Policy on Education of 1968, Working group of 1985, National Education-policy of 1986, … Read More

[भारतीय इतिहास] धर्म तथा समाज सुधार आन्दोलन

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19वीं शताब्दी में भारत नवजागरण की जिन प्रवृत्तियों के दौर से गुजर रहा था, उन्हें “समाज सुधार आन्दोलन (Social Reform Movements)” की संज्ञा दी जाती है. विभिन्न संस्थाओं तथा संगठनों ने धार्मिक तथा सामजिक सुधार के माध्यम से वैज्ञानिक तथा आधुनिक वैचारिक प्रवृत्तियों को स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. आज हम 19वीं शताब्दी में धर्म तथा समाज सुधार आन्दोलन … Read More

गदर पार्टी के बारे में जानें – Gadar Party 1913 in Hindi

Sansar LochanHistory, Modern History

विदेशों में क्रांतिकारी गतिविधियों में गदर पार्टी विशेष रूप से उल्लेखनीय है. इसकी स्थापना लाला हरदयाल ने की थी. 1911 ई. में वह कैलिफ़ोर्निया पहुँचे. 1912 ई. में उन्होंने एक परचा निकाला जिसमें हार्डिंग पर हमले को उचित ठहराया गया था. उन्होंने 10 मई, 1913 ई. को भारतीयों की सभा की जिसमें भारत में गदर (क्रांति) कराने के लिए गदर … Read More

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान समाचार पत्र तथा पत्रिकाएँ व उनके संस्थापक

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आज हम आपको भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान (freedom struggle era) समाचार पत्र तथा पत्रिकाएँ (newspapers and magazines) व उनके संस्थापक/सम्पादक (writers/founders/editors) के नाम बताने वाले हैं. इस list को हमारे experts के द्वारा तैयार किया गया है, अगर फिर भी कोई mistake है तो कृपया कमेंट में लिखें. Writers/Founders of Newspapers and Magazines During Freedom Struggle in Indian History … Read More

अरबिंदो घोष का जीवन परिचय और राजनीतिक विचार

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आज इस पोस्ट में हम अरबिंदो घोष के जीवन परिचय, राजनीतिक विचार और उनकी कुछ रचनाओं के विषय में चर्चा करेंगे. जीवन परिचय अरबिंदो घोष का जन्म 15 अगस्त 1872 को कलकत्ता में हुआ. वे लगभग 13 वर्ष इंग्लैंड में रहे और वहीँ ICS बनने की तैयारी की और ICS लिखित परीक्षा पास की किन्तु घुड़सवारी में असफल होने के कारण … Read More

मार्शल लॉ – अंग्रेजों की क्रूरता की हद!

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जालियाँवाला बाग़ के हत्याकांड ने पंजाब सरकार की उग्रता को शांत न करके और अधिक प्रज्वलित कर दिया. 13 अप्रैल के हत्याकांड ने न केवल अमृतसर में बल्कि पंजाब के अन्य नगरों में भी भयानक आतंक फैला दिया था. फिर भी पंजाब  लैफ्टिनेंट गवर्नर ने आवश्यक समझा कि अमृतसर में और अन्य कुछ स्थानों पर मार्शल लॉ अथवा सैनिक कानून लगा दिया जाए. … Read More

1857 से पूर्व के महत्त्वपूर्ण विद्रोह

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आपने 1857 के विद्रोह के विषय में लिखे हुए हमारे पोस्ट को पढ़ा ही होगा. आज हम 1857 ई. से पूर्व हुए महत्त्वपूर्ण विद्रोहों की चर्चा करेंगे – संन्यासी विद्रोह 1770 इस संन्यासी विद्रोह का उल्लेख बंकिम चन्द्र चटर्जी ने अपने उपन्यास “आनंदमठ” में किया है. तीर्थ स्थानों पर लगे प्रतिबंधों से संन्यासी लोग बहुत क्षुब्ध हुए. संन्यासियों के बीच अन्याय के … Read More

गुरु नानक देव की संक्षिप्त जीवनी और शिक्षाएँ

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आज हम गुरु नाना देव की जीवनी और उनके द्वारा दी गई अमृततुल्य शिक्षाओं के बारे में पढेंगे. चलिए पहले जानते हैं कि गुरु नानक जी का प्रारंभिक जीवन कैसा था. गुरु नानक का प्रारंभिक जीवन सिख धर्म के प्रणेता गुरु नानक देव रावी के तट पर स्थित तलवंडी (आधुनिक ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में नवम्बर 1469 ई. में एक खत्री … Read More

प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746-48 ई.) : कारण एवं परिणाम

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प्रथम कर्नाटक युद्ध : भूमिका मुगलों के पतन के बाद राजनैतिक प्रभुत्व के लिए देशी शासकों के साथ-साथ विदेशी ताकतें भी संघर्षरत हो गयीं. देशी ताकतों में मुख्य रूप से मराठे थे तो विदेशी ताकतों में असली लड़ाई अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच थी. इन दोनों शक्तियों में प्रभुत्व का यह संघर्ष 60-70 साल चला और नेपोलियन के पतन के … Read More

शिवाजी की विजयें और प्रमुख सफलताएँ – List of Conquests

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शिवाजी ने 1645-47 ई. के मध्य जिन तीन किलों पर अधिकार किया वे पहाड़ी दुर्ग थे. कुछ समय बाद (1656 ई. में) उन्होंने जावली (Jawali) पर विजय की. यह विजय शिवाजी के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण विजय थी. इस विजय के बाद – अब उनके लिए अपने राज्य को दक्षिण-पश्चिम में फैलाना आसान हो गया. यहाँ से प्राप्त सैनिक (मालवी सैनिक) … Read More