मनसबदारी व्यवस्था क्या थी? Mansabdari System in Hindi

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मुगलों द्वारा विकसित मनसबदारी व्यवस्था (Mansabdari System) ऐसी थी जिसका भारत के बाहर कोई उदाहरण नहीं मिलता. मनसबदारी व्यवस्था की उत्पत्ति संभवतः विश्वविख्यात  मंगोल विजेता और आक्रमणकारी चंगेज खां के काल में हुई थी जिसने अपनी सेना को दशमलव के आधार पर संगठित किया था. इसमें सबसे छोटा एकांश (unit या इकाई) दस का था और सबसे ऊँचा दस हजार … Read More

पल्लव कौन थे? पल्लव वंश के शासक और उनकी उपलब्धियाँ

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पल्लव कौन थे? प्रायः इसके बारे में कहा जाता है कि ये लोग स्थानीय कबीलाई थे. पल्लव का अर्थ होता है “लता” और यह तमिल शब्द “टोंडाई” का रूपांतरण है जिसका अर्थ भी लता होता है. इसलिए इन्हें मूलतः लताओं के प्रदेश का निवासी कहा जाता है. कुछ इतिहासकार उन्हें विदेशी-पहलव मानते हैं. इस मत का समर्थन करते हुए वे … Read More

प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746-48 ई.) : कारण एवं परिणाम

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प्रथम कर्नाटक युद्ध : भूमिका मुगलों के पतन के बाद राजनैतिक प्रभुत्व के लिए देशी शासकों के साथ-साथ विदेशी ताकतें भी संघर्षरत हो गयीं. देशी ताकतों में मुख्य रूप से मराठे थे तो विदेशी ताकतों में असली लड़ाई अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच थी. इन दोनों शक्तियों में प्रभुत्व का यह संघर्ष 60-70 साल चला और नेपोलियन के पतन के … Read More

शिवाजी की विजयें और प्रमुख सफलताएँ – List of Conquests

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शिवाजी ने 1645-47 ई. के मध्य जिन तीन किलों पर अधिकार किया वे पहाड़ी दुर्ग थे. कुछ समय बाद (1656 ई. में) उन्होंने जावली (Jawali) पर विजय की. यह विजय शिवाजी के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण विजय थी. इस विजय के बाद – अब उनके लिए अपने राज्य को दक्षिण-पश्चिम में फैलाना आसान हो गया. यहाँ से प्राप्त सैनिक (मालवी सैनिक) … Read More

पूना सार्वजनिक सभा 1870 ई. के विषय में विस्तृत जानकारी

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पूना सार्वजनिक सभा (मराठी – पुणे सार्वजनिक सभा) की स्थापना 2 अप्रैल, 1870 ई. को महादेव गोविंद रानडे ने की थी. पूना सार्वजनिक सभा सरकार और जनता के बीच मध्यस्थता कायम करने के लिए बनाई गई थी. भवनराव श्रीनिवास राव इस संस्था के प्रथम अध्यक्ष थे. बाल गंगाधर तिलक, गोपाल हरि देशमुख, महर्षि अण्णासाहेब पटवर्धन जैसे कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने इस संगठन के … Read More

बटलर समिति के बारे में जानें – Butler Committee 1927 in Hindi

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प्रथम विश्वयुद्ध के समय में देशी शासकों ने ब्रिटिश सरकार की बहुमूल्य सहायता की थी. युद्ध के अंत होने पर भारत में उत्तरदायी शासन के विकास की योजना बनाई गई. फलतः देशी शासकों और ब्रिटिश सरकार के बीच के सम्बन्ध की व्याख्या करने और ब्रिटिश सार्वभौम सत्ता को पारिभाषित करने की जरूरत महसूस हुई. फलतः 1927 ई. में इसकी जाँच … Read More

अशोक के शासनकाल का घटनाक्रम – Timeline of Ashoka’s Regime

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इस पोस्ट के जरिये अशोक के राज्यारोहण से लेकर उसके शासनकाल के वर्षों के घटनाओं का उल्लेख करने का प्रयास किया गया है. साथ में अशोक के शिलालेखों का सन्दर्भ भी दिया गया है. Timeline of Ashoka’s Regime अशोक का राज्यारोहण पिता बिंदुसार के निधन के उपरान्त मगध के सिंहासन पर 268 ई.पू. में हुआ. अशोक के शासन के 8वें … Read More

शिवाजी की जीवनी – Biography of Shivaji Maharaj

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शिवाजी का जन्म शाहजी भोंसले की प्रथम पत्नी जीजाबाई की कोख से 10 अप्रैल, 1627 ई. को शिवनेर के दुर्ग में हुआ था. शिवनेर का दुर्ग पूना से उत्तर जुन्नार नगर के पास था. उनकी जन्म-तिथि के सम्बन्ध में इतिहासकारों के बीच मतभेद है. कई जन्म-तिथियों का उल्लेख किया गया है जिनमें 20 अप्रैल, 1627, 19 फरवरी 1630 और 9 … Read More

सिन्धु घाटी सभ्यता और वैदिक सभ्यता के मध्य अंतर

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आज हम सिन्धु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) और वैदिक संस्कृति (Vedic period culture) के मध्य अंतर स्थापित करने की  कोशिश करेंगे. सिन्धु सभ्यता और ऋग्वैदिक सभ्यता के मध्य अंतर  ऋग्वैदिक सभ्यता ग्रामीण संस्कृति लगती है जबकि सिन्धु सभ्यता के लोग सुनियोजित नागरिक जीवन से भलीभाँति परिचित थे. आर्य धातुओं में सोने और चाँदी से परिचित थे और यजुर्वेद में … Read More

जैन तीर्थंकरों के बारे में कुछ तथ्य – Jainism

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नीचे 24 जैन तीर्थंकरों के विषय में details दिए गए हैं. अक्सर परीक्षाओं में जैन धर्म से जुड़े सवाल आते रहते हैं. कभी जैन मत, जैन साहित्य, जैन धर्म के इतिहास आदि के बारे में पूछ लिया जाता है तो कभी जैन तीर्थंकरों के जीवन, उपदेश आदि से सम्बंधित सवाल आ जाते हैं. इसलिए मैंने यह Jain Tirthankara की लिस्ट … Read More