चोल साम्राज्य और इस वंश के शासक – The Chola Empire

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चोल साम्राज्य

आज हम चोल साम्राज्य के विषय में पढेंगे. जानेंगे इस वंश का उदय और पतन कैसे हुआ, इस वंश के राजा कौन थे. इस पोस्ट को आगे भी update किया जाएगा जिसमें हम Chola’s government (केन्द्रीय शासन), न्याय प्रणाली, आय-व्यय के साधन, कला और संस्कृति के विषय में भी जानेंगे. चलिए जानते हैं Chola Empire के सभी details in Hindi. … Read More

बौद्ध साहित्य – जातक, पिटक, निकाय आदि शब्दावली

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प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत के रूप में बौद्ध साहित्य का विशेष महत्त्व है. इसमें जातक, पिटक और निकाय आदि आते हैं. चलिए जानते हैं बौद्ध साहित्य से सम्बंधित कुछ ऐसी ही शब्दावली के विषय में जो परीक्षा में अक्सर पूछे जाते हैं. जातक बौद्ध साहित्य का सबसे प्राचीन अंग कथाएँ हैं. जातकों की संख्या 547 है. जातक में भगवान् … Read More

[Prelims Part 1] प्राचीन भारतीय इतिहास के स्मरणीय तथ्य

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आपके साथ आज प्राचीन भारतीय इतिहास के स्मरणीय तथ्य share करने जा रहा हूँ जो आपके आगामी Civil Services Prelims परीक्षा में काम आयेंगे. Ancient History Valuable Facts प्राचीन भारत का इतिहास जानने के लिए “पुराण” एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है. इसका अर्थ है प्राचीन. इसकी संख्या 18 है. इससे प्राचीन राजवंशों और भारत के भूगोल की जानकारी मिलती है. पुराण … Read More

1857 से पूर्व के महत्त्वपूर्ण विद्रोह

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आपने 1857 के विद्रोह के विषय में लिखे हुए हमारे पोस्ट को पढ़ा ही होगा. आज हम 1857 ई. से पूर्व हुए महत्त्वपूर्ण विद्रोहों की चर्चा करेंगे – संन्यासी विद्रोह 1770 इस संन्यासी विद्रोह का उल्लेख बंकिम चन्द्र चटर्जी ने अपने उपन्यास “आनंदमठ” में किया है. तीर्थ स्थानों पर लगे प्रतिबंधों से संन्यासी लोग बहुत क्षुब्ध हुए. संन्यासियों के बीच अन्याय के … Read More

भारतीय मंदिरों के स्थापत्य की नागर, द्रविड़ और वेसर शैलियाँ

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पूर्व मध्यकालीन शिल्पशास्त्रों में मंदिर स्थापत्य की तीन बड़ी शैलियाँ बताई गई हैं – नागर शैली, द्रविड़ शैली और वेसर शैली. नागर शैली – नागर शैली का प्रचलन हिमालय और विन्ध्य पहाड़ों के बीच की धरती में पाया जाता है. द्रविड़ शैली – द्रविड़ शैली कृष्णा और कावेरी नदियों के बीच की भूमि में अपनाई गई. वेसर शैली – वेसर … Read More

गुरु नानक देव की संक्षिप्त जीवनी और शिक्षाएँ

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आज हम गुरु नाना देव की जीवनी और उनके द्वारा दी गई अमृततुल्य शिक्षाओं के बारे में पढेंगे. चलिए पहले जानते हैं कि गुरु नानक जी का प्रारंभिक जीवन कैसा था. गुरु नानक का प्रारंभिक जीवन सिख धर्म के प्रणेता गुरु नानक देव रावी के तट पर स्थित तलवंडी (आधुनिक ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में नवम्बर 1469 ई. में एक खत्री … Read More

पल्लव कौन थे? पल्लव वंश के शासक और उनकी उपलब्धियाँ

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पल्लव कौन थे? प्रायः इसके बारे में कहा जाता है कि ये लोग स्थानीय कबीलाई थे. पल्लव का अर्थ होता है “लता” और यह तमिल शब्द “टोंडाई” का रूपांतरण है जिसका अर्थ भी लता होता है. इसलिए इन्हें मूलतः लताओं के प्रदेश का निवासी कहा जाता है. कुछ इतिहासकार उन्हें विदेशी-पहलव मानते हैं. इस मत का समर्थन करते हुए वे … Read More

प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746-48 ई.) : कारण एवं परिणाम

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प्रथम कर्नाटक युद्ध : भूमिका मुगलों के पतन के बाद राजनैतिक प्रभुत्व के लिए देशी शासकों के साथ-साथ विदेशी ताकतें भी संघर्षरत हो गयीं. देशी ताकतों में मुख्य रूप से मराठे थे तो विदेशी ताकतों में असली लड़ाई अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच थी. इन दोनों शक्तियों में प्रभुत्व का यह संघर्ष 60-70 साल चला और नेपोलियन के पतन के … Read More

पूना सार्वजनिक सभा 1870 ई. के विषय में विस्तृत जानकारी

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पूना सार्वजनिक सभा (मराठी – पुणे सार्वजनिक सभा) की स्थापना 2 अप्रैल, 1870 ई. को महादेव गोविंद रानडे ने की थी. पूना सार्वजनिक सभा सरकार और जनता के बीच मध्यस्थता कायम करने के लिए बनाई गई थी. भवनराव श्रीनिवास राव इस संस्था के प्रथम अध्यक्ष थे. बाल गंगाधर तिलक, गोपाल हरि देशमुख, महर्षि अण्णासाहेब पटवर्धन जैसे कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने इस संगठन के … Read More

बटलर समिति के बारे में जानें – Butler Committee 1927 in Hindi

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प्रथम विश्वयुद्ध के समय में देशी शासकों ने ब्रिटिश सरकार की बहुमूल्य सहायता की थी. युद्ध के अंत होने पर भारत में उत्तरदायी शासन के विकास की योजना बनाई गई. फलतः देशी शासकों और ब्रिटिश सरकार के बीच के सम्बन्ध की व्याख्या करने और ब्रिटिश सार्वभौम सत्ता को पारिभाषित करने की जरूरत महसूस हुई. फलतः 1927 ई. में इसकी जाँच … Read More