चेर राजवंश

Sansar LochanAncient History

दक्षिण भारत का तीसरा राज्य चेर या केरल था। इस राज्य का मुख्य केन्द्र मालाबार तट के किनारे का आधुनिक केरल राज्य का एक भाग था। इसमें समुद्र और पर्वतीय क्षेत्रों के मध्य की संकरी भूपर्पटी शामिल थी। यहाँ की उत्पत्ति के बारे में (पाण्ड्य तथा चोलों की तरह) सुनिश्चित रूप से बताना कठिन है। कुछ विद्वानों की राय है … Read More

पाण्ड्य राजवंश

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मेगस्थनीज के विवरण के आधार पर कुछ विद्वानों की राय है कि सुदूर दक्षिण का यह प्राचीनतम राज्य था. उनका प्राचीन राज्य द्रविड प्रदेश के दक्षिण-पूर्व छोर का भाग था. प्रारम्भिक काल में उनका स्थान ताम्रपर्णी के किनारे कोरक नामक स्थान था जो एक अच्छा बन्दरगाह था. कहा जाता है कि यहीं उत्पन्न तीन भाइयों ने तीन स्थानों पर क्रमशः … Read More

वाकाटक वंश – Vakataka Dynasty in Hindi

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उत्तर महाराष्ट्र और विदर्भ (बरार) में सातवाहनों का स्थान वाकाटकों ने लिया. वास्तव में सातवाहनों के पतन एवं छठी शताब्दी के मध्य तक चालुक्य वंश के उदय तक दक्कन में वाकाटक ही सबसे महत्त्वपूर्ण शक्ति थे जिन्होंने दक्षिण एवं कभी-कभी मध्य भारत के कुछ क्षेत्रों पर भी अपनी सत्ता स्थापित रखी. वाकाटक कौन थे ? यह अब भी एक ऐतिहासिक … Read More

गांधार कला : इस शैली की मुख्य विशेषताएँ

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विदेशी राजा भारतीय कला के उत्साही संरक्षक बन गये और उन्होंने इसके प्रचार-प्रसार में वही उत्साह दिखाया जो नए-नए धर्म परिवर्तन करने वालों में होता है. कुषाण साम्राज्य में विभिन्न पद्धतियों (schools) एवं देशों में प्रशिक्षित राज-मिस्त्रियों और एनी दस्तकारों को एक साथ इकठ्ठा किया गया. भारतीय शिल्पकार यूनानियों और रोम वालों के संपर्क में, विशेषकर भारत की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर … Read More

कनिष्क द्वारा बौद्ध धर्म का प्रचार एवं अन्य योगदान

Sansar LochanAncient History

कनिष्क द्वारा बौद्ध धर्म का प्रचार बौद्ध साहित्य के अनुसार कनिष्क अशोक के बाद दूसरा महान बौद्ध सम्राट हुआ है. उसने बौद्ध धर्म को अपनाने के बाद अपने सिक्‍कों पर महात्मा बुद्ध की मूर्ति को प्रधानता दी. कनिष्क भी अशोक तथा हर्ष की तरह उदार धार्मिक दृष्टिकोण रखता था. उसने बौद्ध धर्म के प्रचार तथा प्रसार के लिए निम्नलिखित उपाय … Read More

कुषाण वंश और उसके प्रमुख शासक

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पार्थियन लोगों (पढ़ें > पार्थियन साम्राज्य) के बाद भारत में कुषाण आये, जिन्हें यूचि या तौचेरियन भी कहा जाता है. यूचि कबीला पांच कुलों में विभाजित था. उन्हीं में से एक कुषाण लोगों का था. कुषाण चीन की सीमा पर रहते थे. हुण नामक शक्तिशाली जाति ने उन्हें चीन से खदेड़ दिया. कुषाण लोगों ने शकों को हराकर (पढ़ें > … Read More

भारत में पार्थियन साम्राज्य एवं उसके शासक

Ancient History

शकों के बाद पार्थियन लोग भारत में आए. (शक के बारे में पढ़ें > शक वंश). अनेक भारतीय संस्कृत के मूल पाठों में एक साथ इन दोनों कबीलों के लिए “शक-पहलव” संज्ञा का प्रयोग किया गया है. इस तरह इंडो-पार्थियनों को ‘पहलव (पह्लव)’ कहा गया है. इनके शासन को सुरेन साम्राज्य (Suren Kingdom) के नाम से भी जाना जाता है. पार्थियन भारत में … Read More

शक वंश का इतिहास एवं शासक

Sansar LochanAncient History

बैक्ट्रियनों (भारतीय-यूनानियों) के बाद शक आये (पढ़ें > बैक्ट्रियन). मूलतः शक मध्य एशिया की एक कबीलायी जाति थी. लगभग ई.पू. 165 में उसे यूची नामक एक एनी मध्य एशियाई कबीले ने ही खदेड़ दिया. उनसे पूर्व भारत में आई बक्ट्रियन जाति (जो उस समय शाकल एवं तक्षशिला से उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्रों में राज कर रही थी) पर शकों ने आक्रमण शुरू … Read More

बैक्ट्रियन या भारतीय यूनानी का इतिहास और उनका योगदान

Sansar LochanAncient History

बैक्ट्रियन या भारतीय यूनानी मौर्य साम्राज्य के पतन (184 ई० पू०) के बाद भारत की राजनीतिक एकता समाप्त हो गई. भारत की डांवाडोल राजनीतिक स्थिति का लाभ उठाने के लिए लगभग 200 ई० पू० से अनेक विदेशी शक्तियों ने भारत पर कई आक्रमण किये. सबसे पहले हिन्दुकुश पार करने वालों में यूनानी थे. वे बैक्ट्रिया पर शासन करते थे जो … Read More

मुग़ल काल में चित्रकला का स्थान

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मुगल सम्राट चित्रकला प्रेमी थे. अकबर के काल में इसकी उन्नति आरम्भ हुई और जहाँगीर के काल में यह चर्मोत्कर्ष पर पहुंच गई . इस युग की चित्रकला में भारतीय और ईरानी कला का सुन्दर एवं सुखद समन्वय है. इस काल के सम्राटों ने चित्रकला की ऐसी परम्परा की नींव डाली जो मुगल साम्राज्य के पतन के बाद भी देश … Read More