नूरजहाँ मिर्जा ग्यास बेग की पुत्री थी जो मूलतः एक ईरानी था. नूरजहाँ का असली नाम मेहरुन्निसा था. नूरजहाँ का पिता मिर्जा ग्यास बेग अकबर के काल में आगरा आया और धीरे-धीरे उसने अपनी योग्यता और बुद्धि के बल पर 300 का मनसब प्राप्त किया. कालान्तर में उसे काबुल का दीवान बना दिया गया. नूरजहाँ एक सुन्दर और बुद्धिमान स्त्री … Read More
चेदि वंश
अशोक ने कलिंग युद्ध में विजयी होने के बाद इस राज्य (कलिंग) को मौर्य साम्राज्य में मिलाया था परन्तु अशोक की मृत्यु के बाद अन्तिम मौर्य सम्राटों की कमजोरी से लाभ उठाकर चैत्रराज ने कलिंग को स्वतंत्र कर लिया था. चैत्रराज की तीसरी पीढ़ी में ही खारवेल हुआ जिसका वृतान्त हाथी गुम्फा के शिलालेख में विस्तृत रूप से दिया गया … Read More
ए.ओ. ह्यूम – कांग्रेस के जनक
एलेन ओक्टेवियन ह्यूम कांग्रेस के प्रमुख संस्थापक थे. गांधीजी ने ए.ओ. ह्यूम को कांग्रेस के जनक की संज्ञा दी है. ए.ओ. ह्यूम ए.ओ. ह्यूम स्कॉटलैण्डवासी थे. वे भारतीय लोकसेवा के सदस्य थे. 1870 ई० से 1879 ई० तक भारत सरकार के सचिव के पद पर काम करने के बाद 1880 ई० में उन्होंने सेवा से अवकाश ग्रहण किया था. ह्यूम … Read More
दादाभाई नौरोजी – ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ़ इंडिया
दादाभाई नौरोजी एक महान देशभक्त थे. उन्हें भारत का वयोवृद्ध सेनानी (Grand old man of India) कहा जाता है. कांग्रेस की स्थापना के पूर्व भी दादाभाई नौरोजी ने राष्ट्रीय कल्याण की भावना से प्रेरित होकर सरकार के सामने अनेक प्रश्नों को उठाया था. पट्टाभि सीतारमैया ने लिखा है कि “कांग्रेस के आरम्भ से लेकर जीवनपर्यन्त उसकी सेवा करते रहे, उन्होंने … Read More
सुरेन्द्रनाथ बनर्जी – आधुनिक बंगाल के निर्माता
आधुनिक बंगाल के निर्माता सुरेन्द्रनाथ बनर्जी कांग्रेस के संस्थापकों में एक प्रमुख व्यक्ति थे. सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने सर्वप्रथम 1869 ई० में भारतीय लोकसेवा (आई० सी० एस०) की परीक्षा पास की थी. ब्रिटिश सरकार परीक्षा में सफल होने के बावजूद उन्हें उच्च पद देना नहीं चाहती थी. प्रिवी काउन्सिल में अपील करने के बाद उन्हें मैजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया … Read More
लॉर्ड लिटन की अफगान-नीति और गंडमक की संधि
आशा है कि आपने लॉर्ड लिटन की आंतरिक नीति (Domestic Policy) वाला पोस्ट पढ़ लिया होगा. नहीं पढ़ा तो यहाँ पढ़ लें > लॉर्ड लिटन. इस पोस्ट में हम लॉर्ड लिटन की अफगान नीति और गंडमक की संधि क्या थी, उस विषय में पढ़ेंगे. लॉर्ड लिटन की अफगान-नीति (Lord Lytton’s Afghan Policy) प्रथम अफगान युद्ध के बाद 1844 ई० में … Read More
लॉर्ड लिटन (1876-80 ई०) की आंतरिक नीतियाँ
अप्रैल, 1876 ई० में लॉर्ड नॉर्थव्रुक के स्थान पर लॉर्ड लिटन को भारत के गवर्नर-जनरल के पद पर नियुक्त किया गया. उस समय लॉर्ड लिटन के समक्ष दो मुख्य कठिनाइयाँ थीं और उन्हीं के कारण भारत में उसका शासन सफल नहीं हो सका. सर्वप्रथम, गवर्नर-जनरल का पद ग्रहण करने के पहले लिटन को भारत की परिस्थितियों को समझने का अवसर … Read More
लॉर्ड रिपन (1880-1884 ई०) की नीतियाँ एवं सुधार
कम्पनी के शासन समाप्त होने के बाद भारत में जितने भी वायसराय आये, उनमें लॉर्ड रिपन का विशिष्ट स्थान है. वह उदार विचारों का था. वह शान्ति, अहस्तक्षेप तथा स्वायत्त शासन के गुणों में विश्वास रखता था और ग्लैडस्टनयुग का सच्चा उदारपंथी थी. लॉर्ड विलियम बेन्टिंक की भाँति उसने राजनीतिक और सामाजिक सुधार करने में अधिक अभिरुचि दिखलाई. यद्यपि अंगरेज … Read More
पल्लव – चैप्टर 1/Class 11 |Tamil Nadu Board Study Material in Hindi
देखें यह विडियो जिसमें Tamil Nadu Board की 11वीं क्लास के चैप्टर “दक्षिण भारत का साम्राज्य – पल्लव 1(A)” का जिक्र किया गया है. इतिहास का यह चैप्टर आपकी परीक्षा के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है.
लिच्छवि साम्राज्य
वृज्जि या वज्जि संघ 16 महाजनपदों में से एक था. यदि आपने महाजनपद के बारे में नहीं पढ़ा, तो यह पोस्ट पढ़ें > महाजनपद. यह महाजनपद मगध के उत्तर में स्थित था. यह संघ आठ कुलों के संयोग से बना था और इनमें चार (विदेह, ज्ञातृक, वज्जि तथा लिच्छवि) कुल अधिक प्रमुख थे. वैशाली इस संघ की राजधानी थी. लिच्छवि … Read More