पल्लव वंश के नरेश कला प्रेमी थे. उन्होंने 7वीं सदी से 10वीं सदी तक राज किया. उनकी वास्तुकला के सर्वोत्कृष्ट उदाहरण कांची तथा महाबलिपुरम में पाए जाते हैं. कुछ उदाहरण तंजौर प्रदेश तथा पुडुकोट्टई में भी मिलते हैं. मंदिर और मूर्तिकला के क्षेत्र में उनकी अपनी एक विशेष देन है. उन्होंने चट्टानों को काटकर और पत्थर ईंट के भी बड़े … Read More
अलबरूनी का भारत वर्णन – Alberuni’s Description of India
अबु रेहान अलबरूनी, जिसका असली नाम मुहम्मद बिन अहमद था, रवीवा (आजकल रवीवा रूस का एक प्रसिद्ध नगर है) का निवासी था वह 973 ई. में पैदा हुआ. वह एक एक फ़ारसी विद्वान लेखक, वैज्ञानिक, धर्मज्ञ तथा विचारक था. जब महमूद गजनवी ने 1037 ई. में रवीवा प्रदेश (जो उस समय ख्वारिज्म राज्य में था) को जीता तो महमूद ने … Read More
हड़प्पा संस्कृति एवं सामाजिक-आर्थिक जीवन
हड़प्पा सभ्यता भारत को प्रथम प्रमाणित सर्वश्रेष्ठ सभ्यता है. इसके लिए साधारणतः दो नामों का प्रयोग होता है: “सिन्धु-सभ्यता” या “सिन्धु घाटी की सम्यता” और हड़प्पा संस्कृति. ये दोनों नाम पर्यायवाची हैं एवं इनका समान अर्थ हैं. हड़प्पा का नामकरण इनमें से प्रत्येक शब्द की एक विशिष्ट पृष्ठभूमि है. सिन्धु हमारे देश की एक नदी है जो हिमालय पर्वत से … Read More
गुप्त साम्राज्य – Gupta Empire के प्रमुख शासक
चौथी शताब्दी में उत्तर भारत में एक नए राजवंश का उदय हुआ. इस वंश का नाम गुप्तवंश था. इस वंश ने लगभग 300 वर्ष तक शासन किया. इस वंश के शासनकाल में अनेक क्षेत्रों का विकास हुआ. इस वंश के संस्थापक श्रीगुप्त थे. गुप्त वंशावली में श्रीगुप्त, घटोत्कच, चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, रामगुप्त, चन्द्रगुप्त द्वितीय, स्कन्दगुप्त जैसे शासक हुए. इस वंश … Read More
सातवाहन वंश
आज इस पोस्ट के माध्यम से हम सातवाहन वंश की पूरी जानकारी आपके साथ साझा करने वाले हैं. ‘सातवाहन’ शब्द का उल्लेख प्राचीन ग्रन्थों में है. इस शब्द की अनेक व्याख्याएँ प्राप्त होती हैं. कथा सरित्सागर में ‘सात’ नामक यक्ष पर चढ़ने वाले को सातवाहन कहा गया है. लेकिन इस व्याख्या को मनगढ़न्त बताया जाता है. चौदहवीं शताब्दी ई० में … Read More
अकबर के काल में वास्तुकला, चित्रकला और संगीत कला
अकबर के काल में मुगलों द्वारा लाई गई तुर्की-ईरानी संस्कृति तथा मुगलों से पूर्व विद्यमान भारतीय संस्कृति का बड़ी तेजी से समन्वय हुआ. इस काल में भारत के सांस्कृतिक विकास में विभिन्न भागों, जातियों तथा मतों के लोगों ने विभिन्न प्रकार से योगदान दिया था. अगर यह कहा जाए कि अकबर के काल में सांस्कृतिक विकास सही अर्थों में राष्ट्रीय … Read More
कोणार्क सूर्य मंदिर से सम्बंधित जानकारियाँ
पिछले दिनों विशेषज्ञों के एक द्विदिवसीय सम्मेलन के पश्चात केन्द्रीय संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने बताया कि कोणार्क के 800 वर्ष पुराने सूर्य मंदिर का जीर्णोद्धार और संरक्षण किया जाएगा. पृष्ठभूमि कोणार्क मंदिर को सुदृढ़ता प्रदान करने के लिए 1903 में ब्रिटिशों ने इस मंदिर को बालू से भर दिया था और बंद कर दिया था. कालांतर में 2013 … Read More
हम्पी के बारे में कुछ मुख्य तथ्य
कर्नाटक सरकार द्वारा हम्पी स्थल के आस-पास के रेस्त्राँओं को ध्वस्त करने के निर्णय का सर्वोच्च न्यायालय ने समर्थन किया है क्योंकि ये रेस्त्राँ मैसूर प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारक तथा पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1961 (Mysore Ancient and Historical Monuments and Archaeological Sites and Remains Act of 1961) का उल्लंघन करके बनाए गये थे. पृष्ठभूमि यह मामला कर्नाटक उच्च … Read More
बृहदेश्वर मंदिर में कुंभाभिषेकम – संस्कृत Vs. तमिल विवाद
कुंभाभिषेकम 1,010 वर्ष पुराने तंजावुर के बृहदेश्वर मंदिर में कुंभाभिषेकम आयोजित हो रहा है. यह आयोजन 23 वर्षों से रुका हुआ था क्योंकि शुद्धीकरण की प्रक्रिया के विषय में महाराष्ट्र उच्च न्यायालय में मामला अटका हुआ था और इस पर जनवरी 31 को ही निर्णय आया है. विवाद क्या था? विवाद इस बात को लेकर था कि कुंभाभिषेकम में पढ़े … Read More
नगरधन उत्खनन : वाकाटक वंश के सन्दर्भ में इसका महत्त्व
नागपुर के निकट नगरधन में हुई पुरातात्विक खुदाइयों से रानी प्रभावतीगुप्त के अधीन वाकाटक शासन के समय के जीवन, धार्मिक धारणाओं और व्यापारिक प्रथाओं का पता चलता है. खुदाई में पाई गई महत्त्वपूर्ण वस्तुएँ एक अंडाकार मुहर मिली है जो उस समय की है जब प्रभावतीगुप्त वाकाटक वंश की रानी थी. इस मुहर में उस रानी का नाम ब्राह्मी लिपि … Read More