जब कोई प्रस्ताव संसद में कानून बनाने के लिए रखा जाता है, तो उसे विधेयक कहते हैं. विधेयक भी दो प्रकार का होता है – साधारण विधेयक (ordinary bill) और धन विधेयक (money bill). दोनों विधेयकों में अंतर है. धन विधेयक (money bill) को छोड़कर अन्य विधेयक साधारण विधेयक (ordinary bill) कहे जाते हैं. अतः, धन विधेयकों को समझ लेने … Read More
भारत का उपराष्ट्रपति : Vice-President of India in Hindi
आज हम भारत के उपराष्ट्रपति के कार्यकाल, कार्य, वेतन, नियुक्ति, कृत्य तथा अधिकार के विषय में पढेंगे. उपराष्ट्रपति की सूची और उसके चुनाव के विषय में भी जानेंगे. अमेरिका के संविधान से प्रभावित होकर हमारे संविधान ने भी उपराष्ट्रपति (Vice-President) के पद की व्यवस्था की है. संविधान के अनुसार, भारत का एक राष्ट्रपति होगा. उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों की एक … Read More
संविधान का 74th संशोधन अधिनियम, 1992
1992 ई. में संविधान का 74वाँ संशोधन हुआ और संविधान में एक नया भाग IX A जुट गया. इसके अंतर्गत नगरपालिकाओं के संगठन एवं कार्य के सम्बन्ध में एक निश्चित दिशा-निर्देश दिया गया है. इसके अनुसार नगरपालिकाओं की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया जा सकता है – Main characteristics of the municipalities according to 74th Amendment Act i) प्रत्येक राज्य … Read More
मौलिक अधिकारों और नीति-निर्देशक तत्त्वों में अंतर
स्वतंत्रताप्राप्ति के बाद भारत के सामने सबसे बड़ी समस्या थी – संविधान का निर्माण करना. इस उद्देश्य से संविधान सभा का गठन किया गया. संविधान-निर्माताओं ने देश की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर अनेक प्रावधान (provisions) किए. देश अनेक आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थतियों से जूझ रहा था. इन परिस्थितियों पर काबू पाना आवश्यक था. नागरिकों को अनेक मौलिक अधिकार अपने विकास … Read More
पंचायती राज – ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद्
भारतीय संविधान में शासन चलाने से सम्बन्धित कुछ निर्देशक सिद्धांतों का भी उल्लेख है. इन्हें Directive Principles of State Policy कहते हैं. इन सिद्धांतों में से एक सिद्धांत यह है कि भारत की सरकार देश में ग्राम स्वशासन के दिशा में कार्रवाई करे. इस निर्देश के अनुपालन के लिए 1992 में संविधान में 73वाँ संशोधन किया गया. भारत में 24 … Read More
राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्व (Directive Principles) के विषय में जानें
संविधान के चतुर्थ अध्याय में राज्यों के लिए कुछ निर्देशक तत्त्वों (directive principles) का वर्णन है. ये तत्त्व आयरलैंड के संविधान से लिए गए हैं. ये ऐसे उपबंध हैं, जिन्हें न्यायालय का संरक्षण प्राप्त नहीं है. अर्थात्, इन्हें न्यायालय के द्वारा बाध्यता नहीं दी जा सकती. तब प्रश्न यह उठता है कि जब इन्हें न्यायालय का संरक्षण प्राप्त नहीं है, … Read More
राष्ट्रपति का निर्वाचन, शक्ति, कार्यकाल और विशेषाधिकार
भारत के संविधान में औपचारिक रूप से संघ की कार्यपालिका की शक्तियाँ राष्ट्रपति को दी गयी है. पर वास्तव में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बनी मंत्रिपरिषद् के माध्यम से राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रयोग करता है. वह पाँच वर्ष के लिए चुना जाता है. राष्ट्रपति पद के लिए सीधा जनता के द्वारा निवार्चन नहीं होता. उसका निर्वाचन अप्रत्यक्ष तरीके से होता … Read More
भारतीय संविधान की प्रस्तावना के मुख्य सिद्धांत – Preamble in Hindi
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में निहित मुख्य सिद्धांत हैं:– Main Principles of the Preamble in the Indian Constitution 1. प्रस्तावना (Preamble) में संविधान के स्रोत का उल्लेख है और कहा गया है– “हम, भारत के लोग …..संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित तथा आत्मार्पित करते हैं.” इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि संविधान का निर्माण भारतीय जनता के द्वारा किया है. इस प्रकार … Read More
Article 370: बैकग्राउंड और महत्त्वपूर्ण तथ्य: J&K vs. India
हम आज 370 आर्टिकल को लेकर बात करेंगे । भारतीय संविधान की धारा 370 जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करती है. Article 370 के पक्ष और विपक्ष में बोलने वाले आपको कई लोग मिलेंगे. विरोध करने वालों के पास भी पर्याप्त आधार है और इस आर्टिकल के पक्ष में बोलने वालों के पास भी पर्याप्त आधार है। किसी को लगता है … Read More
TOP 7 Facts of आरक्षण
1. संविधान के अनुच्छेद 15-16 में पिछड़े वर्गों के लिए विशेष सामाजिक और आर्थिक व्यवस्थाएँ की गयी हैं. 2. कुछ वर्गों के लिए विशेष प्रावधानों का उद्देश्य संविधान के अनुच्छेद 46 में स्पष्ट किया गया है – “राज्य जनता के दुर्बलतम अंगों के, विशेषतया अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के, शिक्षा तथा अर्थ सम्बंधित हितों की रक्षा करेगा और … Read More