विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में ताइवान को शामिल करने के लिए अमेरिकी सांसदों ने 60 से अधिक देशों से समर्थन का आह्वान किया है.
विवाद क्या है?
चीन ताइवान को चीन का हिस्सा मानता है और इसलिए उस देश को WHO का सदस्य बनाने के प्रयासों पर आपत्ति करता है. इसी महीने WHO के निर्णायक निकाय – विश्व स्वास्थ्य सभा – की मंत्रिस्तरीय बैठक होने वाली है. ताइवान इस बैठक में शामिल होना चाहता है.
चीन-ताइवान सम्बन्ध : वन चाइना पॉलिसी
- चीनी गृह युद्ध के पश्चात् साम्यवादी शक्तियों ने वहाँ के राष्ट्रीय दल Kuomintang को पराजित कर दिया था और 1949 में उसके नेताओं को फार्मोसा (ताइवान का पुराना नाम) भागने के लिए मजबूर कर दिया था. तब से चीन का प्रण रहा है कि आज न कल वह ताइवान को मुख्य चीन में मिला लेगा.
- चीन वन चाइना नीति (One China policy) का अनुसरण करता है और ताइवान को नकारता है.
- यदि कोई देश चीन के साथ कूटनीतिक सम्बद्ध स्थापित करता है तो उसको ताइवान से औपचारिक रिश्ता तोड़ देना पड़ता है.
- अनौपचारिक ढंग से ताइवान से रिश्ता बनाये हुए हैं. अमेरिका और ताइवान का अनौपचारिक रिश्ता अत्यंत सुदृढ़ है और अमेरिका ताइवान को हथियार भी बेचता है. भारत भी ताइवान के साथ कई क्षेत्रों में सहयोग करता है.
- 2010 से भारत “एक चीन की नीति” की पुष्टि करने से मना करता आया है.
- ताइवान विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के अनौपचारिक रूप से सदस्य है, जैसे – विश्व व्यापार संगठन, एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग तथा एशियाई विकास बैंक.
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