विलासितापूर्ण जीवन शैली क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) की वृद्धि हेतु जिम्मेदार है. वायुमंडल में उपस्थित क्लोरोफ्लोरोकार्बन, हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन पृथ्वी की ओजोन परत का क्षरण कर रहे हैं. जिससे ओजोन परत क्षीण हो जायेगी और यह पृथ्वी पर हानिकारक UIV किरणों को उत्सर्जित करेगी. ये किरणें त्वचा एवं आँख से सम्बंधित समस्याओं का कारण बन सकती हैं. UV किरणें फसलों को प्रभावित करने में सक्षम होती हैं. ग्रीनहाउस गैसों उत्सर्जन मुख्यतः जीवाश्म ईंधनों के दहन, उद्योगों, मोटर वाहनों, धान की खेती, रेफ्रीजरेटर, एयर-कंडीशनर आदि से होता है.
यूरोपीय और अमेरिका में एयर कंडीशनर का लगना असामान्य बात कहा जा सकता है क्योंकि हम जानते हैं कि वैसे भी मौसम ठंडा ही होता है. पर आज स्थिति कुछ और है. यहाँ रहने वाली एक बड़ी जनसंख्या अब अपने घरों में एयरकंडीशनर काफी अधिक मात्रा में लगा रही है. वहाँ एयरकंडीशनर बढ़ते हीट वेव के चलते उनके लिए एक अनिवार्य यंत्र बन चुका है.
एक आँकड़े के अनुसार अमेरिका का लगभग 60% हिस्सा हीट वेव की चपेट में है. जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड जैसे ठन्डे कहे जाने वाले देशों में रिकॉर्ड तोड़ उच्च तापमान देखा जा रहा है. जुलाई 30 को ब्रिटेन के मौसम विभाग ने इस बात की पुष्टि की कि वहाँ हाल में हुआ 38.7 डिग्री सेल्सियस तापमान देश के इतिहास का सबसे अधिक तापमान है.
जुलाई 2019 में निर्गत यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ सेंसस ब्यूरो ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की कि देश में तीव्रता से बढ़ रहे हीट वेव के कारण घरों में एयरकंडीशनर लगाने की परम्परा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. आँकड़े के अनुसार वर्ष 1974 में मात्र 65% नए घरों में एयरकंडीशनिंग की व्यवस्था की गई थी, परन्तु 2018 में इस संख्या में 94% का उछाल आया.
अमेरिका के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में एयरकंडीशनिंग पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है और वहाँ प्राकृतिक वातानुकूलन या पारंपरिक कूलर का प्रयोग नगण्य हो चुका है.
जर्मनी ने भी रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन करते हुए 2018 को सबसे अधिक गर्म वर्ष घोषित किया. 1881 के बाद सीधे 2018 में जर्मनी में सर्वाधिक तापमान देखा गया. वहाँ के व्यापारी संगठन ने एयर कंडीशिनिंग के बारे में हाल ही में कहा है कि देश में इस वर्ष 15% एयरकंडीशनर का विक्रय बढ़ा है जो स्वयं में एक रिकॉर्ड है. जर्मनी में करीब 2 लाख एयरकंडीशनिंग बेचे गये.
ऊर्जा विशेषज्ञ इसे सामान्य घटना बता रहे हैं. उनके अनुसार, जिन क्षेत्रों में भी गर्मी या हीट वेव में वृद्धि होती है तो उन क्षेत्रों में सामान्य क्षेत्रों की तुलना में शीतलन के लिए अधिक ऊर्जा की खपत होती है.
इंटरनेशनल एनर्जी एसोसिएशन (IIA) के अनुसार, विश्व की जनसंख्या का एक बड़ा भाग (280 करोड़) गर्म देशों में रहता है और इन देशों का औसत तापतान 25 डिग्री सेल्सियस है. IIA के अनुसार, कूलिंग सर्विस अब एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है, विशेषकर विकासशील देशों में, जहां एयर कंडीशनर को आज भी एक लक्ज़रियस उत्पाद माना जाता है.
विकासशील देशों में 10% से भी कम परिवार एयर कंडीशनर का प्रयोग कर पाते हैं. जबकि दूसरी तरफ, जापान, अमेरिका जैसे देशों में 90% घरों में एयरंडीकशनर विद्यमान है. परन्तु दोनों ही स्थिति में एयर कंडीशनर का प्रयोग बढ़ने की संभावना है.
IIA के आँकड़े बताते हैं कि वर्ष 2050 तक गर्म देशों में रह रहे लगभग 250 करोड़ लोगों के पास अपने-अपने घर में कम से कम एक एयर कंडीशनर होगा. आज की तिथि में लगभग 190 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्हें एसी की आवश्यकता तो है, परन्तु उनके पास आर्थिक अभाव के कारण AC नहीं है. कयास लगाया जा रहा है कि 2050 तक गर्म देशों में रह रहे लगभग 75% एसी का प्रयोग प्रारम्भ कर देंगे.
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो कि 2050 तक लगभग 72 करोड़ नए लोग या लगभग 17 करोड़ नए घरों में एयर कंडीशनर का प्रयोग होने लगेगा जो वर्ष 2100 तक संभवतः 160 करोड़ तक पहुँच जाएगी, जो भारत और ब्राजील की कुल जनसंख्या के बराबर होगी. फलस्वरूप बिजली की मांग 105 टेरावॉट प्रति घंटा हो जाएगी, इसमें 45 फीसदी हिस्सा एसी की खपत का होगा. यद्यपि अभी भी लाखों लोगों तक बिजली नहीं पहुँच पाई है, तथापि डीजल जनरेटर के प्रयोग में भी वृद्धि होगी. फलस्वरूप कार्बन उत्सर्जन के साथ-साथ घरों का खर्च भी बढ़ेगा.
लू का प्रकोप
यदि मैदानों में किसी स्थल में अधिकतम तापमान कम से कम 40°C हो जाए तो उसे लू की अवस्था कहते हैं. इसी प्रकार यदि समुद्र तटीय स्थलों में अधिकतम तापमान 37°C और पहाड़ी क्षेत्रों में 30°C हो जाए तो कहा जाएगा कि वहाँ लू का प्रकोप है.
भारत में लू की स्थिति
- 2014-17 से भारत में लू चलने का औसत समय 3 से 4 दिन था जबकि विश्व-भर में यह औसत 8-1.8 दिन ही होता है. ध्यान देने योग्य बात है कि 2016 से भारत में लोगों को लू लगने के लगभग 60 मिलियन मामले सामने आये थे जोकि 2012 की तुलना में 20 मिलियन अधिक है.
- हाल ही में एक प्रतिवेदन आया है जो कहता है कि भारत उन देशों में से एक है जहाँ जलवायु परिवर्तन के चलते सामाजिक और आर्थिक क्षति सर्वाधिक होती है. इस कारण भारत ने 2017 में 75,000 मिलियन श्रम घंटे खोये थे जबकि 2000 में इस प्रकार गँवाए गये श्रम घंटों की संख्या 43,000 मिलियन थी.
- गर्म हवाओं का सबसे अधिक दुष्प्रभाव कृषि प्रक्षेत्र पर होता है क्योंकि औद्योगिक एवं सेवा प्रक्षेत्रों में काम करने वालों की तुलना में किसान तापमान का अधिक सामना करने को विवश होते हैं.
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने प्रतिवेदित किया है कि 1901 से लेकर 2007 के बीच देश में औसत तापमान में5°C से अधिक वृद्धि हुई थी.
भारत और अन्यत्र लू के खतरे क्यों बढ़ रहे हैं?
- शहरी क्षेत्रों में अधिक से अधिक कंक्रीट फर्श होने और कम वृक्ष होने के कारण तापमान बढ़ जाता है.
- शहरों के तापमान के कारण आस-पास का तापमान 3-4°C अधिक अनुभव होने लगता है.
- विश्व-भर में पिछले 100 वर्षों से तापमान 8°C के औसत से बढ़ता आया है और रात्रिकालीन तापमान भी बढ़ रहा है.
- जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि का शिखर-स्तर और उसके टिके रहने समय लगातार बढ़ रहा है.
- मध्यम-उच्च गर्म हवा के क्षेत्र में पराबैंगनी किरणों का तीव्र होना भी गर्म हवाओं का एक कारण है.
वैश्विक शीतकरण नवाचार शिखर सम्मेलन
गत वर्ष नई दिल्ली में वैश्विक शीतकरण नवाचार शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इस सम्मेलन का आयोजन संयुक्त रूप से भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा रॉकी माउंटेन इंस्टिट्यूट, अलायन्स फॉर एन एनर्जी एफ़ीसिएंट इकॉनमी (AEEE), कंजर्वेशन X लैब्स और CEPT यूनिवर्सिटी ने संयुक्त रूप से किया था. इस शिखर सम्मेलन में कमरों में लगाए जाने वाले वातानुकूलन मशीनों की बढ़ती माँग से उत्पन्न जलवायविक खतरे के समाधान के लिए ठोस उपायों पर चर्चा की गई थी. इस सम्मेलन में ग्लोबल कूलिंग प्राइज नामक पुरस्कार का अनावरण भी हुआ. यह पुरस्कार उसे दिया गया जो आवासों में ऐसे वातानुकूलन मशीनों का आविष्कार करेंगे जो आजकल की ऐसी मशीनों की तुलना में जलवायु पर कम-से-कम 5 गुना कम दुष्प्रभाव डालते हों. इस पुरस्कार से विश्व का ध्यान आवासीय वाताकुलन से होने वाले दुष्प्रभाव की ओर खींचा गया. इस पुरस्कार से अनुसंधानकर्ताओं को इस बात का प्रोत्साहन मिला कि वे समाज और अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर नवाचार की ओर प्रवृत्त हों.
वैश्विक शीत गठबंधन
हाल ही में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में 2030 एजेंडा और पेरिस समझौते के बीच तालमेल के विषय में आयोजित पहले वैश्विक सम्मेलन में स्वच्छ एवं कारगर शीतलीकरण के बारे में प्रथम वैश्विक गठबंधन का अनावरण किया गया. इसे वैश्विक शीत गठबंधन का नाम दिया गया.
- वैश्विक शीत गठबंधन वह संयुक्त मोर्चा है जो किगाली संशोधन, पेरिस समझौते और सतत विकास लक्ष्यों के अंतर्गत की गई कार्रवाइयों को जोड़ता है.
- उद्देश्य :- इसका उद्देश्य महत्त्वाकांक्षा की प्रेरणा देना, समाधानों का पता लगाना, स्वच्छ एवं कारगर शीतलीकरण की दिशा में प्रगति को तेज करने के लिए कार्यकलाप को बढ़ावा देना.
- समर्थन :- इस गठबंधन के पीछे संयुक्त राष्ट्र संघ का समर्थन तो है ही, जो अन्य संस्थाएँ इसका समर्थन करती हैं, वे हैं – जलवायु एवं स्वच्छ वायु गठबंधन, किगाली शीतलीकरण कार्यकुशलता कार्यक्रम तथा सब के लिए सतत ऊर्जा (Sustainable Energy for All – SEforALL).
- गठबंधन का स्वरूप :-इस गठबंधन में चिली, रवांडा और डेनमार्क के सरकारी अधिकारियों के अतिरिक्त सिविल सोसाइटी, अनुसंधान संस्थाओं तथा शैक्षणिक संस्थाओं के अग्रणी व्यक्ति रहते हैं.
इंडिया कुलिंग एक्शन प्लान
हाल ही में भारत सरकार ने इंडिया कुलिंग एक्शन प्लान अर्थात् भारत की शीतलीकरण कार्य योजना का अनावरण किया गया. इस प्रकार भारत विश्व का पहला ICAP निर्गत करने वाला देश बन गया है.
- इस योजना का समग्र लक्ष्य शीतलीकरण की ऐसी व्यवस्था स्थापित करना है कि जिससे लोगों को आराम तो मिले ही अपितु पर्यावरण पर दुष्प्रभाव न पड़े.
ICAP के लक्ष्य
- सभी प्रक्षेत्रों में शीतलीकरण के माँग को 2037-38 तक 20% से 25 % घटाना.
- 2037-38 तक वातानुकूलन की माँग को 25% से 30% घटाना.
- 2037-38 तक शीतलीकरण पर होने वाले बिजली के खर्च को 25% से 40% घटाना.
- स्किल इंडिया मिशन से तालमेल बिठाते हुए 2022-23 तक सेवा प्रक्षेत्र के एक 1 लाख मिस्त्रियों को प्रशिक्षण और प्रमाण-पत्र देना.
ICAP के मुख्य कार्य
- India Cooling Action Plan (ICAP) ने अपने लक्ष्यों के निर्धारण हेतु अगले 20 वर्षों में शीतलीकरण की आवश्यकता का मूल्यांकन किया है और साथ ही शीतलीकरण के उपयोग को घटाने के लिए आवश्यक नवीनतम तकनीकों पर भी प्रकाश डाला है.
- उन तकनीकों की सूची तैयार करना जिनके माध्यम से शीतलीकरण से सम्बंधित आवश्यकता पूरी हो सके.
- समय-समय पर प्रत्येक प्रक्षेत्र में ऐसे हस्तक्षेप किए जाएँ जिनसे सभी को टिकाऊ शीतलीकरण और ऊष्मीकरण दोनों का लाभ मिल सके.
- शीतलीकरण सेवा से जुड़े मिस्त्रियों के कौशल्य में वृद्धि पर ध्यान देना.
- देश में ही विकसित वैकल्पिक तकनीकों के लिए अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से नवाचार का परिवेश गढ़ना.
ICAP के लाभ
ICAP से न केवल पर्यावरण से सम्बंधित लाभ ही होंगे, अपितु समाज भी लाभान्वित होगा. इस प्रकार के लाभ निम्नलिखित हैं –
- आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और निम्न-आय समूह के लिए बनाए जा रहे घरों में शीतलीकरण उपलब्ध होगा.
- शीतलीकरण की सुविधा टिकाऊ होगी.
- इसमें ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम होगा.
- बेहतर शीतगृहों के कारण किसानों के कृषि-उत्पाद कम सड़ेंगे और इस प्रकार उनकी आमदनी दुगुनी हो जायेगी.
- इस योजना के लागू होने से बेहतर आजीविका और पर्यावरणिक सुरक्षा के लिए कौशल्य-युक्त कार्यबल तैयार होगा.
- वातानुकूलन मशीनों और सम्बंधित उपकरणों के देश में ही निर्माण सेमेक इन इंडिया को बल मिलेगा.
- शीतलीकरण की वैकल्पिक तकनीक के आविष्कार की दिशा में किये जा रहे अनुसंधान में तेजी आएगी.
जिला शीतलीकरण प्रणाली
आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती में भारत का पहला जिला शीतलीकरण प्रणाली लगाई गई.
जिला शीतलीकरण प्रणाली क्या है?
- जिला शीतलीकरण प्रणाली के अन्दर एक केन्द्रीय स्थान पर ठंडा पानी, भाप अथवा गर्म पानी का उत्पादन होता है और तत्पश्चात इन सब को जमीन के अन्दर-अन्दर अथवा छतों के ऊपर-ऊपर पाइप द्वारा कई भवनों तक ले जाया जाता है जिससे वहाँ वातानुकूलन उष्मीकरण और पानी गर्माने की सुविधा मिल सके. इस प्रणाली के अन्दर अलग-अलग भवनों को अपना अलग-अलग वातानुकूलन मशीन, ठंडा करने की मशीन, पानी उबालने की मशीन अथवा भट्ठियाँ लगाने की आवश्यकता नहीं होती.
- जिला शीतलीकरण प्रणाली लागत की दृष्टि से भी सुविधाजनक है. साथ ही यह विश्वसनीय, लचीली और पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ भी होती है.
- यदि शीतलीकरण की अन्य प्रणालियों से तुलना की जाए तो जिला शीतलीकरण प्रणाली में ऊर्जा की खपत 50% कम होती है.
- यह प्रणाली कार्बन उत्सर्जन भी कम करती है.
Global Warming Questionnaire
- वह प्रक्रिया जिसमें पृथ्वी से टकराकर लौटने वाली सूरज की किरणों को वातावरण में उपस्थित कुछ गैसें अवशोषित कर लेती हैं, फलस्वरूप पृथ्वी के वायुमण्डलीय तापमान में वृद्धि होती है, क्या कहलाती है? – ग्रीन हाउस गैस
- ग्रीन हाउस प्रभाव का प्रमुख परिणाम क्या है? – वैश्विक उष्णता
- वैश्विक उष्णता का प्रमुख प्रभाव क्या है? – जलवायु परिवर्तन
- कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, क्लोरोफ्लोरोकार्बन, नाइट्रस ऑक्साइड तथा क्षोभमण्डलीय ओजोन किस प्रकार की गैसें हैं? – ग्रीन हाउस गैसें
- यदि ग्रीन हाउस गैसें न होतीं तो पृथ्वी की सतह का तापमान कितना होता? – 18 डिग्री सेल्सियस
- पृथ्वी की सतह का तापमान औसतन कितना माना जाता है? – 15 डिग्री सेल्सियस
- ग्रीन हाउस गैसों में सबसे प्रमुख ग्रीन हाउस गैस कौन-सी है? – कार्बन डाइऑक्साइड
- आमतौर पर जीवाश्म ईंधनों के जलने से कौन-सी ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जित होती है? – कार्बन डाइऑक्साइड
- वैश्विक उष्णता बढ़ाने में कार्बन डाइऑक्साइड का कितना योगदान है? – 55%
- कार्बन डाइऑक्साइड गैस वातावरण में किस दर से प्रति वर्ष बढ़ रही है? – 0.5% प्रति वर्ष
- जैव ईंधनों के जलने से प्रतिवर्ष कितना कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में जुड़ता है? – 5 करोड़ टन
- कार्बन डाइऑक्साइड के प्रमुख अवशोषक कौन हैं? – वन
- वातावरण में 20% कार्बन डाइऑक्साइड के जुड़ाव लिए कौन जिम्मेदार है? – वन विनाश
- वर्तमान में वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की सान्द्रता कितनी है? – 400 PPM से अधिक
- वर्ष 2040 तक इसके कितना बढ़ जाने की संभावना है? – 450 PPM
- वैश्विक उष्णता में भागीदारी की दृष्टि से दूसरी प्रमुख ग्रीन हाउस गैस कौन-सी है? – मीथेन
- वैश्विक उष्णता में मीथेन का योगदान कितना है? – 20% का
- मीथेन किस दर से वातावरण में बढ़ रही है? – 1% प्रति वर्ष
- जैव ईंधन, जीवाश्म ईंधन तथा रासायनिक खादों के अत्यधिक उपयोग से किस ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन होता है? – नाइट्रस ऑक्साइड
- नाइट्रस ऑक्साइड गैस का वैश्विक तापवृद्धि में कितना योगदान है? – 5%
- किस ग्रीन हाउस गैस की तापवृद्धि क्षमता 36 है? – मीथेन
- पिछले सौ वर्षों में किस गैस की 20% बढ़ोतरी हुयी है? – CO2
- कौन-सी गैस पिछले सौ वर्षों में वातावरण में दुगुनी बढ़ गयी है? – मीथेन
- किस गैस के उत्सर्जन के लिए विकासशील देश ज्यादा उत्तरदायी हैं? – मीथेन
- मृदा में रासायनिक खादों पर सूक्ष्मजीवों की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप कौन-सी ग्रीन हाउस गैस ज्यादा निर्मित होती है? – नाइट्रस ऑक्साइड
- क्लोरोफ्लोरोकार्बन किस प्रकार की गैस है? – ग्रीन हाउस गैस
- किस ग्रीन हाउस गैस के प्रमुख स्रोत धान के खेत, दलदली भूमि तथा नम भूमियां हैं? – मीथेन
- गोबर से कौन-सी ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जित होती है? – मीथेन
- नगरीकरण, औद्योगीकरण, कोयला आधारित तापग्रहों की स्थापना तथा बढ़ते परिवहन ने किस ग्रीन हाउस को बढ़ाया है? – CO2
- विलासितापूर्ण जीवन शैली किस ग्रीन हाउस गैस की वृद्धि हेतु जिम्मेदार है? – क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC)
- एयर कंडीशनर, रेफ्रीजरेटर, परफ्यूम आदि से कौन-सी ग्रीन हाउस गैस निकलती है? – CFC
- वातावरण में क्लोरोफ्लोरोकार्बन की वार्षिक वृद्धि दर कितनी है? – 0.4%
- क्लोरोफ्लोरोकार्बन के दो प्रकार हैं, उनके नाम बताइये? – हाइड्रोफ्लोरोकार्बन एवं परफ्लोरोकार्बन
- हाइड्रोफ्लोरोकार्बन का वैश्विक तापवृद्धि में योगदान कितना है? – 6%
- परफ्लोरोकार्बन का वैश्विक तापन में कितना योगदान है? – 12%
- वातावरण में किस गैस की वृद्धि के लिए रासायनिक खाद 70 से 80% तक जिम्मेदार हैं? – नाइट्रस ऑक्साइड
- नाइट्रस ऑक्साइड के उत्पादन में दूसरा प्रमुख योगदान किसका है? – जीवाश्म इंधन का
- पशुओं तथा दीमकों में आंतरिक किण्वन से कौन-सी गैस बनती है? – मीथेन
- वातावरण में लगभग 20% मीथेन गैस की वृद्धि के लिए किस फसल की खेती जिम्मेदार है? – धान की
- कोयला खनन से लगभग कितनी मीथेन वृद्धि होती है? – 6%
- कौन-सी ग्रीन हाउस गैस समतापमण्डलीय ओजोन पट्टी के क्षरण के लिए भी जिम्मेदार है? – नाइट्रस ऑक्साइड
- नाइट्रस ऑक्साइड गैस किस वार्षिक दर से वातावरण में बढ़ रही है? – 0.3%
- औद्योगीकरण ने वातावरण में कितने भाग CFC को बढ़ाया है? – एक चौथाई
- एक अनुमान के अनुसार सन् 2050 तक कौन-सी एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस होगी? – मीथेन गैस
- किस ग्रीन हाउस गैस की उत्पत्ति के लिए विकसित देश अधिक उत्तरदायी हैं? – CFC
- कौन-सी ग्रीन हाउस गैस सामान्यतः सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में बनती है? – ओजोन गैस
- ओजोन गैस का वैश्विक उष्णता में कितने प्रतिशत का योगदान है? – 2%
- ओजोन गैस किस वार्षिक दर से वातावरण में वृद्धिमान है? – 0.5%
- ग्रीन हाउस गैसों ने पृथ्वी के सामान्य औसत तापमान में, जोकि 15 डीग्री सेल्सियस है, में कितने डिग्री सेल्सियस का योगदान दिया है? – लगभग 33 डिग्री सेल्सियस
- क्योटो प्रोटोकॉल का संबंध किससे है? – ग्रीन हाउस उत्सर्जन से
- क्योटो संधि कब सम्पन्न हुयी थी? – 1997 में
- किस ग्रीन हाउस गैस को क्योटो प्रोटोकाल में पहचान मिली थी? – सल्फर हेक्साफ्लोराइड को
- किस ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन सामान्यतः रक्षा उद्योगों में होता है? – ट्राई फ्लोरो मिथाइल सल्फर पेंटाफ्लोराइड
- ‘ट्राई फ्लोरो मिथाइल सल्फर पेंटाफ्लोराइड’ की उष्मा अवशोषण क्षमता CO2 से कितनी ज्यादा है? – 18 हजार गुना
- प्रायः ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन का मापन किस गैस के संदर्भ में किया जाता है? – CO2 के