Railways’ corporate train model Explained in Hindi
दिल्ली से लखनऊ और मुंबई से अहमदाबाद चलने वाली तेजस एक्सप्रेस रेलगाड़ियों के सफलतापूर्वक संचालन के पश्चात् अब देश की तीसरी कॉर्पोरेट रेलगाड़ी आरम्भ हो रही है जिसका नाम काशी महाकाल एक्सप्रेस है.
कॉर्पोरेट ट्रेन मॉडल किसे कहते हैं?
यह एक नया मॉडल है जिसपर भारतीय रेलवे तेजी से काम कर रहा है. इसके अन्दर सवारी रेलगाड़ियों के संचालन का काम रेलवे के एक सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम को सौंप दिया जाता है. इस उपक्रम का नाम है – IRCTC अर्थात् भारतीय रेलवे कैटरिंग और पर्यटन निगम.
कॉर्पोरेट ट्रेन मॉडल कैसे काम करता है?
इस मॉडल में ट्रेन के संचालन से सम्बंधित सारे निर्णय निगम के द्वारा लिए जाते हैं, जैसे – भाड़ा, भोजन, अन्य सुविधाएँ, साफ़-सफाई, शिकायतें आदि.
इस प्रकार भारतीय रेलवे बहुत सारे कामों से मुक्त हो जाता है और उसका काम बस IRCTC से पहले से निर्धारित धनराशि का पाना ही रह जाता है क्योंकि वही रेल नेटवर्क का स्वामी है.
भारतीय रेलवे IRCTC से क्या पाता है?
IRCTC भारतीय रेलवे को पहले से निर्धारित धनराशि मुहैया करती है. इस धनराशि के तीन अवयव हैं –
- रेल के संचालन से सम्बंधित अवसंरचना के उपयोग के बदले दिया जाने वाला प्रभार (Haulage) – इसके अन्दर ये चीजें आती हैं – पटरियाँ, सिग्नल, चालक, स्टेशन का स्टाफ, ट्रैक्शन आदि वे सारी चीजें जिनके बल पर ट्रेनों का आना-जाना होता है.
- ट्रेन के डब्बों की लीज़ के लिए दिया जाने वाला प्रभार – इस मॉडल में भारतीय रेलवे अपने डब्बों को भारतीय रेलवे वित्त निगम (Indian Railway Finance Corporation – IRFC) को लीज पर दे देता है. इसके बदले IRFC भारतीय रेलवे को प्रभार के रूप में धनराशि देता है.
- रेल के डब्बों को निरापद और दुरुस्त रखने के लिए भारतीय रेलवे IRCTC से कस्टडी प्रभार के रूप में भी भुगतान प्राप्त करता है.
लखनऊ तेजस एक्सप्रेस को एक दिन चलाने (आना-जाना सहित) के लिए IRCTC को मोटा-मोटी 14 लाख रु. ऊपर लिखे तीनों प्रभारों के रूप में भारतीय रेलवे देना होगा. चाहे यह एक्सप्रेस में लाभ में नहीं भी चले तो यह राशि भारतीय रेलवे को देना ही पड़ेगा.
ग्राहकों और प्रबंधकों को इससे क्या लाभ है?
- निगम होने के कारण IRCTC में एक निदेशक बोर्ड होता है और कई निवेशक भी होते हैं. इसलिए यह निगम इस बात पर बल देता है कि रेलवे उसको जो भी डिब्बे दे वे नए हों और उनकी हालत खस्ता नहीं हो जैसा कि आये दिन देखने को मिलता है.
- इस मॉडल में IRCTC को यह पूरा अधिकार है कि सेवा से सम्बंधित मानदंड वही निर्धारित करेगा और जब चाहे तो उसमें परिवर्तन कर सकता है. इसके लिए उसे रेलवे मंत्रालय की अनुमति लेना आवश्यक नहीं होगा.
- निगम के द्वारा गाड़ियों के संचालन का अभिप्राय है कि ये गाड़ियाँ लाभ को ध्यान में रखकर चलाई जाएँगी. अधिक से अधिक लाभ पाने के लिए IRCTC सेवा की गुणवत्ता को बनाए रखेगा और सवारियों के यात्रा अनुभव को बेहतर से बेहतर बनाने की चेष्टा करेगा.
- IRCTC को यह भी स्वतंत्रता है कि वह निश्चय करे कि गाड़ी कहाँ-कहाँ रुकेगी.
भारतीय रेलवे को इस मॉडल से क्या लाभ होगा?
भारतीय रेलवे भाड़ा बहुत कम रखता है जिसके चलते लागत वसूल नहीं पाता है. कॉर्पोरेट मॉडल अपनाने से उसको यह लाभ होगा कि यदि घाटा भी होता है तो उनके लिए कोई अंतर नहीं आएगा. उसे अपनी निर्धारित राशि मिलती रहेगी.
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