Credit Rating Agencies क्या हैं और इनके क्या काम हैं?

Sansar LochanEconomics Notes, Finance

credit rating agencies

नाम से ही स्पष्ट है कि Credit Rating का अर्थ कुछ इस तरह निकला जा सकता है – आपके क्रेडिट की रेटिंग. यानी कोई ऐसी संस्था है जो किसी बड़े कंपनी के मालिक के पॉकेट को check करेगी कि उसके पास कितने पैसे हैं? उसके पास पैसे की कितनी क्षमता है? पर सवाल यह उठता है कि आखिर ये संस्था क्यों उस कंपनी के पॉकेट के अन्दर झाँक रही है? चलिए यही जानने कि कोशिश करते हैं कि ये crediting rating agencies हैं क्या और इनका काम क्या है? ये कितने types की होती हैं आदि.

CREDIT RATING AGENCIES

मैंने इसे तीन भाग में विभाजित किया है –

  1. कंपनी के लिए
  2. देश के लिए
  3. किसी व्यक्ति के लिए (individual like you and me)

Company के लिए Credit Rating Agencies 

Company के लिए भारत में Credit Rating Agencies मुखतः तीन हैं –

  1. CRISIL (Headquarter Mumba)
  2. ICRA (Headquarter Gurugram)
  3. CARE (Headquarter Mumbai)

क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां बाराती स्टाइल में खुद चल कर कंपनी के पास नहीं आती. कंपनी उसे न्योता देते हैं. पूछो कैसे? दरअसल, जब कोई कंपनी लोन लेने बैंकों के पास या सरकारी/प्राइवेट bonds/securities खरीदने जाती है तो वह बैंक कुछ संस्थाओं के मदद से यह देखना चाहती है कि पैसे तो कम्पनी बैंक से पैसे उठा लेगी पर लौटा पाने की क्षमता उसके पास है या नहीं? तो बैंक उन संस्थाओं की मदद से कम्पनी के past वित्तीय लेन-देन, कम्पनी ने कितने बैंकों से पहले पैसे लिए, उन्हें लौटाए भी या नहीं आदि इन credit rating agencies के माध्यम से जान जाती है.

इसलिए crediting rating agencies को संक्षेप में परिभाषित (define) करें तो यह किताबी भाषा में कहा जा सकता है कि –

क्रेडिट रेटिंग ऋण लेने वाले या उधार लेने वाली की साख क्षमता का निर्धारण है. Credit rating का मुख्य उद्देश्य उधार देने वाले को (banks या किसी और fund देने वाली संस्था को) उधार लेने वाली की (यानी हमारे जैसे ठग की) भुगतान क्षमता (payment capacity) का मूल्यांकन प्रस्तुत करना है जिससे वह उधार देने के पहले यह जान सके कि जिसको यह उधार दिया जा रहा है, वह मूलधन और ब्याज की अदायगी कर पायेगा या भी नहीं.

Countries के लिए Credit Rating Agencies 

कुछ credit rating agencies/institutions ऐसी हैं जो देशों के credit क्षमता को आँकती है. जैसे भारत किसी दूसरे देश से loan लेने लायक है या नहीं, वह लोन लौटा पायेगा या नहीं आदि की जाँच करती है और country-wise rating जारी करती है.

Company के विश्व में Credit Rating Agencies मुख्यतः तीन हैं (BIG THREE CREDIT RATING AGENCIES)-

  1. Moody – Headquarters 7 World Trade Center New York City, United States
  2. S&P (Standard & Poor’s) – Headquarters New York City, New York, United States
  3. Fitch – Headquarters New York City, New York, U.S. London, England, U.K.

आप अख़बारों में आये-दिन पढ़ते ही होंगे कि moody ने भारत को इतना rate दिया, दिवालिया घोषित किया, यहाँ इन्वेस्ट करना ठीक नहीं है…आदि. इनमें कुछ credit rating agencies, बांड क्रेडिट एजेंसीज हैं. इसका आकलन देशों की GDP के आंकड़ों के आधार पर किया जाता है.

CRIS (Comparative Rating Index of Sovereigns)

31 जनवरी, 2012 को भारत के वित्त मंत्रालय ने भी देशों की क्रेडिट रेटिंग का तुलनात्मक आकलन करने के लिए CRIS को launch किया. इसकी विधि मूडी की तरह ही है.

 

Individual के लिए Credit Rating Agencies

हम आप जैसे लोग, जो बड़े कंपनियों के मालिक नहीं हैं, जब बैंक से लोन लेने जाते हैं तो बैंक हमारे पूरे past financial record को खंगालती है. हमने कितना लोन पहले लिया है, कितनों को चुकाया है, ये सब details इकठ्ठा करती है. और ये सब details उन्हें CIBIL (Credit Information Bureau India Ltd) provide कराता है जो भारत में individuals की साख क्षमता की जाँच करने वाली संस्था है.

Rating कैसे की जाती है?

  1. उल्लेखनीय है कि यदि कंपनी बहुत मजबूत है, उसके पास खूब पैसे हैं और यदि उसका past record अच्छा है तो rating agencies उन्हें AAA रेटिंग देती है.
  2. AA थोड़ा खराब है.
  3. BBB यह व्यक्त करता है कि कंपनी मूलधन (principal) और ब्याज दायित्व के समय पर भुगतान की दृष्टि से moderate level पर safe है.
  4. C rating पर्याप्त जोखिम प्रदर्शित करता है.
  5. Ba-1 और Baa-3 rating, ये rating bonds और securities के रेटिंग से सम्बंधित है, जहाँ Ba-1 सट्टा बाजार से सम्बंधित (speculative elements) रेटिंग हैं वही Baa-3 निवेश ग्रेडिंग है.

 

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