मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास – Modern History GS Paper 1/Part 02

Dr. SajivaGS Paper 1 2020-21

अकबर के अधीन सांस्कृतिक एवं कलात्मक विकास की विस्तार से चर्चा करें.

उत्तर :-

अकबर का शासन सांस्कृतिक एवं कलात्मक विकास के लिए भी उल्लेखनीय है. उसके समय में अनेक धार्मिक संप्रदायों का विकास हुआ. इस्लाम धर्म के अंतर्गत महदी और रोशनिया संप्रदायों का विकास हुआ. पंजाब में सिख धर्म प्रभावशाली बन गया. अकबर सिखधर्म से प्रभावित था. उसने अमृतसर की यात्रा की एवं स्वर्ण मंदिर के निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध कराई. राजपूताना में दादूदयाल का विशिष्ट प्रभाव था. तुलसीदास और सूरदास ने क्रमशः रामभक्ति और कृष्णभक्ति का प्रचार किया. पारसी, ईसाई एवं हिंदू धर्मों का भी विकास हुआ परंतु अकबर की सुलहकुल की नीति से सभी धर्मों में आपसी सद्भाव बना रहा.

शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में इस समय विशेष प्रगति हुई. अकबर ने शिक्षा एवं साहित्य के विकास में व्यक्तिगत दिलचस्पी ली. वह स्वयं अधिक पढ़ा-लिखा नहीं था परंतु शिक्षा के प्रचार के लिए उसने अनेक प्रयास किए. उसने विद्वानों एवं लेखकों को संरक्षण एवं प्रोत्साहन दिया. उसने तत्कालीन शिक्षा-पद्धति एवं पाठ्यक्रम में सुधार किए. नैतिक शिक्षा, गणित, कृषि, ज्यामिति, खगोलशास्त्र, तर्कशास्त्र, राजनीतिशास्त्र एवं इतिहास की शिक्षा पर अधिक बल दिया गया. दिल्ली, फतेहपुर सीकरी, आगरा इत्यादि में मदरसे खोले गए. हिंदुओं की शैक्षणिक संस्थाओं को भी प्रोत्साहन एवं संरक्षण दिया गया. तकनीकी एवं कलात्मक शिक्षा की भी व्यवस्था की गई. अकबर के समय में संस्कृत एवं फारसी के अतिरिक्त क्षेत्रीय भाषाओं का भी विकास हुआ. बाबर द्वारा स्थापित शाही पुस्तकालय का विस्तार कर इसे समृद्ध बनाया गया. अकबर ने एक अनुवाद विभाग की भी स्थापना करवाई. इस विभाग ने संस्कृत, अरबी एवं अन्य भाषाओं की उत्कृष्ट पुस्तकों का फारसी, संस्कृत में अनुवाद तैयार किया. महाभारत, रामायण, पंचतंत्र, बाइबिल, कुरान इत्यादि का अनुवाद हुआ. स्वतंत्र रूप से भी फारसी, संस्कृत एवं स्थानीय भाषाओं में अनेक धार्मिक, ऐतिहासिक ग्रन्थ एवं काव्यों की रचना हुई. अबुल-फजल, फैजी, बदायूँनी, अब्दुर्रहीम खानखाना इत्यादि ने ऐतिहासिक ग्रन्थ लिखे. दीवान, मसनवी, रूबाइयाँ एवं गजल भी लिखे गए. हिंदी और संस्कृत में भी अनेक ग्रथों की रचना हुई . सूरदास, तुलसीदास, रसखान ने भक्ति काव्य लिखे. मंग, नरहरि, महेश ठाकुर अकबर के समय के अन्य विख्यात् विद्वान एवं लेखक थे.  

अकबर को कला से भी अनुराग था. उसके समय में स्थापत्य एवं चित्रकला का विकास हुआ. अकबर ने अनेक भव्य भवनों का निर्माण करवाया. लाल पत्थरों से उसने आगरा का भव्य किला बनवाया. लाहौर में एक सुंदर किला का निर्माण हुआ. 1572 ई० में उसने अपनी नई राजधानी फतेहपुर सीकरी का निर्माणकार्य आरंभ किया. आठ वर्षों की अवधि में ही यह नगर सुंदर महलों एवं भवनों से सुसज्जित हो गया. सीकरी के महल में एक कृत्रिम झील का भी निर्माण किया गया. सीकरी के किले के भवनों में गुजराती, बंगाली, इस्लामी एवं राजपूत शैलियों का अदभुत् मिश्रण देखा जा सकता है. यहाँ के भवनों में प्रमुख हैं—इबादतखाना, पंचमहल, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, जोधाबाई और बीरबल का महल, तथा शेख सलीम चिश्ती की दरगाह. यहीं पर विख्यात बुलंद दरवाजा भी बना. अकबर ने दिल्ली में हुमायूँ का मकबरा भी बनवाया. उसने स्वयं सिकंदरा में अपना मकबरा बनवाना आरंभ किया, जिसे बाद में जहाँगीर ने पूरा किया. अकबर के समय में चित्रकला की भी प्रगति हुई . उसके दरबार के दो प्रसिद्ध चित्रकार जसवंत तथा दसावन थे. इस समय सुंदर भित्तिचित्र बनाए गए. पांडुलिपियों के किनारों को चित्रित करने की कला भी विकसित हुई. पुर्तगाली पादरियों ने अकबर के दरबार में यूरोपीय चित्रकला भी प्रारंभ किया. अकबर के समय के सबसे बड़े संगीतज्ञ तानसेन थे जिन्होंने अनेक रागों की रचना की. अबुलफजल के अनुसार अकबर के दरबार में बहुत-से स्त्री-संगीतज्ञ भी थे.

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