Cyber Crime Coordination Centre
पिछले दिनों भारत सरकार ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी- I4C) (Indian Cyber Crime Coordination Centre (I4C) का उद्घाटन किया. ज्ञातव्य है कि 2018 में ऐसे केंद्र की स्थापना के लिए अनुमोदन दिया गया था जहाँ सभी प्रकार के साइबर अपराधों से व्यापक और समन्वित रीति से निपटा जा सके.
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र क्या है?
यह केंद्र केन्द्रीय गृह मंत्रालय साइबर एवं सूचना सुरक्षा (Cyber and Information Security (CIS) प्रभाग के अंतर्गत सृजित किया गया है.
इसमें निम्नलिखित सात अवयव हैं –
- राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विशेलेषण इकाई (National Cyber Crime Threat Analytics Unit)
- राष्ट्रीय साइबर अपराध प्रतिवेदन पोर्टल (National Cyber Crime Reporting Portal)
- राष्ट्रीय साइबर अपराध प्रशिक्षण केंद्र (National Cyber Crime Training Centre)
- साइबर अपराध पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन इकाई (Cyber Crime Ecosystem Management Unit)
- राष्ट्रीय साइबर अपराध शोध एवं नवाचार केंद्र (National Cyber Crime Research and Innovation Centre)
- राष्ट्रीय साइबर अपराध फोरेंसिक प्रयोगशाला पारिस्थितिकी तंत्र (National Cyber Crime Forensic Laboratory Ecosystem)
- संयुक्त साइबर अपराध अन्वेषण दल (Platform for Joint Cyber Crime Investigation Team)
महत्ता
I4C से साइबर सुरक्षा से सम्बंधित अन्वेषणों को केंद्रीकृत करने में तथा प्रतिक्रिया उपायों को विकसित करने के समय प्राथमिकताओं के निर्धारण में सहायता मिलेगी. साथ ही इससे खतरे को सँभालने के लिए निजी कम्पनियों को साथ लाने में सहायता मिलेगी.
उद्देश्य
- साइबर अपराध से लड़ाई में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र एक नाभिक कार्यालय के रूप में कार्य करेगा.
- देश और विदेश के शिक्षा जगत/शोध संस्थानों के सहयोग से नई तकनीकों और फोरेंसिक उपायों के निर्माण के लिए आवश्यक शोध एवं विकास गतिविधियाँ चलाने तथा शोध से जुड़ी समस्याओं और आवश्यकताओं की पहचान करने में यह केंद्र सहायक सिद्ध होगा.
- अतिवादी और आतंकवादी उद्देश्य से साइबर स्पेस का दुरूपयोग रोकना.
- तेजी से बदलती हुई तकनीकों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ कदम से कदम मिलाने के लिए साइबर कानून में अपेक्षित संशोधन सुझाना.
- गृह मंत्रालय के नाभिक अधिकारी के साथ विचार-विमर्श करके अन्य देशों के साथ साइबर अपराध से सम्बंधित हस्ताक्षरित पारस्परिक विधि सहायता संधियों (MLAT) को लागू करने से सम्बंधित सभी गतिविधियों का समन्वय करना.
निगरानी की आवश्यकता
सबसे अधिक साइबर अपराधी एशिया में रहते हैं जिस कारण यहाँ बहुत आर्थिक क्षति होती है. क्योंकि यह क्षेत्र वैश्विक आर्थिक बाजार में एक बड़ी भूमिका निभाता है, अतः इस क्षेत्र में साइबर खतरे बढ़ेंगे ही ऐसा अनुमान है. भारत में वर्तमान में 460 मिलियन लोग इन्टरनेट चलाते हैं और इसलिए उनपर ऑनलाइन अपराधियों और संगठनों का खतरा बना रहता है.
आगे की राह
ऑनलाइन धोका, हैकिंग, पहचान की चोरी, डार्क नेट, तस्करी, बाल अश्लील चित्रण, ऑनलाइन धार्मिक कट्टरता और साइबर आतंकवाद जैसे नए युग के अपराधों से लड़ने के लिए तथा साथ ही भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की भविष्यगत कार्य-योजना तैयार करने के लिए सरकार ने प्रमुख सरकारी और निजी संस्थानों से IT विशेषज्ञों को काम पर रखने का निर्णय लिया है.