कोविड-19 एक नए प्रकार के कोरोना वायरस से उत्पन्न एक रोग है. इस रोग के कई संभव दुष्प्रभाव हो सकते हैं जिनमें एक साईटकिन स्टॉर्म (cytokine storm) है जिसकी चिंता वैज्ञानिकों को सता रही है.
Cytokine Storm क्या है?
- साईटकिन स्टॉर्म का अर्थ है प्रतिरोधक कोषों और उनके सक्रिय यौगिकों (cytokine) का आवश्यकता से अधिक उत्पादन.
- जब किसी फ्लू का संक्रमण होता है तो फेफड़ों में सक्रिय प्रतिरोधक कोषों की बाढ़-सी आ जाती है. इसका परिणाम यह होता है कि फेफड़े में जलन होती है और साथ ही वहाँ तरल पदार्थ जमा होने लगते हैं जिससे साँस लेने में कष्ट होने लगता है. ऐसी परिस्थिति में जीवाणु-जन्य निमोनिया होने का खतरा होता है जोकि रोगी की मृत्यु का कारण बन सकता है.
साईटकिन स्टॉर्म कब होता है?
साईटकिन स्टॉर्म संक्रमण, स्वतः उत्पन्न प्रतिरोध की दशा अथवा अन्य रोगों के कारण अस्तित्व में आता है. इसमें रोगी को तेज बुखार, जलन (ललाई और सूजन), अतिशय थकान एवं उल्टी जैसे लक्षण होते हैं.
यह आवश्यक नहीं है कि साईटकिन स्टॉर्म केवल कोरोना वायरस के रोगियों को ही हो. वास्तव में यह एक प्रतिरोध प्रतिक्रिया है जो किसी भी संक्रामक एवं असंक्रामक रोग में भी होती है.
COVID-19 के रोगी पर साईटकिन स्टॉर्म का प्रभाव
जब किसी को फ्लू के संक्रमण के दौरान साईटकिन स्टॉर्म होता है तो उस समय फेंफडों में सक्रिय प्रतिरोधक कोषों में वृद्धि हो जाती है. परन्तु ये कोष एंटीजेन से लड़ने के स्थान पर फेंफडों में जलन पैदा कर देते हैं और उसके अन्दर तरल पदार्थ बढ़ा कर स्वास की समस्या उत्पन्न कर देते हैं. ज्ञातव्य है कि 1918-20 के स्पेनिश फ्लू में 5 करोड़ लोगों की मृत्यु हुई थी. इसके पीछे साईटकिन स्टॉर्म का ही हाथ था. H1N1 स्वाइन फ्लू और H5N1 बर्ड फ्लू में भी साईटकिन स्टॉर्म के कारण प्रबल प्रतिरोध क्षमता वाले युवा भी मृत्यु को प्राप्त हुए थे. यद्यपि मौसम-मौसम पर होने वाली फ्लू महामारी अधिकतर कम उम्र और ज्यादा उम्र के लोगों को शिकार बनाती है.
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