धारा 144 क्या है? Section 144 CrPC in Hindi

Sansar LochanGovernance

नागरिकता संशोधन अधिनियम के पारित होने पर पिछले दिनों देश के अनेक भागों में उपद्रव हुए जिनको संभालने के लिए पुलिस ने धारा 144 CrPC (Section 144 CrPC) लगाई.

पृष्ठभूमि

अगस्त 5, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया गया जम्मू-कश्मीर और वहाँ कतिपय प्रतिबंध लगा दिए गये. इन प्रतिबंधों को निरस्त करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में अनेक याचिकाएँ दी गईं जिन सभी पर एक साथ सुनवाई करते हुए उस न्यायालय ने यह निर्देश दिया कि जम्मू-कश्मीर में धारा 144 (CrPC) लगाने और इन्टरनेट सेवा बंद करने पर सरकार एक सप्ताह के भीतर पुनर्विचार करे.

सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा प्रकट मन्तव्य  

धारा 144 से सम्बंधित

  1. धारा 144 का प्रयोग किसी मत अथवा शिकायत की वैध अभिव्यक्ति को दबाने के लिए या जनतांत्रिक अधिकारों को दबाने के लिए नहीं होना चाहिए.
  2. किसी आपातकाल में ही संकट की आशंका के आधार पर धारा 144 लगनी चाहिए.
  3. यह धारा लगाने के समय राज्य के हित के साथ-साथ व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है.
  4. यह धारा के अधीन शक्तियों का प्रयोग विवेक-सम्मत और सम्यक रीति से से होना चाहिए एवं इससे सम्बंधित आदेश में ठोस तथ्यों को दर्शाना चाहिए जिससे कि आदेश की न्यायिक समीक्षा हो सके.

इन्टरनेट प्रतिबंध से सम्बंधित

  1. सर्वोच्च न्यायालय का मंतव्य है कि इन्टरनेट का अधिकार एक मौलिक अधिकार है जो संविधान के अनुच्छेद 19 के अन्दर वर्णित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत आता है. इस प्रकार का प्रतिबंध मनमाने ढंग से नहीं होना चाहिए, अपितु उस समय होना चाहिए जब पूर्ण विचार-विमर्श कर यह समझा जाए कि और कोई उपाय बचा नहीं है.
  2. इन्टरनेट को सीमित करने और प्रतिबंधित करने के विषय में निकाला गया आदेश न्यायिक के अन्दर आएगा.
  3. अनिश्चित काल के लिए इन्टरनेट सेवा बंद करना टेलिकॉम नियमों का उल्लंघन भी है.

dhara 144

धारा 144 क्या है?

  • यह धारा आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) के अंतर्गत एक धारा है जो जिला दंडाधिकारी अथवा उपमंडल दंडाधिकारी अथवा किसी अन्य कार्यकारी दंडाधिकारी को यह अधिकार देती है कि वह राज्य सरकार की ओर से एक आदेश निकालकर किसी व्यक्ति अथवा सर्वसाधारण को किसी एक विशेष स्थान अथवा क्षेत्र में गतिविधि विशेष में लिप्त होने से रोक दे. यह आदेश एकपक्षीय (ex-parte) भी हो सकता है.
  • परन्तु सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी है कि इस धारा का प्रयोग कर नागरिकों के अधिकारों को दबाने के लिए खतरे की आशंका मात्र एक उपयुक्त आधार नहीं हो सकता.
  • जहाँ यह धारा लागू (Section 144) होती है वहाँ हथियार लेकर चलना मना है. इसके लिए अधिकतम तीन वर्ष के कारावास का प्रावधान है.
  • धारा 144 लागू होने पर जनसाधारण की आवाजाही पर रोक लग जाती है और सभी शैक्षणिक संस्थान बंद हो जाते हैं. जब तक आदेश लागू रहता है तब तक उस क्षेत्र में कहीं भी सार्वजनिक बैठक अथवा जुलूस का आयोजन नहीं हो सकता है.
  • यह धारा (Section 144) अधिकारियों को इन्टरनेट रोकने की भी शक्ति प्रदान करता है.

धारा 144 (Section 144) कब लागू होती है?

  1. जब विधिसम्मत रूप से नियुक्त किसी व्यक्ति के काम में बाधा अथवा आघात पहुंचाया जाता है.
  2. जब मानव जीवन, स्वास्थ्य अथवा सुरक्षा को खतरा हो.
  3. सार्वजनिक शान्ति भंग हो अथवा कोई दंगा या झड़प हो.

धारा 144 की अवधि

धारा 144 के अंतर्गत निर्गत आदेश दो महीने से अधिक प्रभाव नहीं होता है. परन्तु राज्य सरकार दो-दो महीने करके इसकी अवधि अधिकतम छह महीने तक बढ़ा सकती है. परिस्थिति सामान्य होने पर धारा 144 बीच में ही उठा ली जा सकती है.

Section 144 का दुरुपयोग

बहुधा यह देखा गया है कि धारा 144 का दुरूपयोग शान्तिपूर्ण प्रतिरोध को भी दबाने के लिए किया जाता है. वस्तुतः यह धारा संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(b) एवं (c) की भावना के विरुद्ध है. विशेषज्ञों की मान्यता है कि धारा 144 औपनिवेशिक युग की धरोहर है और यह अभी तक इसलिए बनी हुई है क्योंकि भारत सरकार ने 1872 की आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1872 Code of Criminal Procedure) के अधिकांश प्रावधानों को बिना मीन-मेख के ज्यों का त्यों अपना लिया था.

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