बहुशास्त्रीय नेतृत्व (cross-disciplinary leadership) को प्रोत्साहन देने के लिए भारत सरकार ने ECho नेटवर्क (EChO Network) नामक एक नेटवर्क का आरम्भ किया है. इसका उद्देश्य पर्यावरण से सम्बंधित ज्ञान में विद्यमान कमियों का पता लगाना और फिर इन विषयों पर पोस्ट-डाक्टोरल अनुसंधान हेतु प्रशिक्षण देना है और साथ ही वर्तमान में इस दिशा में किये गये सार्वजनिक एवं निजी प्रयासों पर प्रकाश डालना है.
ECho नेटवर्क के विषय में मुख्य तत्त्व
- यह पूरे देश के लिए बहुशास्त्रीय नेतृत्व का एक खाका उपलब्ध कराएगा जिसमें शोध और ज्ञानार्जन को बढ़ाने तथा भारतीय पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण के प्रति जागरूकता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.
- इस राष्ट्रीय नेटवर्क (Echo नेटवर्क) के माध्यम से भारतीयों की एक ऐसी नई पीढ़ी पैदा की जायेगी जो औषधि विज्ञान, कृषि, पारिस्थितिकी और तकनीक की वास्तविक समस्याओं से सम्बंधित बहुशास्त्रीय अवधारणाओं को संश्लेषित करते हुए उनका समाधान खोज सके.
EChO Network कैसे काम करता है?
- Echo नेटवर्क के माध्यम से नागरिकों उद्योग जगत, शिक्षा जगत और सरकार के लोगों के बीच आपस में चर्चा हेतु बैठकें आयोजित की जाएँगी जिनमें मानवीय एवं पर्यवराणीय पारिस्थितिकी से सम्बंधित चुनिंदे विषयों के संदर्भ में जानकारी की कमियों की पहचान की जायेगी.
- तत्पश्चात् यह कार्यक्रम अग्रणी पोस्ट-डोक्टोरल शोधकर्ताओं को इन विषयों पर अनुसंधान करने के लिए प्रशिक्षित करेगा और इसके अंतर्गत हो रहे चालू सार्वजनिक एवं निजी प्रयासों को भी शामिल किया जाएगा.
- उसके बाद इस नेटवर्क के अंतर्गत उन सभी विषयों पर राष्ट्रीय जागरूकता सृजित करने के लिए नागरिकों, उद्योगियों और सरकार के बीच विचार-विमर्श और सभी शैक्षणिक स्तरों पर सूचनाओं का आदान-प्रदान होगा.
आवश्यकता
यद्यपि भारत में पारिस्थितिकी और पर्यावरण पर शोध को बढ़ावा दिया जाता रहा है, परन्तु फिर भी भारत में ऐसे प्रशिक्षित वैज्ञानिकों की कमी है जिनके पास बहुशास्त्रीय कौशल्य हो और जिनकी मनोवृत्ति सहयोगात्मक हो.
चाहिए यह कि शिक्षा देने वाले और शिक्षा पाने वाले दोनों समस्याओं का पता लगाने और उनका समाधान करने में एकपक्षीय नहीं, अपितु बहुशास्त्रीय पद्धति अपनाएँ. उत्तर-प्रौद्योगिकी विश्व (post-technological world) में शिक्षा और शोध के प्रति एक पूर्णतः नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसकी उत्प्रेरणा Echo नेटवर्क से संभव हो सकेगी.