TOPICS – बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB), विधिक संस्था पहचानकर्ता (Legal Entity Identifier)
Q1. बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB) क्या है? ECB से जुड़े विवाद और इसके लाभों की चर्चा कीजिए.
Syllabus, GS Paper III : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोजगार से सम्बंधित विषय.
उत्तर :-
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने अवसंरचनात्मक क्षेत्र में बाह्य वाणिज्यिक उधारों (External Commercial Borrowings – ECBs) के लिए न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि में ढील दी है.
ECB से जुड़े विवाद
- यह देश के बाह्य ऋणों में वृद्धि करता है.
- यदि ऋणों की उचित रूप से हेजिंग न की गई हो अथवा मुद्रा का अत्यधिक मूल्यह्रास हो जाए तो ऐसी दशा में ऋणकर्ता संकट में पड़ सकता है.
- यह भी एक चिंता का विषय है कि चालू खाते के घाटे को वित्त पोषित करने के लिए भी ECB पर निर्भरता बढ़ती जा रही है. इसके परिणाम नकारात्मक हो सकते हैं.
बाह्य वाणिज्यिक उधार
- इनसे आशय उन वाणिज्यिक उधारों या ऋणों से है जिन्हें पात्र भारतीय इकाइयों (भारत स्थित इकाइयों) द्वारा गैर-निकासी ऋणदाताओं से तीन वर्ष की न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि के साथ लिया गया हो.
- ये ऋण बैंक से लिए गये ऋण, खरीददारों से उधार, आपूर्तिकर्ताओं से उधार या प्रतिभूतिकृत दस्तावेजों के रूप में लिए जा सकते हैं. यदि समता पूँजी या अंशधारिता पूँजी (equity capital) का वित्त पोषण करने के लिए विदेशी मुद्रा का उपयोग किया जाता है तो इसे प्रत्यक्ष निवेश कहा जाता है.
- ECBs फेमा (FEMA) दिशा-निर्देशों के अंतर्गत विनियमित होते हैं. इनका मूल्यांकन दो मार्गों अर्थात् स्वचालित मार्ग और अनुमोदित मार्ग के अंतर्गत किया जा सकता है. सामन्यतः होटल, हॉस्पिटल और सॉफ्टवेर आदि व्यवसायों में संग्लन कंपनियाँ स्वचालित मार्ग का उपयोगी करती हैं.
ECB के लाभ
- यदि ऋण कम ब्याज दरों वाली अर्थव्यस्थाओं से लिया जाता है तो ECBs को प्राप्त करने की लागत घरेलू ऋणों से कम होती है. इससे कम्पनी की लाभप्रदता भी बढ़ती है.
- चूंकि ECBs ऋणदाताओं (लेनदारों) को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुँच प्रदान करते हैं अतः इनके जरिये ऋणकर्ता अपने निवेशकों के आधार को विविधता प्रदान कर सकते हैं.
- सरकार कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में उच्च ECB की अनुमति देकर उनमें प्रत्यक्ष अंतर्वाह को प्रेरित कर सकती है और इस प्रकार विकास को बढ़ावा दे सकती है.
Q2. विधिक संस्था पहचानकर्ता (Legal Entity Identifier -LEI) से आप क्या समझते हैं? भारत में LEI की आवश्यकता एवं लाभ की चर्चा करें.
Syllabus, GS Paper III : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोजगार से सम्बंधित विषय.
उत्तर :-
भारतीय रिज़र्व बैंक ने व्यक्तियों को छोड़कर बाजार के अन्य प्रतिभागियों के लिए विधिक संस्था पहचानकर्ता (LEI) कोड अनिवार्य कर दिया है.
LEI
- G20 देशों द्वारा परिकल्पित यह 20 अंकों की एक वैश्विक संदर्भ संख्या हैं जो किसी भी अधिकार-क्षेत्र में उन सभी विधिक संस्थाओं या संरचनाओं की विशिष्ट रूप से पहचान करता है जो किसी वित्तीय लेनदेन के पक्षधर होते हैं.
- प्रत्येक देश द्वारा स्वतंत्र और स्वैच्छिक रूप से स्थापित स्थानीय सञ्चालन इकाइयों (LOU) के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर LEI के कार्यान्वयन और अनुरक्षण का कार्य ग्लोबल लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर फाउंडेशन द्वारा किया जाता है.
- LEI से सम्बद्ध सूचना सार्वजनिक रूप से निःशुल्क उपलब्ध होती है और इनकी समीक्षा, अद्यतन एवं सत्यापन वार्षिक रूप से LOUs द्वारा किया जाता है.
- भारत में संस्थाएँ लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर इंडिया लिमिटेड (LEIIL) (भारत की एकमात्र LOU) से LEI प्राप्त कर सकती हैं. यह भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड की एक सहायक संस्था है, जिसे भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मान्यता प्राप्त है.
सिर्फ जानकारी के लिए...उत्तर में लिखना जरुरी नहीं है.
ग्लोबल लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर फाउंडेशन
- इसे जून 2014 में वित्तीय स्थिरता बोर्ड बोर्ड द्वारा एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में स्थापित किया गया था.
- इसका प्रबंध LEI नियामक निरीक्षण समिति द्वारा किया जाता है, जो वैश्विक सार्वजनिक प्राधिकरणों का प्रतिनिधित्व करता है.
- यह वैश्विक LEI सूचकांक को प्रकाशित करता है.
भारत में LEI की आवश्यकता और लाभ
ऋणों की निगरानी
बैंकों को अब उधारकर्ता (ऋणी) से LEI संख्या प्राप्त करना और इस संख्या को सेन्ट्रल रिपॉजिटरी ऑफ़ इनफार्मेशन ऑन लार्ज क्रेडिट्स को रिपोर्ट करना अनिवार्य है. LEI तन्त्र के अंतर्गत एक समेकित डाटा के कारण अब कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं के ऋण जोखिमों की जाँच करने में बैंकों को सहायता प्राप्त होगी, एक ही सम्पार्श्विक (collateral) के आधार पर एक से अधिक ऋण लेने पर भी रोक लगेगी, जिससे NPA को कम किया जाना संभव होगा.
धन शोधन
वैश्विक वित्तीय लेन-देनों को ट्रैक करना मुश्किल होता है. हालाँकि, RBI द्वारा नियंत्रित सभी लेन-देनों के लिए LEI प्राप्त करना अनिवार्य है और यह एक विशिष्ट वैश्विक पहचानकर्ता होने के चलते किसी भी लेन-देन में सम्मिलित किसी भी इकाई को सरलता से एवं सटीकता से पहचानने में मदद करता है.
RBI के लिए साधन
कॉर्पोरेट की कार्रवारियों में में (विशेष रूप से M&A गतिविधि में) बेहतर अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए सहायता प्रदान करता है.
अन्य लाभ
LEI आन्तरिक डाटा प्रवाह और जोखिम जाँच प्रक्रियाओं को बेहतर बनाएगा और लागत को कम करते हुए उद्योगों की विनियामक रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को पूरा करेगा.
“संसार मंथन” कॉलम का ध्येय है आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सवालों के उत्तर किस प्रकार लिखे जाएँ, उससे अवगत कराना. इस कॉलम के सारे आर्टिकल को इस पेज में संकलित किया जा रहा है >> Sansar Manthan