आज हम आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey 2020) के चैप्टर 11 का विश्लेषण करेंगे और UPSC के exam point of view से इस चैप्टर से Prelims 2020 परीक्षा में क्या-क्या प्रश्न आ सकते हैं, उसका संक्षिप्त में विवरण करेंगे.
आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार 2014-15 में उठाए गए मोदी सरकार के कारगर कदमों से 2015-16 में खाने की थाली सस्ती हुई है. यद्यपि 2019-20 में यह थाली महंगी हो गई, फिर भी कुल मिला कर देखें तो थाली पर एक परिवार द्वारा किए जाने वाले खर्च में कमी देखने को मिलती है.
Chapter 11 – थालीनॉमिक्स : भारत में भोजन की थाली का अर्थशास्त्र
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👋थालीनॉमिक्स का अर्थ क्या है?
- भारत में भोजन की थाली का ‘अर्थशास्त्र’ को स्टाइल में थालीनॉमिक्स नाम दिया गया है.
- थालीनॉमिक्स: भारत में भोजन की थाली का अर्थशास्त्र.
- अर्थशास्त्र को जनसाधरण के जीवन से जोड़ने के लिए भोजन की थाली एक ऐसी चीज है जिससे उसका सामना दैनिक रूप से होता है. इस बार के आर्थिक सर्वेक्षण में भारत में एक सामान्य व्यक्ति द्वारा एक थाली हेतु किए जाने वाले भुगतान को मापने की एक कोशिश की गई है.
- इसमें यह परिकलन किया गया है कि भारत में पौष्टिक थाली के लिए आम आदमी को कितना खर्च करना पड़ता है.
- यहाँ पर आम आदमी से मतलब हम-आप जैसे आलसी लोग नहीं हैं. इसमें एक कठोर परिश्रम करने वाले व्यस्क पुरुष की जरूरतों को ध्यान में रखा गया है.
- एक शाकाहारी थाली में 300 ग्राम अन्न (चावल व गेहूं), 150 ग्राम सब्जी और 60 ग्राम दाल, तेल व मसाले को सम्मिलित किया गया है वहीं दूसरी ओर मांसाहारी थाली में दाल की जगह गोश्त (60 ग्राम) को शामिल किया गया है.
- थाली को खरीदना आसान हुआ है या कठिन?
- मुद्रास्फीति ने थाली के मूल्य को बढ़ाया है या घटाया है?
- क्या निरामिष भोजी थाली अथवा आमिषभोजी थाली दोनों पर मुद्रास्फीति का एक जैसा प्रभाव पड़ा है?
- क्या भारत के अलग-अलग राज्यों और क्षेत्रों में थाली के मूल्य में मुद्रास्पफीति भी भिन्न-भिन्न रही है?
- थाली के मूल्य में परिवर्तन अन्न, सब्जियों, दालों, भोजन पकाने में उपयोग किए जाने वाले ईंधन में से किस घटक के मूल्य में परिवर्तन होने के कारण हुआ है?
🍛 थालीनॉमिक्स से क्या बिंदु निकल के आते हैं?
- विदित हो कि थालियों के दाम में जो परिवर्तन हुए हैं, उसकी अवधि का अंतराल यह है > 2006-07 से 2019-20
- विश्लेषण के लिए 25 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से करीब 80 केन्द्रों के लिए औद्योगिक कामगारों हेतु उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से मासिक आँकड़ों का उपयोग किया गया है.
- दो थालियों का विश्लेषण किया गया – शाकाहारी और मांसाहारी.
- 2015 से 2018 के बीच पूरे भारत में शाकाहारी और मांसाहारी थाली के मूल्य में गिरावट आई है.
- इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि गरीबों के लिए थाली सस्ती/किफायती/वहनीय हो गई.
- आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में बताया गया है कि अखिल भारत के साथ-साथ इसके चारों क्षेत्रों उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में पाया कि शाकाहारी थाली के मूल्य में वर्ष 2015-16 से बड़े स्तर में कमी हुई है.
- पाँच-सदस्यीय वाला परिवार हर साल 10,000 रु. बचा रहा है.
- 2019 में थाली के दामों में वृद्धि हुई है.
🏴आर्थिक सर्वेक्षण में कुछ योजनाओं का जिक्र
कृषि उत्पादकता और कृषि बाजार कुशलता को बढ़ाने के लिए अनावृत कुछ योजनाओं के नाम –
- प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना – प्रति बूँद अधिक फसल
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड
- ई-नैम
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन – भारत सरकार ने, खाद्यान्न उत्पादन में आई स्थिरता एवं बढ़ती जनसंख्या की खाद्य उपभोग को ध्यान में रखते हुए, अगस्त 2007 में केन्द्र प्रायोजित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना का शुभारंभ किया. इस योजना का मुख्य लक्ष्य सुस्थिर आधार पर गेहूँ, चावल व दलहन की उत्पादकता में वृद्धि लाना ताकि देश में खाद्य सुरक्षा की स्थिति को सुनिश्चित किया जा सके. इसका दृष्टिकोण समुन्नत प्रौद्योगिकी के प्रसार एवं कृषि प्रबंधन पहल के माध्यम से इन फसलों के उत्पादन में व्याप्त अंतर को दूर करना है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के मुख्य घटक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तीन घटक होंगे- चावल राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, गेहूँ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और दलहन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन.
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम – राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को वर्ष 2013 में अधिनियमित तथा वर्ष 2014 में क्रियान्वित किया गया था. यह उच्च सब्सिडी दर पर खाद्यान्न प्राप्त करने हेतु 67% जनसंख्या (ग्रामीण क्षेत्रों में 75% तथा शहरी क्षेत्रों में 50% को कानूनी अधिकार प्रदान करता है. इस अधिनियम के अंतर्गत प्राथमिकता वाले परिवारों के लिए प्रति व्यक्ति प्रतिमाह 5Kg की दर से तथा AAY (अन्त्योदय अन्न योजना) परिवारों को 35 किग्रा प्रति व्यक्ति प्रति माह दर से पोषक अनाज, गेहूं और चावल क्रमशः 1 रुपए, 2 रुपए तथा 3 रुपए की उच्च सब्सिडी युक्त कीमत पर आबंटित किए जाते हैं. इस अधिनियम के तहत 2011 की जनगणना के जनसंख्या संबंधी आंकड़ों को आधार बनाया गया है. यह अधिनियम सभी 36 राज्यों/संघ शासित राज्यों मे कार्यान्वित किया गया है तथा इससे लगभग 81.35 करोड़ व्यक्तियों को लाभ पहुंचा है.
इन योजनाओं के कारण खाद्य उत्पादन में वृद्धि हुई है.
🔠UPSC Prelims में थालीनॉमिक्स से कुछ सवाल
नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण से सम्बंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार करें –
- 2006-07 और 2019-20 के बीच भारत के सभी राज्यों में शाकाहारी थाली अधिक किफायती बन गई है.
- मांसाहारी थाली के मामले में 2006-07 और 2019-20 अवधि के दौरान बिहार और महाराष्ट्र छोड़कर सभी राज्यों में वहन क्षमता बढ़ी है.
- पाँच सदस्यों हेतु दो थाली खरीदने के लिए आवश्यक मजदूरी का अंश 2006-07 और 2019-20 अवधि के दौरान घटा है.
उपर्युक्त कथनों में कौन सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 3
- 1 और 2 दोनों
- 1, 2 और 3
उत्तर : d
नोट : बहुत कम संभावना है (न के बराबर) कि थालीनॉमिक्स से कोई प्रश्न पूछा जाएगा.
💡पूरे चैप्टर का निष्कर्ष –
- भोजन मात्र साध्य नहीं वरन मानव पूंजी के विकास में भी सहायक है. अतः यह राष्ट्रीय सम्पदा के निर्माण के लिए भी जरूरी है.
- हम सब जानते हैं कि “जीरो हंगर” को विश्व के देशों द्वारा एक सतत विकास लक्ष्य (SDG) के रूप में स्वीकृत किया गया है.
- यह लक्ष्य अर्थात् SDG 2 अन्य SDGs जैसे – लक्ष्य 1 (गरीबी का खात्मा), लक्ष्य 4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा) और लक्ष्य 5 (लैंगिक समानता), लक्ष्य 12 (स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना), लक्ष्य 13 (जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करना) और लक्ष्य 15 (सतत उपयोग को प्रोत्साहित करने वाले स्थलीय पारिस्थितिकीय प्रणालियों,सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना) से सम्बंधित है.
- इस अध्याय में 2006-07 से 2019-20 के अंतराल में खाद्य पदार्थों के दामों के क्रमिक विकास को थाली के दामों के माध्यम से देखा गया है.
- 2015-16 से शाकाहारी थाली के दामों में पूरे भारत में गिरावट देखी गई. 2019-20 में थाली की कीमतों में सब्जियों और दालों की कीमत बढ़ जाने के कारण बढ़ोतरी देखी गई.
- 2015-16 के बाद शाकाहारी थाली के मामलों में खाद्य मूल्यों में कमी होने से औसत परिवार को औसतन 10887 रु. का लाभ हुआ है.
- इसी प्रकार जो परिवार औसतन दो मांसाहारी थाली खाता है उसे समान अवधि के दौरान औसतन 11787 रु. का लाभ हुआ है.
- एक औसत औद्योगिकी कामगार की वार्षिक आमदनी का उपयोग करते हुए हम पाते हैं कि 2006-07 से 2019-20 तक शाकाहारी थाली की वहनीयता में 29% सुधार देखा गया जबकि मांसाहारी थाली की वहनीयता में 18% तक सुधार देखा गया.
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Chapter 10 of Economic Survey in Hindi