तुलु भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची (eighth schedule) में सम्मिलित करने के लिए माँग बहुधा उठती रहती है.
आठवीं अनुसूची (eighth schedule) क्या है?
संविधान की आठवीं अनुसूची में देश की आधिकारिक भाषाओं की सूची दी गई है. अनुच्छेद 344(1) और 351 के अनुसार इस अनुसूची में 22 भाषाएँ अंकित हैं. ये भाषाएँ हैं – असमिया, बांग्ला, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू.
दरअसल, इनमें से 14 भाषाओं को संविधान में सम्मिलित किया गया था. परन्तु इस अनुसूची में अन्य भाषाओं के प्रवेश की माँग हमेशा से उठती आई हैं. 1967 ई. में सिन्धी भाषा को आठवीं अनुसूची में जोड़ा गया. इसके पश्चात्, कोंकणी भाषा, मणिपुरी भाषा और नेपाली भाषा को 1992 ई. में जोड़ लिया गया. 2003 में बोड़ो भाषा, डोगरी भाषा, मैथिली भाषा और संथाली भाषा आठवीं अनुसूची में सम्मिलित कर लिए गये.
तुलु भाषा का संक्षिप्त परिचय
- तुलु एक द्रविड़ भाषा है जिसे बोलने वाले लोग दक्षिण भारत में रहते हैं. पिछली जनगणना से पता चलता है कि भारत में तुलु बोलने वाले लोगों की संख्या 18,47,427 है जबकि आठवीं अनुसूची में सम्मिलित मणिपुरी और संस्कृत भाषा बोलने वाले लोग तुलनात्मक दृष्टि से बहुत कम हैं.
- रोबर्ट काल्डवेल (1814-1891) ने द्रविड़ भाषाओं का एक तुलनात्मक व्याकरण लिखा था जिसमें बताया गया था कि तुलु द्रविड़ परिवार की सर्वाधिक विकसित भाषाओं में से एक है.
- जिन क्षेत्रों में तुलु भाषा प्रधानतः बोली जाती है उसे बोलचाल की भाषा में तुलु नाडु कहा जाता है. इसके अन्दर दक्षिण कन्नड़ के जिले, कर्नाटक का उडुपी और पयसवनी नदी अथवा चंद्रगिरी तक फैला हुआ केरल का कसरागोड़ जिला आता है. विदित हो कि कसरागोड़ जिले को सप्तभाषा संगम भूमि भी कहते हैं क्योंकि यहाँ तुलु समेत सात भाषाओं का संगम देखने को मिलता है. वस्तुतः कसरागोड़ के साथ-साथ मंगलुरु और उडुपी नगर तुलु संस्कृति के गढ़ माने जाते हैं.
आठवीं अनुसूची में प्रवेश का नितिहार्थ
- आठवीं अनुसूची में प्रवेश होने पर तुलु भाषा को साहित्य अकादमी की मान्यता मिल जायेगी.
- तुलु भाषा की पुस्तकों का देश की अन्य मान्यता प्राप्त भाषाओं में अनुवाद होने लगेगा.
- संसद तथा राज्य विधान सभाओं में सांसद और विधायक तुलु भाषा में बोल सकेंगे.
- लोक सेवा परीक्षाओं में तथा अन्य अखिल भारतीय प्रतिस्पर्धाओं में तुलु भाषी अपनी भाषा में लिख सकेंगे.
भारत की भाषाई विविधता
- 2001 की जनगणना के अनुसार, भारत में ऐसी 30 भाषाएँ हैं जिनमें प्रत्येक को बोलने वालों की संख्या 10 लाख से ऊपर है.
- इन 30 भाषाओं के अतिरिक्त 122 भाषाएँ ऐसी हैं जिनमें प्रत्येक को बोलने वालों की संख्या 10,000 तक है.
- 1,599 भाषाएँ ऐसी हैं जिनको “बोली” कह सकते हैं क्योंकि ये किसी विशिष्ट क्षेत्र तक सीमित हैं और जिनमें से कुछ विलुप्ति के कगार पर हैं.
संविधान का अनुच्छेद 29
संविधान का अनुच्छेद 29 यह प्रावधान करता है कि विशिष्ट भाषा, विशिष्ट लिपि या विशिष्ट संस्कृति रखने वाले नागरिकों को यह अधिकार है कि वे इन वस्तुओं का संरक्षण करें.
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