देश में इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने के काम को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने 48,000 करोड़ की राशि की तीन उत्प्रेणन योजनाएँ आरम्भ की हैं.
ये योजनाएँ हैं –
- उत्पादन से जुड़ा हुआ उत्प्रेणन (Production Linked Incentive)
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों एवं सेमी-कंडक्टरों के निर्माण हेतु प्रोत्साहन योजना (Scheme for Promotion of Manufacturing of Electronic Components and Semiconductors – SPECS)
- परिमार्जित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण संकुल योजना – (Modified Electronics Manufacturing Clusters (EMC 0) Scheme
उत्पादन से जुड़ा हुआ उत्प्रेणन (Production Linked Incentive)
यह योजना मोबाइल फ़ोन और विशेष इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण को लक्षित करके बनाई गई है. इसके अंतर्गत पाँच वैश्विक और पाँच देशीय प्रतिष्ठानों को उत्प्रेरण दिया जाएगा.
इसमें अर्हता प्राप्त कम्पनियों को पाँच वर्षों के लिए निर्मित वस्तुओं के विक्रय के आधार पर 4% से लेकर 6% तक उत्प्रेरण दिया जाएगा.
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों एवं सेमी-कंडक्टरों के निर्माण हेतु प्रोत्साहन योजना (Scheme for Promotion of Manufacturing of Electronic Components and Semiconductors – SPECS)
इस योजना के अंतर्गत पहले से निर्धारित कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर किये गये पूँजी व्यय पर 25% वित्तीय उत्प्रेरण दिया जाएगा.
इनमें से कुछ सामान ये हैं – इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, सेमी-कंडक्टर, डिस्प्ले, असेम्बली, परीक्षण, मार्किंग और डिब्बाबंदी (ATMP) इकाइयाँ आदि.
परिमार्जित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण संकुल योजना – (Modified Electronics Manufacturing Clusters (EMC 2.0) Scheme
इस योजना के अंतर्गत विश्व-स्तरीय अवसंरचना बनाने के साथ-साथ सामान्य सुविधाओं के निर्माण के लिए सहायता दी जायेगी. इस योजना के अन्दर विश्व के बड़े-बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं को आकर्षित करने के लिए पहले से बने हुए कारखाना शेड तथा प्लग एवं प्ले सुविधाएँ तैयार की जा सकती हैं और आपूर्ति शृंखला का प्रबंध किया जा सकता है.
मेरी राय – मेंस के लिए
सरकार को आशा है कि इन तीन योजनाओं को लागू करने से देश में 8 लाख करोड़ के इलेक्ट्रॉनिक्स सामान बनेंगे और साथ ही अगले पाँच वर्षों तक 10 लाख लोगों को आजीविका मिल सकेगी.
उल्लेखनीय है कि भारत अभी ही विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता बन चुका है. 2014-15 में यहाँ छह करोड़ बने जिनका मूल्य 18,992 करोड़ रु. होता है. 2018-19 यहाँ बनने वाली मोबाइलों की संख्या में तीस करोड़ हो गई जिनका मूल्य 1.7 लाख करोड़ था.
भारत सरकार की इन तीन योजनाओं से भारत आत्म निर्भरता की दिशा में आगे बढ़ सकता है. भारत अगर आत्म निर्भर हुआ तो वह ऐसी इको-सिस्टम तैयार करेगा जो वैश्विक अर्थव्यस्था के लिए एक सम्पदा सिद्ध होगी. कहने की आवश्यकता नहीं है कि इससे देश की निर्माण क्षमता में भी चार चाँद लग जायेंगे.
इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग से जुड़े कम्पनियों की भी जिम्मेदारी है कि वे अपने साथ-साथ अपनी सहायक या उनके लिए पुर्जे बनाने वाले छोटे उद्योगों को भी साथ लेकर आए. इससे एक ओर जहाँ इलेक्ट्रानिक उद्योग को सरलता होगी वहीं अधिक संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा.
प्रीलिम्स बूस्टर
सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ़ इंडिया (एसटीपीआई) : यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त सोसाइटी है जिसको भारत सरकार ने 1991 में देश से सॉफ़्टवेयर निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया था. इसके देश भर में 60 केन्द्र हैं.