[no_toc] सामान्य अध्ययन पेपर – 4
नीतिशास्त्र (Ethics) की परिभाषा लिखें. नैतिक अभिशासन से आप क्या समझते हैं? (250 words)
यह सवाल क्यों?
यह सवाल UPSC GS Paper 4 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप से लिया गया है –
“नीतिशास्त्र तथा मानवीय सह-सम्बन्ध मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार तत्त्व, इसके निर्धारक और परिणाम : नीतिशास्त्र के आयाम, निजी और सार्वजनिक संबंधों में नीतिशास्त्र. मानवीय मूल्य – महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन तथा उनके उपदेशों से शिक्षा; मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका”.
सवाल का मूलतत्त्व
प्रश्न सटीक है. नीतिशास्त्र की परिभाषा को थोड़ा लम्बा करके लिखें क्योंकि नैतिक अभिशासन में आप ज्यादा कुछ नहीं लिख सकते. नैतिक अभिशासन के दो प्रकार होते हैं, उनका जिक्र भी जरुर करें. उत्तर आपको 250 शब्दों में देना है. इसलिए हो सके तो किसी विचारक (thinker) के quote/statement को भी जोड़ें. फिलहाल हमारे पास किसी विचारक का quote/statement नहीं है. आप अपना उत्तर कमेंट में भी लिखकर लोगों के साथ share कर सकते हैं. आप फोटो भी कमेंट में upload कर सकते हैं.
उत्तर :-
“Ethics” ग्रीक शब्द “Ethica” से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ है रीति-रिवाज, प्रचलन या आदत. इसे नीति-विज्ञान (Science of Morality) भी कहा जाता है. नीतिशास्त्र या आचरणशास्त्र के लिए “मोरल फिलोसोफी” (moral philosophy) शब्द का भी प्रयोग होता है. मोरल शब्द लैटिन भाषा के “Mores” शब्द से उत्पन्न हुआ है. इसका भी अर्थ है – रीति-रिवाज, प्रचलन, आदत या अभ्यास. इस तरह नीतिशास्त्र का शाब्दिक अर्थ है : मनुष्य के रीति-रिवाजों, आदतों या अभ्यासों का विज्ञान.
वस्तुतः नीतिशास्त्र वह विज्ञान है, जिसमें मानव-आचरण के आदर्श की मीमांसा होती है, उसके कर्मों के औचित्य-अनौचित्य का ठीक-ठीक निर्णय किया जा सकता है. चूँकि आचरण का आधार चरित्र है इसलिए इसे चरित्र-विज्ञान भी कहा जा सकता है.
नीतिशास्त्र का सम्बन्ध मनुष्य की केवल ऐच्छिक क्रिया या आचरण से है. रीति-रिवाज, प्रचलन या आदत मनुष्य के वैसे कर्म है, जिसका उसे अभ्यास हो गया है. ये सब मनुष्य के अभ्यासजन्य आचरण हैं. मनुष्य की इन ऐच्छिक क्रियाओं को ही आचरण (conduct) कहा जाता है. इन्हें किन्हीं संकल्प या इच्छा से किया जाता है. मनुष्य की सभी क्रियाएँ ऐच्छिक नहीं हैं, जैसे – छींकना, साँस लेना आदि. इन क्रियाओं से नीतिशास्त्र का कोई सम्बन्ध नहीं है.
नैतिक अभिशासन (Ethical Governance)
एक अच्छे शासन के छः मापदंड समझे जाते हैं – कथन और जवाबदेही, राजनीतिक स्थिरता और हिंसा की अनुपस्थिति, सरकारी प्रभावशीलता, विनियामक बोझ की युक्तियुक्तता, विधि का शासन, सरकारी कार्य में रिश्वत का अप्रचलन. इनमें से अंतिम दो नैतिक शासन के मुख्य पहलू माने जाते हैं. अभिशासन के दो रूप होते हैं –
- कॉर्पोरेट अभिशासन – प्रभावी अभिशासन का ऐसा रूप जिसके अंतर्गत प्रक्रियाओं और प्रणालियों का ऐसा समूह शामिल होता है जो किसी उद्यम (enterprise) के सभी शेयर धारकों के प्रति उत्तरदायी होता है.
- सरकारी अभिशासन – जहाँ तक सरकारी अभिशासन का प्रश्न है, 1989 में विश्व बैंक ने अपने एक सब-सहारा अफ़्रीकी देशों से सम्बंधित दस्तावेज में सुशासन की अवधारणा को प्रस्तुत किया था. विश्व बैंक के अनुसार सुशासन है —
i) एक लोक सेवा जो सक्षम है
ii) एक न्यायिक प्रणाली जो विश्ववसनीय है और
iii) एक प्रशासन जो लोगों के प्रति उत्तरदायी हो.
सामान्य अध्ययन पेपर – 4
सत्यनिष्ठा, सेवा-भाव और प्रतिबद्धता का किसी लोक सेवक के जीवन में क्या योगदान है? होजसन के नैतिकता के सिद्धांत कौन-कौन से हैं? (250 words)
यह सवाल क्यों?
यह सवाल UPSC GS Paper 4 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप से लिया गया है –
“सिविल सेवा के लिए अभिरुचि तथा बुनियादी मूल्य, सत्यनिष्ठा, भेदभाव रहित तथा गैर-तरफदारी, निष्पक्षता, सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण भाव, कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति, सहिष्णुता और संवेदना “.
सवाल का मूलतत्त्व
आप भी आगे जाकर एक लोक सेवक बनेंगे. आप खुद सोचें कि किसी लोक सेवक के जीवन में सत्यनिष्ठा, सेवा-भाव, प्रतिबद्धता की क्या भूमिका हो सकती है. सत्यनिष्ठा का शाब्दिक अर्थ ईमानदार होता है. सत्यनिष्ठा का कई छात्र गलत माने निकाल लेते हैं और उनका उत्तर खराब हो जाता है. सत्य के राह पर चलने वाला इंसान ईमानदार कहलाता है. पर अधिकांश छात्रों से जब मैंने यह सवाल दिया और उत्तर चेक किया तो पाया कि छात्रों ने सत्य के बारे में लम्बा-चौड़ा भाषण लिख डाला था. उन्होंने लिखा कि हर लोक सेवक को सच बोलना चाहिए….झूठ नहीं बोलना चाहिए….आदि आदि.
उत्तर :-
किसी लोक सेवक के चरित्र, व्यक्तित्व और आचरण में सत्यनिष्ठा, सेवा-भाव और प्रतिबद्धता का होना अत्यंत आवश्यक है. यदि ये भाव लोक सेवक के अन्दर समाहित नहीं हैं तो सम्पूर्ण लोकतंत्र खतरे में पड़ सकता है.
सत्यनिष्ठा
लोक सेवा के सन्दर्भ में सत्यनिष्ठा एक ऐसी संकल्पना है जो लोक सेवक को अपने कर्तव्य पालन की दिशा में उच्च सिद्धांतों के क्रियान्वयन को पूर्ण दृढ़ता, ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठा के साथ करने की प्रेरणा देता है. अगर यह कहा जाए कि सत्यनिष्ठा लोक सेवा एवं सुशासन का मूलाधार है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. एक लोक सेवक से अपेक्षा की जाती है कि वह प्रतिबद्धता के अनुपालन के समय अपनी व्यक्तिगत निष्ठाओं एवं रुचियों को अपने कर्तव्यों पर प्राथमिकता नहीं दे. एक लोक सेवक के लिए सत्यनिष्ठता उसके चरित्र एवं व्यक्तित्व का नैसर्गिक एवं व्यावहारिक पक्ष होना चाहिए.
सेवा-भाव
सेवा-भाव बिना किसी निजी स्वार्थ के जनहित के प्रति प्रतिबद्धता की भावना है जो किसी लोक सेवक को प्रेरित करती है कि उसका प्रत्येक कार्य राष्ट्र के प्रति समर्पित हो. राष्ट्र के उत्थान एवं श्रेष्ठ शासन की स्थापना के लिए लोक सेवकों में “सेवा-भाव” का होना अति आवश्यक है. सेवा की भावना से प्रेरित लोक सेवक अपने कर्तव्य को अच्छी तरह से निभाते हुए श्रेष्ठ लोक सेवक के रूप में स्थापित हो सकता है.
प्रतिबद्धता
यह एक प्रकार का मानवीय भाव, दशा या गुण है जिसके अनुसार कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति, संकल्प, विचार या लक्ष्य के साथ स्वयं को दृढ़ता से सम्बद्ध कर लेता है और उसकी सफलता या प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील रहता है. एक लोक सेवक की प्रतिबद्धता का राष्ट्र-हित के विचार के साथ अपने कर्तव्यों में ईमानदारी, पूर्ण क्षमता एवं निष्पक्षता के प्रति होना अपेक्षित होता है. लोक सेवक की प्रतिबद्धता इस तथ्य के प्रति भी होती है कि शासन की नीतियों व कार्यक्रमों और उसके क्रियान्वयन में उसकी भूमिका का लक्षित समूह पर सकारात्मक प्रभाव रहे.
होजसन द्वारा नैतिकता के सात सिद्धांत बताये गए हैं जिसके द्वारा नैतिक और अनैतिक क्रमों का मूल्यांकन होता है. ये नैतिक सिद्धांत निम्नलिखित हैं –
- मानव जीवन का सम्मान (Dignity)
- समानता (Equality)
- दूरदर्शिता (Prudence)
- ईमानदारी (Honesty)
- खुलापन (Openness)/पारदर्शिता (Transperency)/स्वतंत्रता (Freedom)
- सद्भावना (Goodwill)
- कष्टनिवारण (Suffering prevention and alleviation)
“संसार मंथन” कॉलम का ध्येय है आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सवालों के उत्तर किस प्रकार लिखे जाएँ, उससे अवगत कराना. इस कॉलम के सारे आर्टिकल को इस पेज में संकलित किया जा रहा है >> Sansar Manthan