[संसार मंथन] मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास – Ethics GS Paper 4/Part 3

Sansar LochanGS Paper 4

[no_toc] सामान्य अध्ययन पेपर – 4

लोक-सेवा के सन्दर्भ में “जवाबदेही” का क्या अर्थ है? लोक-सेवकों की व्यक्तिगत और सामूहिक जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं? (250 words) 

यह सवाल क्यों?

यह सवाल UPSC GS Paper 4 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप से लिया गया है –

“लोक प्रशासनों में लोक/सिविल सेवा मूल्य तथा नीतिशास्त्र : स्थिति तथा समस्याएँ ; सरकारी तथा निजी संस्थानों में नैतिक चिंताएँ तथा दुविधाएँ ; नैतिक मार्गदर्शन के स्रोतों के रूप में विधि, नियम, विनियमन तथा अंतर्रात्मा, शासन व्यवस्था में नीतिपरक तथा नैतिक मूल्यों का सुदृढ़ीकरण, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों तथा निधि व्यवस्था (फंडिंग) में नैतिक मुद्दे, कॉर्पोरेट शासन व्यवस्था”.

सवाल का मूलतत्त्व

जब आपको घर में कोई कार्य सौंपा गया जैसे कि बाजार से 10kg चावल ले आओ और आप किसी कारण से नहीं जाते हैं. कुछ समय बाद आपसे पूछा जाता है कि आपने आटा अभी तक नहीं लाया पर क्यों? तो आपकी यह जवाबदेही बनती है कि आप उनको सही-सही कारण बताएँ कि आप आटा क्यों नहीं सके. यदि सोचिये इसके लिए आपको दंड दिया जाता है, जैसे आपका दिन भर का खाना बंद कर दिया जाता है तो क्या आप अगले दिन भी कुछ ऐसा ही करेंगे? अगली बार ऐसा करने से शायद आप डरें. यह तो आपके व्यक्तिगत जवाबदेही के बारे में बात हो गयी. पर उनका क्या जो लोक सेवक हैं? यदि उनसे भी पूछा जाए कि आपने कोई कार्य समय पर नहीं किया तो वे क्या जवाब देते होंगे? उत्तर में जवाबदेही के अर्थ के बारे में बताएँ और साथ-ही-साथ कोई ऐसे उपाय सुझाएँ जिससे जवाबदेही सुनिश्चित भी हो और फलस्वरूप कार्य सफल होने की सम्भावना बढ़ भी जाए.

उत्तर :-

जवाबदेही का अर्थ है – किसी कार्य से जुड़ी सम्बंधित विफलता या प्रक्रियागत भूलों के लिए किसी व्यक्ति विशेष की जिम्मेदारी का निर्धारित होना. ऐसे स्पष्ट निर्धारण से किसी भी कार्य या परियोजना की सफलता की संभावना बढ़ जाती है.

लोक-सेवा के सन्दर्भ में भी इनका यही अर्थ है अर्थात् यह निर्धारित करना कि किसी कार्य या परियोजना के सन्दर्भ में अंतिम जिम्मेदारी किस अधिकारी की होगी तथा किसके प्रति होगी? अगर कार्य विफल हुआ तो उसके खिलाफ कदम उठाये जा सकेंगे. लोक-सेवा के मामले में जवाबदेही विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि इसमें जनता का धन और सुविधाएँ दाँव पर लगी रहती है और लोकतंत्र में सम्पूर्ण प्रशासन की अन्तिम जवाबदेही जनता के प्रति ही बनती है.

लोक सेवकों की व्यक्तिगत और सामूहिक जवाबदेही सुनिश्चित करने के निम्नलिखित उपाय हैं –

1. सुनिश्चित सोपानक्रम होना चाहिए जिसमें सभी पदों की शक्तियाँ और उत्तरदायित्व स्पष्तः परिभाषित हों.

2. किसी कार्य या परियोजना के सन्दर्भ में सभी अधिकारियों में स्पष्ट कार्य-विभाजन हो. संदेह की गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए.

3. जिम्मेदारी को निभाने की प्रतिबद्धता और निष्पादन के आधार पर समुचित पुरस्कारों तथा दंडों की स्पष्ट व्यवस्था हो.

4. प्रशासन को कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों/कर्मचारियों की सम्पूर्ण सुरक्षा की गारंटी देनी चाहिए तक वे निर्भयतापूर्वक लोकहित में निर्णय ले सकें.

5. सामूहिक जवाबदेही वाले समूह में ऐसे सदस्य हों जिनमें पारस्परिक सहयोग की भावना हो, वैमनस्य नहीं.

ऊर्ध्वाधर तथा क्षैतिज विचार-विनिमय की सुविधा हर समय उपलब्ध हो ताकि संवादहीनता के कारण निर्णयन में विलम्ब न हो. व्हाट्सएप ग्रुप जैसे उपाय इसमें बेहद सहायक हैं.

सामान्य अध्ययन पेपर – 4

“अगर समाजवाद का एक अंग लिया जाता है तो समाजवाद खंडित रह जाता है” राममनोहर लोहिया के इस वक्तव्य पर प्रकाश डालें . (250 words) 

यह सवाल क्यों?

यह सवाल UPSC GS Paper 4 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप से लिया गया है –

“नीतिशास्त्र तथा मानवीय सह-सम्बन्ध, मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार तत्त्व, इसके निर्धारक और परिणाम : नीतिशास्त्र के आयाम; निजी और सार्वजनिक सम्बन्धों में नीतिशास्त्र. मानवीय मूल्य – महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन था उनके उपदेशों से शिक्षा, मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका.”

सवाल का मूलतत्त्व

समाजवाद के तीन अंग हैं – सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक समाजवाद. वास्तविक समाजवाद वही है जिसमें तीनों प्रकार के समाजवाद की स्थापना हो. यदि केवल एक ही प्रकार का समाजवाद होता है तो वह समाजवाद पूर्ण नहीं कहा जा सकता. लोहिया के सामाजिक विचारों को अपने उत्तर में लिखें.

उत्तर :-

समाजवाद न तो सम्पत्ति का सिद्धांत है और न राज्य का बल्कि इन सब के ऊपर यह एक जीवन दर्शन है, अतः इस दृष्टि से इसका सम्बन्ध जीवन के प्रत्येक पहलू से है –
सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक.” इसी सम्बन्ध में राममनोहर लोहिया ने कहा है “अगर समाजवाद का एक अंग लिया जाता है तो समाजवाद खंडित रह जाता है…”

एक सच्चे समाजवादी होने के नाते राममनोहर लोहिया ने समाजवाद के पहलू पर विचार किया है जिसमें समाजवाद का सामाजिक पहलू भी सम्मिलित है. डॉ. राममनोहर लोहिया ने समाज से सम्बंधित जिन व्यवस्थाओं पर अपने विचार प्रस्तुत किये हैं उन्हें कुछ बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है –

जातिप्रथा का विरोध : डॉ.लोहिया जाति प्रथा के विरोधी थे. उनके अनुसार जाति प्रथा समाजवाद के मार्ग का मुख्य अवरोधक है. जाति समाज में असमानता उत्पन्न करती है. उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा है “जीवन के बड़े-बड़े तथ्य जन्म, मृत्यु, शादी, भोज और सभी रस्में जाति के चौखटों में होती हैं. ऐसे मौकों पर दूसरी जाति के लोग किनारे पर होते हैं जैसे वे तमाशबीन हों.” जाति प्रथा के कारण निम्न वर्ण शोषण का शिकार बनते हैं और यही प्रथा उन्हें उन्नति के अवसरों से अलग रखती है. लोहिया के अनुसार इन सब का सम्मिलित परिणाम होता है – राष्ट्रीय विकास में कमी.

अस्पृश्यता का विरोध : अम्बेडकर, नेहरु, जयप्रकाश नारायण की तरह लोहिया ने भी अस्पृश्यता को जाति व्यवस्था का परिणाम माना और उसका विरोध किया. हरिजनों के मंदिर प्रवेश की समस्या के निराकरण के लिए उन्होंने हरिजन मन्दिर प्रवेश आन्दोलन चलाया. लोहिया ने अस्पृश्यता की भावना के कुपरिणामों का उल्लेख करते हुए कहा कि अस्पृश्यता के कारण केवल राष्ट्रीय विघटन और अवनति ही नहीं, इसके चलते भारत को अंतर्राष्ट्रीय अपमान और अपेक्षा भी सहन करनी पड़ी है.

उन्होंने हमेशा हिन्दू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया. वे स्त्री-पुरुष समानता के भी प्रबल समर्थकों में से एक थे. उनकी मान्यता थी कि वास्तविक समाजवाद तभी कायम होगा जब उसमें नारी सहभागिता हो. उन्होंने बहुपत्नी विवाह प्रथा का विरोध किया. वे पर्दा प्रथा के भी विरोधी थे.

उक्त सभी बातों के अतिरिक्त लोहिया स्त्री के समान वेतन, अवसर और कानून सम्बन्धी समानता दिलवाने के हिमायती थी. उनके सामाजिक विचारों से स्पष्ट है कि सामाजिक दृष्टि क्षेत्र में उनके विचार अत्यंत प्रगतिशील तथा अपने समय से बहुत आगे थे.


Tags : Ethics GS Paper 4 for UPSC IAS mains exam. लोक-सेवा के सन्दर्भ में “जवाबदेही” का अर्थ, राममनोहर लोहिया के सामाजिक विचार. Notes and study material in Hindi.

“संसार मंथन” कॉलम का ध्येय है आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सवालों के उत्तर किस प्रकार लिखे जाएँ, उससे अवगत कराना. इस कॉलम के सारे आर्टिकल को इस पेज में संकलित किया जा रहा है >> Sansar Manthan

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