यूनानी शब्द Ethikos से उत्पन्न नीतिशास्त्र (Ethics) दर्शनशास्त्र की वह मुख्य शाखा है जो समाज द्वारा प्रतिस्थापित मानंदड एवं नैतिक सिद्धांतों के परिप्रेक्ष्य में उचित और अनुचित मानवीय कृत्यों एवं आचरण का अध्ययन करता है. इस प्रकार यह किसी व्यक्ति के नैतिक चरित्र तथा साथ ही स्वीकृत सिद्धांतों के अनुसार समाज उससे क्या अपेक्षा रखता है इसकी व्याख्या करता है. नीतिशास्त्र (Ethics) मानवीय गतिविधियों की विशेष श्रेणी, जैसे – चिकित्साविषयक नैतिकता, व्यवसायगत नैतिकता, हिंदू नैतिकता आदि के सन्दर्भ में मान्यताप्राप्त आचरण के नियमों का भी उल्लेख करता है.
नीतिशास्त्र की प्रकृति एवं विषय-क्षेत्र को सारांशतः निम्नलिखित बिंदुओं में वर्णित किया जा सकता है :-
नीतिशास्त्र एक विज्ञान है
नीतिशास्त्र एक विज्ञान है जिसका सरोकार प्रकृति के उस क्षेत्रविशेष से होता है जिसका सम्बन्ध उन निर्णयों से है जो हमलोग मानवीय आचरण के विषय में करते हैं. साथ ही यह मनुष्य के जीवन में उचित और अनुचित की सुव्यवस्थित व्याख्या की चर्चा करता है.
नीतिशास्त्र एक मानदंडपरक विज्ञान है
प्राकृतिक विज्ञान अथवा वर्णनात्मक विज्ञान वह विज्ञान होता है जो इस विषय से सम्बंधित है कि वास्तविकता क्या है? यह तथ्यों से सम्बंधित होता है और उन तथ्यों को उनके कारणों के आधार पर व्याख्यायित करता . परन्तु मानदंडपरक विज्ञान इससे सरोकार रखता है कि क्या किया जाना चाहिए. नीतिशास्त्र एक मानदंडपरक विज्ञान है क्योंकि यह उन मानदंडों का वर्णन करता है
जिसके आधार पर हम मानवीय कृत्यों पर निर्णय दे सकते हैं. नीतिशास्त्र को तथ्यों से लेना-देना नहीं है. अपितु यह मान्यताओं और सिद्धांतों से सरोकार रखता है. अतः यह स्पष्ट है कि एक ओर नीतिशास्त्र जहाँ मान्यताओं के निर्धारण से सम्बंधित है तो दूसरी ओर प्राकृतिक विज्ञान तथ्यों के निर्धारण से सम्बंधित है. इसलिए हम कह सकते हैं कि नीतिशास्त्र एक प्राकृतिक विज्ञान न होकर एक मानदंडपरक विज्ञान है. नीतिशास्त्र का प्रश्न है विज्ञान एवं दर्शन में कोई स्पष्ट भेद नहीं करता है.
नीतिशास्त्र वस्तुतः एक ऐसा विज्ञान है जो वैज्ञानिक एवं दार्शनिक होने के साथ-साथ मानदंडपरक और वर्णनात्मक दोनों है.
नीतिशास्त्र नैतिकता से भिन्न है
नीतिशास्त्र और नैतिकता (नैतिकता के लिए प्रयुक्त अंग्रेजी का शब्द moral लैटिन के शब्द moralis से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ रीति अथवा आचरण है) का प्रयोग एक-दूसरे अर्थ में किया जाता है. पहले विद्वान् नीतिशास्त्र को “नैतिकताओं का विज्ञान” बताते थे. परन्तु समय के साथ यह परिभाषा प्रयोग में नहीं रह गई. नीतिशास्त्र यह नहीं सिखाता कि नैतिकतापूर्ण जीवन कैसे जिया जाए. नीतिशास्त्र मात्र हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के सहायक उचित और अनुचित कृत्यों का औचित्य निर्धारित करने में सहायता करता है. नैतिकता का सरोकार उन उद्देश्यों, प्रेरणाओं, अभिप्रायों और पसंदों से होता है जो प्रचलित रीतियों एवं आचरणों के परिप्रेक्ष्य में उचित और अनुचित माने जाते हैं. इन दोनों में दूसरा अंतर यह है कि “नीतिशास्त्र” साधारणत: व्यक्ति पर जबकि “नैतिकता” कृत्यों एवं व्यवहार पर लागू होती है.
नीतिशास्त्र मान्यताओं का विज्ञान है
नीतिशास्त्र मान्यताओं का विज्ञान है क्योंकि वह आचरण अथवा व्यवहार के उन रूपों की खोज करता है जो नैतिक दायित्व से जुड़े होते हैं. नीतिशास्त्र किसी घटना से सम्बंधित होता है जिनको वह नैतिक मान्यताओं के अनुसार निरीक्षण, वर्गीकरण तथा व्याख्या करता है. यह नैतिक निर्णयों को तार्किक निर्णयों से भिन्न करता है और उन्हें एक सिद्धांत के रूप में व्याख्यायित करता है.
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