Euro Corona bonds in Hindi
कोरोना वायरस आपदा से उत्पन्न वित्तीय संकट को दूर करने के लिए कोरोना बांड निर्गत करने का प्रस्ताव है. परन्तु यूरोपीय संघ के देशों में इसको लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं.
कोरोना बांड क्या हैं?
कोरोना बांड यूरोपीय संघ के सदस्य देशों को वित्तीय राहत देने के लिए एक सामूहिक ऋण होगा. तात्पर्य यह है कि यह ऋण केवल कोरोना वायरस द्वारा संकटग्रस्त देशों का ही नहीं, अपितु पूरे यूरोपीय संघ के सभी देशों का माना जाएगा. इसके लिए वित्त की आपूर्ति यूरोपीय निवेश बैंक (European Investment Bank) करेगा.
प्रस्ताव पर आने वाली प्रतिक्रियाएं
यूरोपीय संघ के सभी देश ऐसे बांड के पक्ष में नहीं हैं. इसका समर्थन केवल वे ही 9 देश कर रहे हैं जो शीघ्र से शीघ्र वित्तीय समाधान के लिए आतुर हैं. चार देश तो ऐसे हैं जो प्रस्ताव के पूर्णतः विरुद्ध हैं. ये देश हैं –
- जर्मनी
- नीदरलैंड्स
- फ़िनलैंड
- ऑस्ट्रिया
इन देशों को चार कंजूस (Frugal Four) की संज्ञा दी जाती है.
विरोध का आधार
चार कंजूस देशों का कहना है कि वित्त प्रत्येक देश के लिए अपना व्यक्तिगत उत्तरदायित्व होता है और प्रत्येक सदस्य देश को चाहिए कि वह अपने वित्त को सही हालत में रखे.
कोरोना बांड के पक्ष में तर्क
- कोरोना बांड से यूरोपीय देशों को आवश्यक वित्तीय सहारा मिलेगा.
- देशों को आर्थिक सहायता इस प्रकार मिले जिससे उनका अपना राष्ट्रीय ऋण बढ़ नहीं जाए.
- यदि सभी यूरोपीय देश इस मामले में एकजुटता दिखाएँ तो इससे महादेश में आत्मविश्वास सुदृढ़ होगा.
चिंता के विषय
यूरोपीय संघ के सभी देशों के लिए कोरोना बांड जैसे बांड के क्रियानव्यन में बहुत समय लग सकता है जबकि कई देशों को धन की तत्काल आवश्यकता है.
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