मानव समाज भले ही विकसित हो रहा हो मगर उसके इस विकास के इंजन ने पृथ्वी को इतना कलुषित कर दिया है कि अब साँस लेना भी मुश्किल हो गया है. ग्लेशियर पिघल रहे हैं, जल-स्तर बढ़ रहा है, गर्मी पूरी धमक के साथ अपनी मौजूदगी दर्ज कराने लगी है. स्वयं को पृथ्वी का सर्वश्रेष्ठ जीव मानने वाले मनुष्य ने पिछले कुछ समय से अवांछित कामों से प्रकृति के ऋतु-चक्र को गड़बड़ा दिया है. आज हम Global warming और Greenhouse effect के विषय में विभिन्न जानकारियाँ आपसे साझा करेंगे.
Global Warming क्या है?
धरती के लगातार बढ़ रहे तापमान के स्तर को ग्लोबल वार्मिंग (global warming) कहते है। पूरे विश्व में इंसानों की लापरवाही और निजी स्वार्थ से हमारी धरती की सतह दिनों-दिन गर्म होती जा रही है।
Greenhouse effect क्या है?
क्या आपने कभी ग्रीन हाउस देखा है? नहीं देखा है तो नीचे दिए गए फोटो पर नज़र दौड़ाइए…
ठण्ड के मौसम में पौधों को उगाने के लिए अक्सर ग्रीन हाउस का प्रयोग किया जाता है. यह हाउस एक ग्लास से घिरा होता है. ग्लास का यह पैनल सूर्य के किरणों को अन्दर आने तो देता है मगर अन्दर जो ताप उत्पन्न होता है उसे बाहर जाने नहीं देता. इससे यह ग्रीनहाउस अन्दर से ठीक उसी तरह गर्म हो जाता है जैसे बहुत देर तक धूप में खड़ी गाड़ी अन्दर से गर्म हो जाती है.
ठीक इसी ग्रीनहाउस की तरह हमारी धरती भी गर्म हो जाती है, जिसे हमने green house effect की संज्ञा दी है.
Greenhouse effect कैसे काम करता है?
आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि यदि ग्रीनहाउस इफ़ेक्ट (greenhouse effect) जैसा कुछ होता ही नहीं तो धरती का औसत तापमान शून्य सेंटीग्रेड से नीचे होता.
पृथ्वी की ओर आने वाली सूर्य की किरणें पृथ्वी की सतह पर १०० प्रतिशत नहीं पहुँच पातीं, सिर्फ आधी पहुँचती हैं. अब सवाल उठता है कि आधी किरणें कहाँ गयीं? एक चौथाई किरणें बादलों और गैसों से reflect हो जाती हैं और दूसरी चौथाई वायुमंडलीय गैसों द्वारा अवशोषित हो जाती हैं.
लगभग आधा सौर विकिरण पृथ्वी की सतह पर पड़ता है और उसे गर्म कर देता है. पृथ्वी की सतह पर पड़ने वाले सौर विकिरण का कुछ भाग परावर्तित होकर लौट जाता है जिसे Infrared Radiation कहते हैं. Infrared radiation की ऊष्मा का बहुत छोटा भाग अंतरिक्ष में चला जाता है और अधिकांश भाग वायुमंडलीय गैसों (कार्बन डाइऑक्साइड, मेथेन, जलवाष्प, नाइट्रस ऑक्साइड और क्लोरोफ्लुरो कार्बन) द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है.
मगर इन गैंसों के जो अणु होते हैं, जिन्हें अंग्रेजी में molecules कहते हैं, इस किरण रूपी उर्जा को वापस पृथ्वी के सतह पर फेक देते हैं और पृथ्वी की सतह को फिर से गर्म कर देते हैं. यही लौटने वाली ऊष्मा/गैस ग्रीनहाउस गैस कहलाती है. यह चक्र चलता रहता है और धरती तपती रहती है.
सामान्य तौर पर “ग्रीन हाउस” शीशे का बना एक ऐसा घर होता है जिसमें पौधों को अधिक गर्मी से बचाने के लिए शीशे (काँच) का प्रयोग किया जाता है. पृथ्वी के लिए उसका वायुमंडल “ग्रीन हाउस” के काँच के रूप में कार्य करता है. वायुमंडल “atmosphere” सूर्य के विकिरण की कम तरंगदैर्ध्य (short wavelength) वाली किरणों को तो पृथ्वी पर आने देता है पर लम्बी तरंगदैर्ध्य (long wavelength) वाली किरणों को अवशोषित करके रोक लेता है. अवशोषित विकिरण वायुमंडल से बाहर नहीं जाता है, बल्कि ऊष्मा के रूप में मौजूद रहता है. वायुमंडल में मौजूद जल, वाष्प तथा कार्बन डाइऑक्साइड पृथ्वी से पुनः विकरित होने वाली ऊर्जा को अवशोषित करने की अच्छी शक्ति रखते हैं और हरित प्रभाव (greenhouse effect) को बढ़ा देते हैं. मरुस्थल के ऊपर स्वच्छ और सूखी हवा में हरित प्रभाव कम तथा अधिक आद्रता वाले क्षेत्रों में हरित प्रभाव अधिक होता है. इसी प्रकार जिन क्षेत्रों में कोयला तथा पेट्रोलियम पदार्थों को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड अधिक निकलती है वहाँ हरित प्रभाव अधिक होता है तथा जहाँ इस प्रकार के पदार्थ कम जलाए जाते हैं, वहाँ हरित प्रभाव कम होता है.
ओज़ोन परत क्या है?
ओज़ोन परत (Ozone Layer) पृथ्वी के धरातल से 20-30 किमी की ऊंचाई पर वायुमण्डल के समताप मंडल क्षेत्र में ओज़ोन गैस का एक झीना-सा आवरण है। ओज़ोन परत पर्यावरण का रक्षक है। ओज़ोन परत हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती है. सूर्य की पराबैंगनी किरणों से धरती को बचाने वाली ओजोन परत में काफी बड़ा छेद हो चुका है तथा इस छेद से आसानी से पराबैगनी किरण और रेडियो विकरण धरती पर आ जाते हैं और जीव-जन्तुओं एवं वनस्पतियों पर अपना कुप्रभाव छोड़ते हैं।
अब हम global warming से सम्बंधित कुछ रोचक तथ्यों को जानेंगे….
- पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि ग्रीनहाउस इफ़ेक्ट कोई सिनेमा का विलेन नहीं है. यह जरूरी है. यदि यह नहीं रहता तो पृथ्वी बर्फ का गोला हो जाती. हाँ यह अलग बात है कि हमने जिस तरह प्राकृतिक संपदाओं का दोहन किया है उसके कारण ग्रीनहाउस इफ़ेक्ट में असामान्य वृद्धि हो रही है जिसके चलते धरती और भी गर्म होती जा रही है.
- 1990-2000 ई. के अंतराल में विश्व भर में लगभग 60000 से ज्यादा लोगों की मृत्यु प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुई.
- 2014 सबसे गर्म साल माना गया. इससे पहले 2010 को सबसे ज्यादा गर्म साल माना गया था.
- जीवाश्म ईंधन का उपयोग करने पर उससे उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड से होने वाले वायु प्रदूषण में अमेरिका का सबसे बड़ा हाथ है. वैश्विक वायु प्रदूषण (जीवाश्म) में कुल 25% वायु प्रदूषण अमेरिका ही करता है.
- विश्व-भर में 40% विद्युत उत्पादन कोयले के प्रयोग से ही होता है.
[stextbox id=”download”]Summary of the article in English[/stextbox]
Global warming is happening largely due to an over-emittance of carbon dioxide (CO2), methane kind of gases and fossil fuels (natural oil, gasoline, coal).
Global Environmental Damages
Some example of global damages are discuss below.
(i) Chloroflouro carbons (CFCs), used as refrigerants, and various kinds of sprays or sols (eg. perfumes, air freshner, etc.). CFCs cause ozone holes in the ozone layer. Ozone hole refer to depletion of ozone molecules in the ozone layer due to the reaction of CFCs.The holes in the ozone layer appear elsewhere and not where these chemicals are used.
(ii) More ultraviolet radiations reach the earth through the ozone holes and the reflected radiations from the earth are absorbed by CO2 water vapour, etc. The trapped radiations release more and more heat resulting in the phenomenon of Global Warming. This effect is also known as Green House Effect.
We also discussed some interesting facts of global warming in the end of the article/essay.