कृषि ऋण माफी (Farm loan waiver) क्या है? पात्रता और त्रुटियाँ

Sansar LochanGovernance

महाराष्ट्र सरकार ने उन किसानों के ऋण माफ करने की घोषणा की है जिनके पास अप्रैल 1, 2015 से मार्च 31, 2019 के बीच 2 लाख रु. तक का बकाया है. स्मरणीय है कि ढाई वर्षों में दी गई यह दूसरी ऋण माफी है.

कृषि ऋण माफी की पात्रता (Eligibility for Farm Loan Waiver)

  1. वे किसान जिनका अप्रैल 1, 2015 से मार्च 31, 2019 तक 2 लाख रु. तक का कृषि ऋण बकाया है.
  2. जिस परिवार ने एक से अधिक ऋण लिया है उन्हें प्रत्येक ऋण खाते के लिए माफी दी जायेगी.

ऋण माफी की त्रुटियाँ

  1. इस प्रकार की ऋण माफी बहुत कम किसानों के लिए होती है. अधिकांश वैसे किसान इसके दायरे में नहीं आते हैं जिनको सचमुच राहत चाहिए होता है.
  2. यह ऋण माफी खेती के लिए होती है जबकि किसान जो ऋण लेते हैं उनमें आधे ऋण गैर-कृषि उद्देश्यों से लिए जाते हैं. इस प्रकार ऋणग्रस्त किसानों को इससे मात्र आंशिक राहत मिलती है.
  3. कुछ परिवार एक से अधिक ऋण अलग-अलग स्रोतों से और अलग-अलग नाम से लेते हैं और इस प्रकार वे ऋण माफी के दायरे में आने में सफल हो जाते हैं.
  4. ऋण माफी के अन्दर कृषि श्रमिक नहीं आते हैं जबकि उन्हें ही आर्थिक सहायता की अधिक आवश्यकता होती है.
  5. ऋण माफी का बैंक व्यवसाय पर दूरगामी कुप्रभाव होता है.
  6. ऋण माफी की योजनाओं में बहुधा यह देखा जाता है कि कुछ सुपात्र इसमें छूट जाते हैं और कुछ कुपात्र इसका लाभ उठा लेते हैं जैसा कि CAG ने 2008 की ऐसी ही एक योजना की एक समीक्षा में पाया था.
  7. ऋण माफी सरकार के लिए एक बहुत बड़ा आर्थिक बोझ होता है जिससे उसकी व्यय शक्ति दुष्प्रभावित होती है और विकास के कामों को धक्का लगता है.

क्या किया जाए?

ऋण माफी के लिए एक ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था आवश्यक है जिसमें निश्चित मानदंडों के आधार पर संकटग्रस्त किसानों की सही पहचान हो सके और पीड़ित परिवारों को समतुल्य मात्रा में आर्थिक राहत दी जा सके.

ग्रामीण ऋणग्रस्तता और कृषि से जुड़े कष्ट का टिकाऊ समाधान कृषि कार्यों से होने वाली आय में बढ़ोतरी लाना तथा गैर-कृषि स्रोतों से आय की उपलब्धि को बढ़ावा देना है.

किसानों की आय और कृषि की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए और कुछ कदम उठाये जा सकते हैं, जैसे – उन्नत तकनीक, सिंचाई का क्षेत्र बढ़ाना और नए-नए प्रकार के फसलें उगाना. परन्तु इन सब के लियए सरकार की ओर से धनराशि और सहयोग की आवश्कता है.

RBI की टिप्पणियाँ

RBI का कहना है कि ऋण माफी से न केवल कृषि क्षेत्र में निवेश ही बाधित होता है, अपितु इससे उन राज्यों की वित्तीय स्थिति डगमगा जाती है जो ऋण माफी घोषित करते हैं.

पिछले पाँच वर्षों में जब-जब किसी राज्य में चुनाव हुआ है तब-तब किसी न किसी राजनीतिक दल ने ऋण माफी का वादा किया है. 2008-09 में, केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने पूरे देश के लिए ऋण माफी योजना की घोषणा की थी. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों ने भी हाल के दिनों में इसी तरह की योजनाओं की घोषणा की है.

RBI का तर्क है कि इस प्रकार की माफी से साख की संस्कृति दूषित हो जाती है और बजट पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है.

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