भूमिका
आपको fiscal, revenue, budget, primary deficit, fiscal consolidation जैसे भारी-भरकम शब्दों से डरने की कोई जरुरत नहीं है. आज हम fiscal deficit के विषय में जानेंगे.
Fiscal Deficit, जिसको हिंदी में राजकोषीय घाटा कहते हैं….वह हर वर्ष होने वाला बजटीय घाटा है.
अब यह बजट कहाँ से टपक पड़ा?
आप जानते ही होंगे कि बजट हर साल पेश किया जाता है. बजट सरकार का लेखा जोखा होता है (play budget quiz) . जैसे आपके parents घर का budget बनाते होंगे कि इस महीने या इस साल कितना खर्च करना है, कितना खर्च हुआ और कितने उधार लेने पड़े…उसी तरह सरकार भी अपना लेखा-जोखा बनाती है कि इस साल कौन से क्षेत्र ( रक्षा, विदेश, अन्य मंत्रालय) पर कितना खर्च करना है और यह भी देखती है कि पिछले साल हम कितने घाटे में रहें, बाहर के देशों से कितना उधार लेना पड़ा, उन्हें कितना लौटाना है….किसको हमने क्या दिया था और क्या/कितना वापस लेना है….etc. etc.
एक बात आपको जाननी पड़ेगी कि जो पैसा हमें मिल रहा है यानी लाभ हो रहा है उसे हम (Revenue) कहेंगे और जो पैसा हमारे हाथ से बाहर जा रहा है उसे हम (Expenditure) कहेंगे….अर्थात्
Incoming money = Revenue और Outgoing money= Expenditure
I. [alert-note]पर सवाल उठता है कि देश को पैसे कहाँ से मिलते हैं? Revenue का source क्या है? Revenue/Incoming के दो sources हैं.[/alert-note]
Revenue from Tax/ Tax receipts
Tax revenue दो जगह से आते हैं- १. प्रत्यक्ष कर/Direct Tax २. अप्रत्यक्ष कर/Indirect Tax
Revenue from प्रत्यक्ष कर | Revenue from अप्रत्यक्ष कर |
आय कर – Income Tax | चुंगी/सीमा शुल्क – Custom duty |
निगम कर – Corporate Tax | उत्पाद शुल्क- Excise duty |
सम्पत्ति कर- Wealth Tax | सेवा कर- Service tax |
पूंजी लाभ कर- Capital gain Tax | मूल्य-वर्धित कर -VAT |
Revenue from Non Tax/ Non-Tax receipts
1. सरकारी उपक्रमों से मिलने वाले पैसे…जैसे सरकारी हॉस्पिटल, इंडियन एयरलाइन्स, रेलवे etc.
2. Fines collected and asset forfeitures as a penalty (विजय माल्या का घर, होटल इत्यादि सब जब्त). Examples include parking fines, court costs levied on criminal offenders
3. सरकारी बैंक से हमारे लोन लेने से और बदले में उन्हें interest/ब्याज देने से. etc.
II. [alert-note]अब सवाल उठता है कि देश के पैसे कहाँ जाते हैं या खर्च हो जाते हैं? Expenditure का source क्या है? Expenditure/Outgoing money के दो sources हैं.[/alert-note]
Drainage of Revenue from Plan expenditure
सभी सरकारी योजनाओं पर किया गए खर्च ..बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, मनरेगा etc.
Drainage of Revenue from Non Plan expenditure
1. सभी सरकारी कर्मचारियों/नौकरशाहों, सुप्रीम-हाई-सिविल कोर्ट के जजों को वेतन, वेतन भत्ता देने में सरकारी खर्च.
2. सिलिंडर, पेट्रोल में आपको दी गयी सब्सिडी का वहन भी सरकार ही करती है.
3. भारतीय सेना पर किये जाने वाले खर्च.
4. मंत्रियों के आने-जाने और रहने पर किए जाने वाले खर्च इत्यादि इत्यादि…..
जब | कहलाता है…. |
outgoing money> incoming money | घाटे का बजट/deficit budget. |
outgoing money < incoming money | अतिरिक्त बजट/surplus budget. |
outgoing money = incoming money | संतुलित बजट/balanced budget. |
पर यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि गवर्नमेंट हमेशा deficit budget face करती है. पर क्यों?
१. क्योंकि हमें सेना/टैंक्स/मिसाइलों पर खर्च करना पड़ता है.
२. बेरोजगारी, गरीबी, किसान भाइयों के लिए हमेशा कोई न कोई स्कीम लानी ही होती है नहीं तो बजट में तत्कालीन गवर्नमेंट की थू-थू होगी.
इन अनेक कारणों से सरकार चादर के नाप से ज्यादा पैर फैला लेती है.
और क्या स्थिति आ जाती है?
[alert-success]Expenditure>Revenue=Fiscal Deficit/Revenue/Budget or Primary deficit[/alert-success]
फिर इस घाटे की स्थिति में सरकार क्या-क्या कर सकती है?
1. या तो विदेश से उधार ले ले/अंतरराष्ट्रीय ऋण–world bank
2. खुद नोट प्रिंट करने लगे…लाखों हजारों के नोट छाप ले….सरकार राजकोषीय घाटे का वह हिस्सा जो नोट छाप कर पूरा करती है, वही अंग्रेजी में monetized deficit या ‘मौद्रिक घाटा’ कहलाता है।
3. कोई policy create करे जिससे return या tax collection अच्छा आए…कोई LIC scheme, FDI in different sectors
World bank से उधार तो सरकार ले लेगी पर उसे चुकाना भी पड़ेगा. इसीलिए यह मात्र तत्कालीन विपरीत परिस्थितियों से बचने का तरीका है, long-term solution नहीं. हाँ, यदि उधार लिया हुआ पैसा सरकार सही योजनाओं पर खर्च करे जिससे return कई गुना अधिक मिले, जैसे — irrigation, new high-breed seeds, new canal etc पर खर्च करे तो return भी हमें अच्छा मिलेगा, तब जाकर हम वर्ल्ड बैंक को पैसा तो लौटायेंगे ही, साथ-साथ मुनाफे में भी रहेंगे.
- खुद नोट प्रिंट करना तो सबसे बड़ी बेवकूफी होगी. मान लीजिए, गरीबी को दूर करने के लिए RBI को 10 लाख रु. नोट छापने का आर्डर दिया गया. फिर क्या होगा? सब गरीबों के पास अच्छी-खासी रकम आ जाती है. सब अब सूखी रोटी छोड़कर ब्रेड, मक्खन, आइसक्रीम, फाइव स्टार होटल में जा कर खाने लगे. Supply of goods तो लगभग same ही रहेगी मगर demand बढ़ता जाएगा.
- Economy’s basic rule:– जब माँग बढ़ेगी, दाम भी बढ़ेगा.
- अब Rs. 1000 किलो आलू मिलेगा क्योंकि अब सब अमीर हो चुके हैं.
- Inflation enters into economy that is not healthy. वेनेजुएला में हाल के वर्षों में नोट छापने के चलते ही 1000 गुना इन्फ्लेशन बढ़ गया था.
- The Financial Times quoted:–“Venezuela’s inflation woes are being further compounded by the central bank’s massive money printing operation which has sent the value of the bolivar plummeting.”
इसीलिए fiscal deficit/ राजकोषीय घाटा से बचने का अच्छा तरीका (that is called fiscal consolidation) यही है कि हम>>>
१. सब्सिडी (पेट्रोल, डीजल, गैस) को कम करें.
२. टैक्स स्ट्रक्चर में सुधार लायें (GST लाकर)
३. जंग खाए हुए सरकारी कारखानों को आधुनिक व productive बनायें
४. ब्लैक मनी वापस लायें.
५. मंत्रियों की सुख-सुविधाओं पर कटौती करें.
६. FDI पर काम करें, नए स्कीम लांच करें जिससे टैक्स कलेक्शन जम कर हो सके.
{Fiscal Policy/ राजकोषीय घाटा} Related Questions for Civil Services Mains: Source- NIOS Old Book
1. What is fiscal deficit? Why is it a better measure of deficit as compared to budgetary deficit? राजकोषीय घाटे से क्या अभिप्राय है? यह बजटीय घाटे से अच्छा माप क्यों है?
2. What is fiscal policy? What changes were made to the fiscal policy in 1991? राजकोषीय नीति क्या है? 1991 में इसमें क्या परिवर्तन किए गए?