Food Fortification क्या होता है? इसके लाभ और चुनौतियाँ

Sansar LochanScience Tech

हाल ही में, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के द्वारा फूड फोर्टिफिकेशन (food fortification) पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई.

अभी की स्थिति

  • भारत में लगभग 70% लोग सूक्ष्म पोषक तत्त्वों (micronutrients) के अनुशंसित आहार मान (recommended dietary allowance – RDA) के आधे से भी कम का उपयोग करते हैं. सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी को “प्रच्छन्न भूख (Hidden Hunger)” भी कहा जाता है.
  • खुले बाजार तथा ICDS, MDMS, PDS इत्यादि जैसी सरकारी योजनाओं के जरिये फोर्टिफिकेशन को प्रोत्साहित किया जा रहा है.
  • राष्ट्रीय पोषण रणनीति (कुपोषण मुक्त भारत) में, फ़ूड फोर्टिफिकेशन पर अत्यधिक बल दिया गया है.
  • FSSAI ने फोर्टिफिकेशन के लिए मानक भी निर्धारित किये हैं –
  1. गेहूँ-आटा-चावल (आयरन, विटामिन B12 और फोलिक एसिड के साथ)
  2. दूध और खाद्य तेल (विटामिन A और D के साथ)
  3. डबल फोर्टिफाइड नमक (आयोडीन और आयरन के साथ).
  • इसके द्वारा फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों की पहचान के लिए +F लोगों की शुरुआत की गई है.
  • इसके द्वारा सम्पूर्ण भारत में बड़े स्तर पर फूड फोर्टिफिकेशन (food fortification) को प्रोत्साहित करने के लिए फूड फोर्टिफिकेशन रिसोर्सेज सेंटर (FFRC) की स्थापना की गई है.

सूक्ष्म पोषक तत्त्व क्या होते हैं?

सूक्ष्म पोषक तत्त्व वे पोषक तत्व हैं जिनकी जरूरत जीवन भर लेकिन, बहुत कम मात्रा में पड़ती है. स्थूल पोषक तत्वों के ठीक विपरीत, मानव शरीर द्वारा यह एक बहुत कम मात्रा में लिया जाने वाला आवश्यक खनिज आहार है (आमतौर पर 100 माइक्रोग्राम/दिन से भी कम). सूक्ष्म पोषक तत्वों में लोहा, कोबाल्ट, क्रोमियम, तांबा, आयोडीन, मैंगनीज, सेलेनियम, जस्ता और मोलिब्डेनम आदि सम्मिलित हैं. (यहाँ प्रयुक्त “खनिज” भूगोल में प्रयुक्त खनिज से अलग है).

विदित हो कि विटामिन कार्बनिक रसायन होते हैं, जिनका सेवन किसी प्राणी के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरुरी है, पर इसका संश्लेषण प्राणी खुद नहीं कर सकते इसलिए इनका सेवन उन्हें अपने आहार से प्राप्त करना पड़ता है.

फूड फोर्टिफिकेशन

फूड फोर्टिफिकेशन से तात्पर्य खाद्य पदार्थों में एक या अधिक सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की जानबूझकर की जाने वाली वृद्धि से है जिससे इन पोषक तत्त्वों की न्यूनता में सुधार या निवारण किया जा सके तथा स्वास्थ्य लाभ प्रदान किया जा सके.

पर इसके माध्यम से केवल एक सूक्ष्म पोषक तत्त्व के संकेन्द्रण में वृद्धि हो सकती है (उदारहण के लिए नमक का आयोडीकरण) अथवा खाद्य-सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के संयोजन की एक पूरी शृंखला हो सकती है. यह कुपोषण की समस्या का समाधान करने के लिए संतुलित और विविधतापूर्ण आहार का प्रतिस्थापन नहीं है.

Food Fortification के लाभ

स्वास्थ्य सम्बंधित लाभ

  1. सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने वाले एनीमिया, गोइटर, जीरोफ्थैल्मिया आदि जैसे भारत में प्रचलित रोगों का उन्मूलन. उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार भारत में लगभग 50% महिलाएँ और बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं.
  2. विटामिन D की कमी (भारत की जनसंख्या के 70% से अधिक में व्याप्त) से निपटने के लिए फूड फोर्टिफिकेशन को एक प्रभावी उपकरण के रूप में उपयोग किया जा सकता है.
  3. यह संक्रामक रोगों से मृत्यु के खतरे को कम करता है.

व्यापक जनसंख्या कवरेज

चूँकि पोषक तत्त्वों को मुख्य रूप से उपभोग किये जाने वाले प्रमुख खाद्य पदार्थों में जोड़ा जाता है, अतः इसके माध्यम से जनसंख्या के एक बड़े भाग के स्वास्थ्य में सुधार संभव है.

सामाजिक-संस्कृतिक रूप से स्वीकार्य

इसके लिए लक्षित जनसंख्या की खाद्य आदतों और पैटर्न में किसी भी परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है.

लागत प्रभावी

  • कोपेनहेगन कन्सेन्सस का अनुमान है कि फोर्टिफिकेशन पर खर्च किये गये प्रत्येक 1 रूपये से अर्थव्यवस्था को 9 रु. का लाभ होता है.
  • फूड फोर्टिफिकेशन (food fortification) के लिए प्रौद्योगिकी सरल और कार्यान्वित करने में आसान है.

खाद्य सुरक्षा के अनुपूरक के रूप में

खाद्य सुरक्षा अधिनियम के कार्यान्वयन का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए पोषण सुरक्षा अत्यधिक आवश्यक है.

चुनौतियाँ

स्वैच्छिक प्रकृति

राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र द्वारा खाद्य पदार्थों को फोर्टिफाइड बनाने के सीमित प्रयासों के कारण फोर्टिफिकेशन अनिवार्य होने के स्थान पर निरंतर स्वैच्छिक बना हुआ है.

राज्यों द्वारा अकुशल कार्यान्वयन : हालाँकि कुछ राज्यों ने ICDS, MDMS और PDS में फोर्टिफिकेशन को अपनाया है, परन्तु कुछ निश्चित नीतिगत दिशानिर्देशों, बजटीय बाध्यताओं, तकनीकी ज्ञान और लॉजिस्टिक समर्थन के अभाव के कारण राज्यों ने समग्र रूप से फोर्टिफिकेशन को नहीं अपनाया है.

FSSAI की अकुशलता : इसके पास अधिदेश को प्रभावी ढंग से लागो करने के लिए संसाधनों और जनशक्ति का अभाव है.

जागरूकता का अभाव : वर्तमान में, फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों के उपयोग और लाभों के सम्बन्ध में अत्यधिक गलत-सूचना और अनभिज्ञता व्याप्त है.

आगे की राह

राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन

सरकारी योजनाओं के माध्यम से फोर्टिफिकेशन के अखिल-भारतीय कार्यान्वयन से प्रतिवर्ष आवंटित कुल बजट में केवल 1% की वृद्धि होगी.

राज्यों के लिए समर्थन

भारत सरकार द्वारा केवल आदेश और अधिसूचनाएँ जारी करना पर्याप्त नहीं होगा क्योंकि राज्य सरकारों को अत्यधिक समर्थन की आवश्यकता होती है और उन्हें फोर्टिफिकेशन के लाभ के बारे में संवेदनशील होना चाहिए और विभिन्न कार्यक्रमों के तहत फोर्टिफाइड स्टेपल्स की खरीद के लिए सक्षम होना चाहिए.

मानकों को सुनिश्चित करना

वृहद् पोषक पदार्थों एवं गुणवत्ता के सम्बन्ध में FSSAI मानकों के अनुपालन को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए.

जागरूकता

खुले बाजार में उपभोक्ताओं द्वारा माँग में वृद्धि के लिए फोर्टिफिकेशन के सम्बन्ध में जन जागरूकता अभियान की आवश्यकता है.

खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को प्रोत्साहन

यह प्रमुख भोजन (staple food) के पोषण सम्बन्धी मूल्य में सुधार करने के लिए एक दीर्घकालिक कदम है.


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