फ्यूचर ऑफ अर्थ प्रतिवेदन 2020
दक्षिण एशियाई फ्यूचर अर्थ प्रादेशिक कार्यालय के द्वारा 2020 का फ्यूचर ऑफ अर्थ प्रतिवेदन प्रकाशित हो गया है.
यह प्रतिवेदन इस उद्देश्य से तैयार हुआ है कि किस प्रकार कार्बन फुटप्रिंट घटाया जाए और 2050 तक वैश्विक तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रोक दिया जाए. ज्ञातव्य है कि 2014 से 2018 के बीच के पाँच वर्षों में धरातल और महासागरों में 1880 के बाद सबसे अधिक तापमान देखने को मिला था.
पाँच वैश्विक जोखिम
फ्यूचर ऑफ अर्थ प्रतिवेदन में ऐसे पाँच वैश्विक जोखिम बताये गये हैं जिनमें वैश्विक तंत्रगत संकट उत्पन्न करने की क्षमता है. ये जोखिम निम्न प्रकार से हैं –
- जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों कमी और उसके अनुकूलन में विफलता
- आत्यन्तिक जलवायु घटनाएँ
- जैव विविधता में बहुत बड़ी क्षति और पारिस्थितिकी का पतन
- खाद्य संकट
- जल संकट
फ्यूचर ऑफ अर्थ प्रतिवेदन के कुछ प्रमुख तथ्य
- जोखिम कारकों में आपसी सम्बन्ध : आत्यन्तिक लू की लहरों के चलने से वैश्विक तापमान बढ़ जाएगा क्योंकि इससे प्रभावित पारिस्थितिकियों में जमे कार्बन की विशाल मात्रा विमुक्त होगी. साथ ही जल संकट और खाद्य वस्तुओं का अभाव भी उत्पन्न हो जाएगा.
- जैव विविधता की क्षति और उसका दुष्प्रभाव : जैव विविधता में क्षति होने से जलवायु से सम्बंधित आपदाओं से लड़ने की हमारी प्राकृतिक एवं कृषिगत प्रणालियों की क्षमता कमजोर हो जाती है और हम पर खाद्य संकट का खतरा बढ़ जाता है.
चिंताएँ एवं चुनौतियाँ
इस विषय में पिछले दो वर्षों में जितने भी बड़े अध्ययन हुए हैं, सब यही बताते हैं कि ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को घटाने के लिए समय हमारे हाथों से निकलता जा रहा है. इससे चिंतित होकर 700 शहरों, देशों और सरकारों के प्रमुख व्यक्तियों ने जलवायु संकट अथवा जलवायु आपदा के विषय में कई घोषणाएँ की हैं. फिर भी 2019 में वायुमंडल के कार्बन डाइऑक्साइड की संघनता 415 ppm से ऊपर चली गई.
मानवकृत कारण : कहा जाता है कि मनुष्यों के चलते धरती के भूस्थल का 75% पहले से अत्यंत ही बदल चुका है. साथ ही वनस्पतियों और पशुओं की एक चौथाई प्रजातियों पर खतरा हो गया है.
खाद्य उत्पादन पर दबाव : जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता में क्षति तथा वैश्विक जनसंख्या में बढ़ोतरी जैसे विभिन्न कारणों के फलस्वरूप खाद्य उत्पादन पर दबाव बढ़ने की आशा है.
जलवायु परिवर्तन को अस्वीकार करना : कुछ दक्षिणपंथी नेता आर्थिक मंदी और बढ़ती हुई असमानता से ध्यान बंटाने के लिए जलवायु परिवर्तन की सच्चाई से इनकार कर देते हैं.
सोशल मीडिया पर होती अफवाहें : सोशल मीडिया सर्च इंजन और ई-कॉमर्स के अल्गोरिदम ऐसी जानकारियों को फैलाने के पक्ष में रहते हैं जिनमें तर्क के स्थान पर भावना से काम लिया जाता है और झूठे समाचारों का प्रचार किया जाता है. इससे आपदा प्रबंधन को धक्का पहुँचता है. उदाहरण के लिए कई बार अफवाह उड़ाई जाती है कि अमुक टीके से अमुक हानि हो सकती है जोकि गलत होता है.
पर्यावरणगत स्वास्थ्य और शिक्षा
पर्यावरणगत स्वास्थ्य और शिक्षा आज एक बहुत बड़ी आवश्यकता है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस पर विशेष ध्यान देती है. इसके अंतर्गत माध्यमिक शिक्षा के अंतिम चार वर्षों में बच्चों को इस विषय में पर्याप्त जानकारी दी जायेगी और उन्हें पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाया जाएगा. जब तक ऐसा नहीं होगा कोई भी सरकारी नियम या नीति काम नहीं आएगी.
Tags : Future of Earth 2020 Report. The five risks and other key findings. Concerns and challenges ahead, ways to address them.