भारत में सैकड़ों सरकारी विभागों के हजारों दफ्तरों की करोड़ों जरूरतें होती हैं. पेन, पेपर, फाइल से लेकर कंप्यूटर, फोटोस्टेट मशीन और यातायात पर सालाना हजारों करोड़ रुपये खर्च होते हैं. ये खरीद-बिक्री अक्सर सवाल के घेरे में रहती है. शायद सबसे अधिक भ्रष्टाचार की वजह भी यही खरीद-बिक्री (procurement process) होती है. लेकिन यदि ये सारी खरीद-बिक्री ऑनलाइन हो तो? बिजली के दफ्तर से लेकर PWD कार्यालय में कौन-सी चीज कितने दामों पर और किस quality की खरीदी गई, इसकी जानकारी यदि आपको भी हो तो? दरअसल अब यह संभव हो चुका है. सरकार ने 2016 में ही Government e-Marketplace यानी GeM Portal की शुरुआत की थी. शुरूआती महीनों में ही इसके अच्छे नतीजे देखने को मिले और अब सरकार ने इसका advanced version GeM 3.0 शुरू किया है. क्या है GeM पोर्टल और इसकी क्या खासियत है, कैसे बिचौलियों से मुक्त पारदर्शी खरीद फरोख्त संभव हो सकता है, इस योजना में चुनौतियाँ क्या-क्या हैं, ये सभी topics पर आज हम चर्चा करेंगे.
Key Highlights of GeM Portal
- सरकार की खरीद-बिक्री में पारदर्शिता लाने सरकार ने GeM पोर्टल की शुरुआत की थी.
- इस पोर्टल के जरिये सभी सरकारी विभाग अपनी जरुरातों के हिसाब से जुड़े सामान tender और विभागों के बीच फाइलों की लम्बी दौड़ के बिना खरीद सकते हैं.
- केंद्र सरकार ने अपने सभी विभागों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया है.
- सभी सरकारी विभाग इस पोर्टल पर registered विक्रेताओं से बिना कोटेशन और बिना टेंडर के सामान खरीद रहे हैं.
- इस पोर्टल पर केंद्र और राज्य सरकार के सभी विभाग, सार्वजनिक कंपनियाँ और स्वायत्त निकायों के अधिकृत प्रतिनिधि सामानों को खरीद सकते हैं.
- इसमें PC, laptop, mobile, stationary, furniture आदि ख़रीदा जा सकता है.
- हालाँकि GeM पर खरीददारी करने के लिए अधिकृत किये गए खरीदारों को अपने विभाग के सेक्शन प्राधिकारी से अनिवार्य अनुमोदन लेना होगा.
- आर्डर करने पर vendor निर्धारित समय पर ख़रीदा गया सामान विभाग तक पहुँचा देंगे.
इस पोर्टल पर आज के समय में –
- 16,470 खरीददार संगठन हैं
- 44,820 विक्रेता हैं
- 4,74,025 उत्पाद हैं
GeM क्या है?
- सरकारी ई-बाजार एक ऑनलाइन बाजार है जिसके माध्यम से सरकार के विभिन्न मंत्रालय एवं एजेंसियाँ और सेवाओं का क्रय करती हैं.
- यह बाजार केन्द्र सरकार के विभागों, राज्य सरकार के विभागों, लोक उपक्रम प्रतिष्ठानों और सम्बद्ध निकायों के लिए है.
- यह एक सर्वसमावेशी अभियान है जिसमें सभी प्रकार के विक्रेताओं और सेवा-प्रदाताओं को सशक्त किया जाएगा, जैसे – MSMEs, स्टार्ट-अप, स्वदेशी निर्माता, महिला उद्यमी, स्वयं सहायता समूह (SHGs).
- इस बाजार का उद्देश्य सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार दूर करना तथा उसमें पारदर्शिता, सक्षमता और गति लाना है.
- सरकारी ई-बाजार एक 100% सरकारी कम्पनी है जिसकी स्थापना केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन हुई है.
GeM से फायदे
- विक्रेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा के चलते उत्पाद की कीमतों में कमी (15-20% ↓)
- अवैध रूप से सरकारी खरीददारी पर रोक लगी
GeM पोर्टल में आने वाली दिक्कतें
- GeM के माध्यम से खरीददारी कर रहे लोगों की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि GeM किसी भी तरह की खरीद-बिक्री की जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं लेता.
- इस पोर्टल पर उपलब्ध सामान की कीमत और उपलब्धता पर इसे चलाने वाले विभाग DGS&D का कोई नियंत्रण नहीं होता.
- उत्पादों की रेट एक समान नहीं है और हमेशा उतार-चढ़ाव होता रहता है जिससे एक ही विभाग एक ही सामान के अलग-अलग समय पर अलग-अलग दाम चुकाता है.
- GeM के जरिये खरीददारी करते वक़्त कई अलग-अलग ID देनी पड़ती है. इसे लेकर अधिकृत अधिकारी एतराज जताते हैं.
GeM 3.0
GeM portal के pilot version को जिस तरह एक साल के भीतर अच्छा response मिला, उसे देखते हुए सरकार ने इसे अब advanced version में launch किया है. इस advanced version को GeM 3.0 के नाम से जाना जाता है. नए version में ज्यादा से ज्यादा sellers को जोड़ा जा रहा है ताकि सरकारी खरीददारी बिल्कुल सीधे तौर पर और अधिक से अधिक हो.
All articles available >> Sansar Editorial