पृष्ठभूमि
2018 में एक अध्यादेश (Gilgit-Baltistan Order 2018) के जरिये पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री को गिलगित-बल्तिस्तान के संवैधानिक, न्यायिक अधिकार देने की कोशिश की गई. इसके बाद पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री गिलगित-बल्तिस्तान के किसी भी मौजूदा क़ानून में बदलाव करने में सक्षम हो गये.
भूमिका
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में एक स्वायत्तशासी इलाका है जिसे गिलगित-बल्तिस्तान के नाम से जाना जाता है. यह इलाका पहले शुमाली या उत्तरी इलाके के नाम से जाना जाता था. करीब 73 हजार किमी. वाले इस स्थान पर 1947 ई. में पाकिस्तान ने अवैध कब्ज़ा कर लिया था. भारत और यूरोपीय संघ इस इलाके को कश्मीर का अभिन्न हिस्सा मानते हैं लेकिन पाकिस्तान की राय इससे अलग है. पाकिस्तान ने 1963 ई. में इस इलाके का हिस्सा अनधिकृत रूप से चीन को सौंप दिया था. इसके बाद 1970 में गिलगित एजेंसी के नाम से यहाँ एक प्रशासनिक इकाई का गठन किया गया. 2009 में गिलगित-बल्तिस्तान अधिकारिता और स्व-प्रशासन आदेश जारी किया गया.
गिलगित-बल्तिस्तान का इतिहास
साल 1947 तक भारत-विभाजन के समय गिलगित-बल्तिस्तान का क्षेत्र जम्मू और कश्मीर की तरह ना तो भारत का हिस्सा था और न ही पाकिस्तान का. दरअसल 1935 में जम्मू कश्मीर के महाराजा ने गिलगित का इलाका अंग्रेजों को 60 साल के लिए लीज पर दे दिया था. अंग्रेज़ इस इलाके का उपयोग अपनी सामरिक रणनीति के तहत करते थे और यहाँ की ऊँची पहाड़ियों पर सैनिकों को रखकर आस-पास के इलाके पर नजर रखते थे. अंग्रेजों की गिलगित-स्काउट्स नाम की एक सैनिक-टुकड़ी यहाँ तैनात रहती थी.
विभाजन के समय डोगरा राजाओं ने अंग्रेजों के साथ अपनी लीज डीड को रद्द करके इस क्षेत्र में अपना अधिकार कायम कर लिया. लेकिन गिलगित-स्काउट्स के कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान ने कश्मीर के राजा हरि सिंह के खिलाफ विद्रोह कर दिया और 1 नवम्बर, 1947 को गिलगित-बल्तिस्तान की आजादी का ऐलान कर दिया. इससे कुछ ही दिन पहले 26 अक्टूबर, 1947 को हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर रियासत के भारत में विलय की मंजूरी दे दी थी. गिलगित-बल्तिस्तान की आजादी की घोषणा करने के 21 दिन बाद ही पाकिस्तान ने इस इलाके पर कब्जा जमा लिया जिसके बाद से 2 अप्रैल, 1949 तक गिलगित-बल्तिस्तान पाकिस्तान के कश्मीर के कब्जे वाला हिस्सा माना जाता रहा. लेकिन 28 अप्रैल, 1949 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की सरकार के साथ एक समझौता हुआ जिसके तहत गिलगित के मामले को सीधे पकिस्तान की केंद्र सरकार के अधीनस्थ कर दिया गया. इस करार को कराँची समझौते के नाम से जाना जाता है.
आर्टिकल का सार
- वर्ष 2018 में पाकिस्तान सरकार ने एक गिलगित-बल्तिस्तान आदेश पारित किया था, जिसका उद्देश्य गिलगित-बल्तिस्तान को अपने पांचवें प्रांत के रूप में शामिल करना और इसे पाकिस्तान के शेष संघीय ढांचे के साथ एकीकृत करना था.
- पाकिस्तान के अन्य 4 प्रांत बलूचिस्तान, खैबर-पख्तूनख्वा, पंजाब और सिंध हैं.
- गिलगित-बल्तिस्तान का क्षेत्र, जम्मू और कश्मीर की पूर्ववर्ती रियासत का हिस्सा था. किंतु वर्ष 1947 में कबीलाई लड़ाकों और पाकिस्तानी सेना द्वारा आक्रमण के उपरांत से यह पाकिस्तान के नियंत्रणाधीन है.
गिलगित-बल्तिस्तान का महत्त्व
सामरिक अवस्थिति: गिलगित-बल्तिस्तान भारतीय उपमहाद्वीप, मध्य एशिया और चीन के संपर्क बिंदु पर स्थित है.
चीनी हस्तक्षेप: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (China-Pakistan Economic Corridor – CPEC) से होकर गुजरता है.
जल और ऊर्जा संसाधन: सियाचिन ग्लेशियर जैसे महत्वपूर्ण ग्लेशियर गिलगित-बल्तिस्तान में अवस्थित हैं. साथ ही, सिंधु नदी भी गिलगित-बल्तिस्तान से होकर गुजरती है.
विशाल क्षेत्र: गिलगित-बल्तिस्तान का क्षेत्र पाकिस्तान के नियंत्रणाधीन कश्मीर से पांच गुना अधिक बड़ा है.
इससे पूर्व, भारत अपना मत व्यक्त कर चुका है कि संपूर्ण जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र, जिसमें गिलगित-बल्तिस्तान का क्षेत्र भी शामिल है, भारत का अभिन्न हिस्सा है. पाकिस्तान को अवैध रूप से और बलपूर्वक नियंत्रित किए गए क्षेत्रों पर हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है.
Important Facts
- पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले कश्मीर को दो प्रशासनिक हिस्सों में बाँट रखा है – 1. गिलगित-बल्तिस्तान और 2. PoK
- पाकिस्तान ने 1947 के बाद बनी संघर्ष-विराम रेखा (जिसे अब नियंत्रण रेखा कहा जाता है) के उत्तर-पश्चिमी इलाके को उत्तरी भाग और दक्षिणी इलाके को PoK के रूप में बाँट दिया.
- उत्तरी भाग में ही गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र है.
- पाकिस्तान गिलगित-बल्तिस्तान को एक अलग भौगोलिक इकाई मानता है.
- पाकिस्तान का ताजा कदम स्थानीय लोगों के हित में नहीं बल्कि चीन के साथ उसके रिश्तों की वजह से उठाया गया है.
- चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) इस विवादित क्षेत्र से गुजरता है. यह चीन की One Belt One Road परियोजना का हिस्सा है.
- इसके आलावे चीन ने इस इलाके में खनिज और पनबिजली संसाधनों के दोहन के लिए भी भारी निवेश किया है.
- लेकिन गिलगित-बल्तिस्तान पर पाकिस्तान का कब्ज़ा कहीं से भी जायज नहीं है.
गिलगित-बल्तिस्तान
- गिलगित-बल्तिस्तान सात जिलों में बँटा है.
- दो जिले बल्तिस्तान डिवीज़न में और पाँच जिले गिलगित डिवीज़न में हैं.
- इस क्षेत्र की अपनी विधानसभा है.
- पाक-अधिकृत कश्मीर सुन्नी-बहुल है जबकि गिलगित-बल्तिस्तान शिया-बहुल इलाका है.
- इसकी आबादी करीब 20 लाख है.
- इसका क्षेत्रफल करीब 73 हजार वर्ग किमी. है.
- इसका ज्यादातर इलाका पहाड़ी है.
- यहीं दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची चोटी K2 है.
- इस इलाके की सीमाएँ भारत, पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान से मिलती हैं. इसके उत्तर में चीन और अफगानिस्तान, पश्चिम में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत और पूरब में भारत है.
- पाकिस्तान यह दावा करता है कि वह गिलगित-बल्तिस्तान के नागरिकों के साथ देश के अन्य नागरिकों के जैसा ही व्यवहार करता है. लेकिन स्थानीय लोग पाकिस्तान सरकार पर अपनी अनदेखी का आरोप लगाते रहे हैं.
- इस वजह से इस इलाके में कई बार आन्दोलन भी हुए. स्थानीय जनता CPEC को पाकिस्तान सरकार की चाल बताती है. लोगों का कहना है कि उनके मानवाधिकार और संसाधन खतरे में है.
भारत का क्या कहना है?
भारत का कहना है कि यह इलाका जम्मू-कश्मीर राज्य का अभिन्न हिस्सा है. भारत जम्मू-कश्मीर के किसी भी हिस्से को एक अलग पाकिस्तानी प्रांत बनाये जाने का विरोध कर रहा है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान गिलगित-बल्तिस्तान समेत कश्मीर के उन इलाके से भी हटे जहाँ उसने अवैध कब्ज़ा कर रखा है. उधर पाकिस्तान इस इलाके पर अपना कानूनी दावा मजबूत करने की साजिशें रच रहा है. भारत इस इलाके में चीन की गतिविधियों का भी विरोध करता रहा है.
सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण
गिलगित-बल्तिस्तान पाक-अधिकृत इलाके का हिस्सा है. भौगोलिक स्थिति की वजह से यह इलाका सामरिक दृष्टि से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है. पाकिस्तान और चीन से जुड़े होने के कारण यह इलाका भारत के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है. पाकिस्तान और चीन किसी न किसी बहाने इस इलाके में अपने पैर पसारने की कोशिश करते रहे हैं. चीन ने 60 के दशक में गिलगित-बल्तिस्तान होते हुए काराकोरम राजमार्ग बनाया था. इस राजमार्ग के कारण इस्लामाबाद और गिलगित आपस में जुड़ गये. इस राजमार्ग की पहुँच चीन के जियांग्जिग प्रांत के काशगर तक है. इतना ही नहीं, चीन अब जियांग्जिग प्रांत को एक राजमार्ग के जरिये बलूचिस्तान की ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है. इसके जरिये चीन की पहुँच खाड़ी समुद्री मार्गों तक हो जायेगी. चीन गिलगित पर भी अपनी पैठ बनाना चाहता है और इसके लिए वह पाकिस्तान का साथ चाहता है क्योंकि गिलगित पर नियंत्रण के बिना ग्वादर का चीन के लिए कोई मतलब नहीं है.
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