[Sansar Editorial] सकल गैर- निष्पादित परिसंपत्ति अनुपात (Gross Non-Performing Assets Ratio)

Sansar LochanBanking, Sansar Editorial 2018

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Signs of a turnaround: on RBI’s Financial Stability Report

The Hindu –  DECEMBER 31

अभी हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Financial Stability Report) में यह बताया गया है कि बैंको के सकल गैर- निष्पादित परिसंपत्ति अनुपात (Gross Non-Performing Assets Ratio) में कमी दर्ज की गई है जो अर्थव्यवस्था और बैंको की वित्तीय सेहत के हिसाब से एक अच्छा संकेत है. सभी वाणिज्यिक बैंको का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति अनुपात (GNPA) मार्च, 2018 में 11.5% था जो सितबर, 2018 तक 10.8% हो गया है .

दूसरी ओर, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का GNPA सितम्बर, 2017 (14.8% ) की तुलना में मार्च, 2018 (14.6% ) तक धीमी गति से कमा है. इतनी धीमी गति के पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि बड़े-बड़े ऋण (55%) सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से ही उठाये गये थे. अत: स्वाभाविक रूप से इन बैंकों का GNPA अधिक होना ही था. एक ओर इन बैंकों GNPA अनुपात 21.6% था, तो वहीं निजी बैंकों में यह अनुपात 7% ही था.

गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA)

गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) वह ऋण है जिसके ऊपर बैंको को पिछले 3 महीने तक कोई किश्त प्राप्त नहीं हुई है . किसी बैंक के NPA और कुल दिये गए ऋण के अनुपात को सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति अनुपात (GNPA) कहा जाता है जो बैंको की वित्तीय सेहत को दर्शाता है और साथ ही साथ सरकार को भी बैंको की निगरानी में सहायता करता है. (और अच्छे से जाने NPA के बारे में, Click > NPA in Hindi)

वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Financial Stability Report – FSR) भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी की जाती है. यह रिपोर्ट वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद् (Financial Stability and Development Council) की वित्तीय स्थिरता के जोखिम से सम्बंधित उप-समिति के सामूहिक एवं वित्तीय प्रणाली के लचीलेपन को भी प्रतिबिम्बित करती है.

रिपोर्ट में वित्तीय क्षेत्र के विकास और विनियमन से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की गई है, जो निम्नलिखित हैं –  

  • प्रणालीगत जोखिमों का समग्र मूल्यांकन
  • वैश्विक और घरेलू मैक्रो-वित्तीय जोखिम
  • वित्तीय संस्थानों का प्रदर्शन और सम्बंधित जोखिम

प्रणालीगत जोखिमों का समग्र मूल्यांकन

भारत की वित्तीय प्रणाली में स्थिरता देखी जा सकती है और बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के संकेत भी दिखाई दे रहे हैं, भले ही वैश्विक आर्थिक वातावरण और वित्तीय क्षेत्र में उभरती प्रवृत्ति चुनौतियों का सामना कर रही हो.

वैश्विक और घरेलू मैक्रो-वित्तीय जोखिम

  • 2018 और 2019 के लिए वैश्विक विकास दृष्टिकोण स्थिर बना हुआ है, हालांकि अंतर्निहित नकारात्मक जोखिम भी बढ़ गया है.
  • उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के द्वारा कठोर संरक्षणवादी व्यापार-नीतियों के अपनाने और वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि के कारण उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए स्पिल-ओवर का जोखिम में वृद्धि हो गई है.
  • उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (advanced economies) में मौद्रिक नीति के क्रमिक सामान्यीकरण के साथ वैश्विक व्यापार व्यवस्था में अनिश्चितता भी उभरते बाजारों (emerging markets – EM) के पूंजी प्रवाह को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती है और EM देशों में ब्याज की दरों और कॉर्पोरेट स्प्रेड में बढ़ोतरी का दबाव बना सकती है.
  • घरेलू मोर्चे पर, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि ने 2018-19 (दूसरी तिमाही) में मामूली सुधार दिखाया जबकि मुद्रास्फीति नियंत्रण में है.
  • जहाँ तक घरेलू वित्तीय बाजारों की बात है, इनमें क्रेडिट इंटरमीडिएशन में ढांचागत बदलाव और बैंकों और गैर-बैंकों के बीच विकसित होते सम्बन्ध अधिक सतर्कता की माँग करते हैं.

वित्तीय संस्थानों का प्रदर्शन और सम्बंधित जोखिम

  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (scheduled commercial banks -SCBs) की क्रेडिट वृद्धि ने मार्च 2018 और सितंबर 2018 के बीच सुधार दिखाया है, जो बड़े पैमाने पर निजी क्षेत्र के बैंकों (private sector banks –PVBs) के कारण संभव हुआ है.
  • बैंकों की आस्ति गुणवत्ता (asset quality ) में SCBs की सकल गैर-निष्पादित आस्ति अनुपात (GNPA) के अन्दर मार्च 2018 में 5 प्रतिशत से सितंबर 2018 में 10.8 प्रतिशत की गिरावट के साथ सुधार देखा गया.
  • आधारभूत परिदृश्य के तहत, जीएनपीए अनुपात सितंबर 2018 में 8 प्रतिशत से घटकर मार्च 2019 में 10.3 प्रतिशत हो सकता है.
  • सितंबर 2017-सितंबर 2018 की अवधि के लिए वित्तीय नेटवर्क संरचना का विश्लेषण एक सिकुड़ते हुए अंतर-बैंक बाजार की ओर इंगित करता है, साथ ही यह धन जुटाने के लिए आस्ति प्रबंधन कंपनियों-म्युचुअल फंडों (एएमसी-एमएफ) और ऋण देने के लिए एनबीएफसी / हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (एचएफसी) के साथ बढ़ते बैंक लिंकेज की ओर भी संकेत करता है.

GNPA में कमी

GNPA के कम होने की पीछे निम्नलिखित कारण हैं –

  • RBI की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई(PCA) ने बैंको के GNPA को कम करने में योगदान दिया है .
  • द इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 जिसके कारण फँसे हुए ऋण की उगाही करने में सफलता मिली है .
  • पेशेवर निगरानी ढांचे में सुधार और भ्रष्टाचार में कमी
  • राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण का वह निर्णय जिसके द्वारा कंपनियों के लिए  मध्यस्थता, समझौता, व्यवस्था और पुनर्निर्माण और परिसमापन-संबंधी समयसीमा 6 महीने (जिसको बढ़ाकर 9 महीने तक किया जा सकता है ) कर दी गई है.

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