GSLV Mark III Rocket के Specifications और उपयोग

Sansar LochanDefence

MKII_ROCKET

जून 5, 2017 को 5:28 pm ISRO ने श्री हरिकोटा, आंध्रप्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपने अब-तक के सबसे भारी रॉकेट – GSLV Mark III को छोड़कर इतिहास रच दिया. GSLV Mk III Rocket का भार 640 टन है. इस राकेट की मुख्य विशेषताएँ निन्मलिखित हैं : –

Specifications of GSLV Mark III Rocket

  1. यह अन्तरिक्ष में GTO तक 4 ton के उपग्रह भेजने में सक्षम है. GTO का तात्पर्य है Geosynchronous Transfer Orbit.
  2. Low Earth Orbit (LEO) तक यह 8 ton के यान छोड़ सकता है. इतना भार मनुष्य से युक्त अन्तरिक्ष यान को प्रक्षेपित करने के लिए पर्याप्त है. ISRO के पूर्व अध्यक्ष, जोकि इस rocket की अवधारणा करने वाले मुख्य वैज्ञानिक थे, ने बतलाया है कि यह rocket भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने में सहायक होगा. सुना जा रहा है कि ऐसे अंतरिक्ष यान में जाने वाले भारतीय संभवतः “Gaganauts or Vyomanauts” कहे जायेंगे.
  3. इस रॉकेट के साथ GSAT 19 उपग्रह भी छोड़ा गया है जिससे दूरसंचार और ब्राडकास्टिंग में प्रगति आयेगी. इन satellite का कुल भार 3136 kg है.
  4. इस रॉकेट में एक ऐसा cryogenic engine लगाया गया है जिसमें तरल oxygen और तरल hydrogen का  प्रयोग हुआ है.
  5. GSLV Mark III भारत का अब तक का सबसे भारी रॉकेट है. इसका भार 640 टन है. यह भार 200 वयस्क एशियाई हाथियों के भार के बराबर है. दूसरे शब्दों में यह पूर्णतः भरे हुए 5 बोईंग जंबो जेटों (equivalent to the weight of five fully loaded Boeing Jumbo Jets) के बराबर भारी है. फिर भी यह ध्यान देने योग्य बात है कि यह सबसे छोटा रॉकेट भी है क्योंकि इसकी ऊँचाई मात्र 43 मीटर ही है.
  6. स्मरण रहे कि अब तक ISRO को 2300 kg. से अधिक भारी उपग्रह को छोड़ने में विदेशी प्रक्षेपकों (launchers), जैसे कि France का Ariane प्रक्षेपक, की सहायता लेनी पड़ती थी,
  7. इसमें GSAT 19 में पहली बार भारत में ही बने lithium-ion batteries का प्रयोग हुआ है.
  8. GSAT को ऐसा बनाया गया है कि यह कम-से-कम 10 वर्ष तक देश को अपनी सेवा देता रहेगा.

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