भारत के वैज्ञानिकों ने देश का ऐसा पहला संक्रमण का मामला पता लगाया है जिसमें बर्ड फ्लू फैलाने वाले H9N2 वायरस के एक विरल प्रकार का प्रकोप देखने को मिला है.
H9N2 क्या है?
- यह इन्फ्लुएंजा A वायरस का एक उप-प्रकार है जिससे मनुष्य और पंछियों में इन्फ्लुएंजा होता है.
- इस उप-प्रकार का पता सबसे पहले अमेरिका के विस्कोंसिन (Wisconsin) में 1966 में टर्की प्रजाति के पंछियों से चला था.
- H9N2 वायरस सभी जंगली पंछियों में होता है और कई जगहों में मुर्गे-मुर्गियों में बहुतायत से पाया जाता है.
H9N2 चिंता का विषय क्यों?
पूर्व में विश्व में इन्फ्लुएंजा का कभी-कभी भयंकर प्रकोप हुआ करता था जिससे हजारों मनुष्य काल के ग्रास हो जाते थे.
वैज्ञानिकों को आशंका है कि H9N2 वायरस से इस प्रकार का इन्फ्लुएंजा दुबारा उभर सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि विश्व-भर में पंछियों में व्याप्त बर्ड फ्लू के वायरस के कारण उन मनुष्यों को बर्ड फ्लू हो सकता है जो इन पंछियों के आस-पास रहते हैं या इस वायरस से दूषित परिवेश में काम करते हैं. इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा कि मनुष्यों बर्ड फ्लू के मामले रह-रह कर दृष्टिगोचर होते रहें.