Famous Statements in Indian History
इस पोस्ट में हम कुछ ऐतिहासिक कथनों (historical statements) का उल्लेख करेंगे जो भारतीय इतिहास – “प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास” में कुछ महान या प्रसिद्ध व्यक्तित्वों, इतिहासकारों आदि ने बोला है या किसी पौराणिक कथाओं, महाकाव्यों, वेदों व अन्य ऋचाओं में उद्धृत हैं. UPSC मेंस आंसर राइटिंग में इस तरह के statement लिख देने से ढेर सारे अंक मिलते हैं.
- “मैं कारू हूँ, मेरे पिता भिषक हें तथा मेरी माता आटा की चक्की चलाती है.” – ऋग्वेद (नवें मंडल में)
- “कस्मै देवाय हविषा विधेम” – ऋग्वेद (दसवें मंडल में)
- “राष्ट्र राजा के हाथों में हो तथा राजा वरूत बृहस्पतिदेव, इन्द्र एवं अग्नि उसे दृढ़ बनाएँ” – अथर्ववेद
- “ब्राह्मण ! हमें किसी नेता की आवश्यकता नहीं है, धर्म ही हमारा नेता है” – आनंद (बुद्ध के कथन का भावार्थ)
- “सद्धर्म पाँच सौ वर्ष ही ठहरेगा.” – बुद्ध
- “जो अग्नि में तपाकर शुद्ध किये गये सोने की भाँति पाप-मल रहित है, उसे हम ब्राह्मण कहते है.” – ऋग्वेद (दसवें मंडल में)
- “चोरी, हत्या, झूठ आदि पाप नहीं हैं व दान, जप, तप, सत्य से कोई पुण्य नहीं मिलता. कर्मों का कोई फल नहीं होता.” – पूरन कस्सप
- “व्यक्तियों के ऊपर शासन को एक मामूली व महत्वहीन कार्य न समझो, यह एक महत्वपूर्ण कर्तव्य है, जिसे पूर्ण गम्भीरता व उत्तरदायित्व की भावना के साथ पूरा किया जाना चाहिए.” – बलबन
- “सम्पूर्ण प्रजा मेरी सन्तान है तथा मैं उसके सुख की कामना करता हूं” – अशोक
- “इस्लाम अपने मौलिक व जीवनप्रद तत्वों से अलग हो गया है (भारत में अरबों की असफलता पर)” – एच.सी. वेल्स
- “अरबों ने भारतीय ज्ञान को यूरोप में पहुँचाया” – आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव
- “महमूद का उद्देश्य भारत में इस्लाम का प्रचार नहीं बल्कि धन लूटना था.” – जफर
- “महमूद का उद्देश्य भारत से हाथियों को ही प्राप्त करना था.” – डॉ. ए.बी. पाण्डेय
- “पृथ्वीराज गोरी के साथ अजमेर गया था और उसने गौरी की अधीनता स्वीकार कर ली थी.” – हसन निजामी
- “यद्यपि वह (मुहम्मद गौरी) एक राजवंश की स्थापना में असफल हुआ पर उसने व्यक्तियों को शिक्षित किया जो उसके आदर्शों के प्रति वफादार थे.” – प्रो. हबीबुल्ला
- “आक्रमणकारी अच्छे योद्धा (10-12वीं सदी के तुर्क आक्रमणकारी) थे क्योंकि वह शीत-प्रधान देशों से आये थे” – लेनपूल व विन्सेंट स्मिथ
- “उस युग में गतिशीलता तुर्की सैनिक संगठन का मूल आधार थी. वह युग ‘घोड़ों का युग’ था” – डॉ. के.ए. निजामी
- “तुर्क द्वारा उत्तरी भारत में विजय ने क्रमश: शहरी क्रान्ति व ग्रामीण क्रान्ति को जन्म दिया” – प्रो. इरफ़ान हबीब
- “उसमें (ऐबक) एक तुर्क का साहस और एक ईरानी की उदारता तथा सभ्यता मिश्रित थी” – प्रो. हबीबुल्ला
- पब्लिक सेफ्टी बिल भारतीय गुलामी का नम्बर एक विधेयक है – मोतीलाल नेहरु
- ह्यूम स्वतंत्रता के पुजारी थे – लाला लाजपत राय
- भारत ने अपनी आवाज कांग्रेस से पायी – मदन मोहन मालवीय
- हमसे अधिक राजभक्त मिलना असम्भव है – डब्ल्यू. सी. बनर्जी
- कांग्रेस की आवाज जनता की आवाज नहीं है – फिरोजशाह मेहता
- “हमें अपने प्रयासों में कोई सफलता नहीं मिलेगी , अगर हम साल में एक मेढक की तरह टर्राते हैं.” – बाल गंगाधर तिलक
- “स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा” – बाल गंगाधर तिलक
- एक सच्चा राष्ट्रवादी पुरानी आधारशिलाओं पर निर्माण करने की इच्छा रखता है – बाल गंगाधर तिलक
- भाट को तरह गुनगुनाने से स्वतंत्रता प्राप्त नहीं होगी , स्वतंत्रता के लिए शिवाजी व बाजीराव की भाँति साहसी कार्य करने होंगे – बाल गंगाधर तिलक
- यदि ईश्वर भी अस्पृश्यता को स्वीकार करे तो मैं उसे ईश्वर स्वीकार नहीं करूँगा – बाल गंगाधर तिलक
- क्रिप्स मिशन पाकिस्तान का उपहास है – जिन्ना
- भारत दो राष्ट्र हैं, दोनों को अपनी मातृभूमि के शासन में समान भाग मिलना चाहिए – जिन्ना
- राजागोपालचारी योजना में सड़े अंग व दीमक लगा है – जिन्ना
- तिलक भारतीय अशान्ति के जनक हैं – शिरोल
- अरविन्द घोष, भारतीय असंतोष के परिणाम हैं – शिरोल
- शैतान तभी भीतर आ सकता है जब उसे आने का मार्ग मिले – रवीन्द्र नाथ टैगोर
- अंग्रेज भारत को छोड़ेंगे तब इसमें सिर्फ दलदल व कीचड़ होगा – रवीन्द्र नाथ ठाकुर
- जिन्ना राजनीतिज्ञ हैं, नेहरू राष्ट्र भक्त – मौलाना आजाद
- कांग्रेस की अधिक शासन की माँग का अर्थ है–मुसलमानों पर हिन्दू वर्ग का शासन, हमें मिलकर रहना चाहिए अगर हम अलग हुए तो हमारा पतन हो जायेगा – सैयद अहमद खां
- हिन्दू, मुसलमान व ईसाई धार्मिक शब्द नहीं, एक राष्ट्र के अंग हैं – सैयद अहमद खां
- हिन्दू, मुसलमान भारत माता की दो आँखें हैं – सैयद अहमद खां
- युद्ध ने भारत को स्वतन्त्रता प्राप्त कने का एक अवसर प्रदान किया है. हमें केवल वचन पर निर्भर रहकर इसे खोना नहीं चाहिए – मौलाना आजाद
- अगर मनुष्य में दिव्यता हो सकती थी तो वह नौरोजी में थी – गोखले
- कर्जन ने वही किया जो औरंगजेब ने किया – गोखले
- जिन्ना विभाजन चाहते हें या नहीं, हम स्वयं विभाजन चाहते हैं – सरदार पटेल
- इंग्लैंड हमारा पथ-प्रदर्शक है – सुरेन्द्र नाथ बनर्जी
- गोखले स्वशासन के महान् देवदूत थे – मोतीलाल नेहरू
- असहयोग आन्दोलन को एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है – सुरेन्द्र नाथ बनर्जी
- स्वराजियों का कार्यक्रम बेकार एवं निरर्थक है – सुरेन्द्र नाथ बनर्जी
- गोखले भारत के प्रथम कूटनीतिज्ञ थे – जवाहरलाल नेहरू
- जिन्ना मुक्ति दिवस मनाकर धूर्तता की सीमा समाप्त कर चुके हैं – जवाहरलाल नेहरू
- “ईश्वर मनुष्य के गुणों को जानता है, उसकी जाति को नहीं, आगे वाले विश्व में कोई जाति व्यवस्था नहीं रह पाएगी.” – नामदेव
- “यदि मैं किसी गलत कार्य के लिए दोषी रहूँगा, तो अपने खिलाफ भी फैसला कर सकता हूँ.” – अकबर
- “ब्रिटिश शासन अपने वजन एवं शक्ति में दुर्धर्ष बेलन है जिसके अपने उपयोग हैं. किन्तु इससे भूमि के उपजाऊ होने में मदद नहीं मिलती.” – रवीन्द्रनाथ टैगोर
- “मैं अंग्रेजों को समुद्र तक खदेड़ सकता हूँ, पर समुद्र को सुखा नहीं सकता.” – सिराजुद्दौला
- अपने सिंहासन से उतरकर मुसलमान फकीरों के पैरों की धूल अपनी सफेद दाढ़ी से झाड़ता था – रणजीत सिंह
- “शेर की तरह एक दिन जीना बेहतर है, लेकिनभेड़ की तरह लम्बी जिन्दगी जीना अच्छा नहीं .” – टीपू सुलतान
- “काफिरों का दयनीय दास बनकर और उनके पेंशन प्राप्त राजाओं व नवाबों की सूची में शामिल होने की अपेक्षा एक योद्धा की तरह मर जाना अच्छा है.” – टीपू सुलतान
- “हमारी प्रणाली उस स्पंज की तरह कार्य करती है, जो गंगा के किनारे से पानी सोखकर टेम्स के किनारे वर्षा करती है.” – जॉन स्लीवन
- “मौलाना मुगीस “— मैं नहीं जानता कि शरा में क्या है और क्या नहीं. मैं अपने राज्य के हित में जो कुछ ठीक समझता हूँ, करता हूँ . कयामत के दिन मेरा क्या होगा, में नहीं जानता,” – अलाउद्दीन खिलजी
- “देशभक्ति ही धर्म है तथा धर्म ही भारत के लिए प्रेम है.” – बंकिमचन्द्र चटर्जी
- “हमें सिन्ध को जीतने का कोई अधिकार नहीं, किन्तु हम ऐसा करेंगे तथा यह एक उपयोगी एवं लाभदायक धूर्तता होगी.” – चार्ल्स नेपियर
- “भारत में सभी देशी राज्यों का खात्मा अब कुछ ही समय की बात है.” – डलहौजी
- “एकीकृत बंगाल एक शक्ति है तथा विभाजित बंगाल टूटकर बिखर जाएगा” – हरबर्ट रिजले
- “वह (ह्यूम) चतुर और सज्जनवत् है, लेकिन कुछ सनकी लगते हैं.” – डफरिन
- “अब समय का तकाजा है कि आप अपने हाथों में तलवार लेकर अपने सामान्य व्यापार का प्रबन्ध करें.” – जॉर्ज ऑक्सेनडैन
- “आज हमारे देश को आवश्यकता है लोहे के स्नायुओं तथा इस्पात की नाड़ियों की.” – विवेकानंद
- “हम सब इस धरती के बेटे हैं. हमें साथ रहना है. मेरी बात मानिए, भारत तब तक आगे नहीं बढ़ सकता, जब तक कि हिन्दू और मुसलमान एक नहीं हो जाते.” – जिन्ना
- “भारतीय वस्त्र हमारे घरों, हमारे निजी कक्षों व शयन कक्षों में घुए गए थे. पर्दे, कुर्सी के गद्दे व बिस्तर भी ओर कुछ नहीं, भारतीय कपड़े ही थे.” – डेफो
- “बिखरे हुए स्वायत्त गाँवों के कवच को इस्पात के रेलों से छेद दिया गयाजिससे उनके जीवन रक्त का ह्रास हो गया.” – विलियम बैंटिक
- “याद रखो कि भारत का वाणिज्य विश्व का वाणिज्य है और जो उस पर पूरा अधिकार कर सकेगा, वही यूरोप का अधिनायक होगा.” – पीटर महान
- “मैं हर बार इस देश में जन्म लूँ तथा तब तक हर बार फाँसी के फन्दे पर झूलता रहूं, जब तक कि मेरा देश आजाद न हो जाए.” – करतारसिंह सराभा
- “हम अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं, किन्तु अल्पसंख्यकों को इच्छाओं को बहुसंख्यकों पर थोपा नहीं जा सकता.” – लार्ड एटली
- “यह अंग्रेज घुसपैठिया ही था, जिसने सर्वप्रथम भारत, जो सूत्री वस्त्र की माँ थी, के माल को यूरोपीय बाजार से निकाला तथा फिर भारतीय बाजार में घुसकर भारतीय चरखे को तोड़ डाला .” – कार्ल मार्क्स
- “भारतीय मैदानों में बुनकरों की हड्डियाँ बिखरी हुई दिखाई देती थीं.”- विलियम बैंटिक
- “सिन्धिया की वफादारी ने अंग्रेजों के लिए भारत को बचा लिया” – कीन
- “जो काम 50 हजार हथियारबन्द सिपाही न कर सके, उसे महात्मा जी ने कर दिया. उन्होंने शान्ति कायम कर दी.” – माउंटबेटन
- “सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा.” – मुहम्मद इकबाल
- “जिस प्रकार सारी धाराएँ अपने जल को सागर में ले जाकर मिला देती हैं, उसी प्रकार मनुष्य के सारे धर्म ईश्वर की ओर ले जाते हें.” – स्वामी विवेकानंद
- “यदि मुझे अकालियों जैसे एक लाख स्वयंसेवक मिल जाएँ, तो में एक वर्ष के अन्दर देश के लिए स्वराज्य जीत लूँ.” – महात्मा गाँधी
- “अंग्रेजो . भारत छोड़ो !” – महात्मा गाँधी
- “अन्य देशों के लिए स्वतन्त्रता प्राप्ति के दूसरे उपाय भले ही हों, परन्तु भारतवर्ष के लिए अहिंसात्मक आन्दोलन के सिवा दूसरा मार्ग नहीं है.” – महात्मा गाँधी (सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान)
- “मैं एक दिव्य दृष्टा नहीं हूँ, मैं एक व्यावहारिक आदर्शवादी होने का दावा करता हूँ.” – महात्मा गाँधी
- स्वराजी सुयोग्य, अनुभवी व ईमानदार हैं – महात्मा गाँधी
- पब्लिक सेफ्टी बिल कानून के आड़ में नंगानाच है – महात्मा गाँधी
- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय है – महात्मा गाँधी.
- मेरा सबसे मजबूत बचाव चला गया (तिलक की मृत्यु पर) – महात्मा गाँधी.
- अंग्रेजी सरकार शैतान है, इसके साथ सहयोग सम्भव नहीं – महात्मा गाँधी
- मैंने घुटने टेक कर रोटी माँगी थी बदले में पत्थर मिला – महात्मा गाँधी
- क्रिप्स मिशन एक post dated cheque है – महात्मा गाँधी
- मैं बालू से ही कांग्रेस से बड़ा आन्दोलन खड़ा कर सकता हूँ – महात्मा गाँधी
- करो या मरो – महात्मा गाँधी
- विभाजन मेरी लाश पर होगा – महात्मा गाँधी
- देशबंधु मेरे साथियों में सबसे वफादार थे – महात्मा गाँधी
- मैं अछूत के रूप में पुनः जन्म लूंगा – महात्मा गाँधी
- यह विदेशी पूँजी शोषण और लूट का तरीका है – दादाभाई नौरोजी
- वह दिन दूर नहीं जब अंग्रेज स्वेच्छा से भारत छोड़कर चले जायेंगे – दादाभाई नौरोजी
- आओ हम घोषणा करें कि हम राजभक्त हैं – दादाभाई नौरोजी .
- भारत के विकास के लिए विदेशी पूँजी अनिवार्य शर्त है – कर्जन
- “गाँधी अधनंगे फकीर हैं .” – चर्चिल
- कांग्रेस का अधिवेशन तीन दिन का तमाशा है – अश्विनी कुमार दत्त
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