[no_toc] सामान्य अध्ययन पेपर – 3
जहाँ प्रौद्योगिकी के दुरूपयोग ने फेक न्यूज़ (झूठे समाचारों) के प्रसार को बढ़ावा दिया है, वहीं प्रौद्योगिकी की सहायता से ही इस खतरे पर अंकुश भी लगाया जा सकता है. सविस्तार वर्णन कीजिए. (250 words)
- अपने उत्तर में अंडर-लाइन करना है = Green
- आपके उत्तर को दूसरों से अलग और यूनिक बनाएगा = Yellow
यह सवाल क्यों?
यह सवाल UPSC GS Paper 3 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप में लिया गया है –
“विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी – विकास एवं अनुप्रयोग और रोजमर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव”.
सवाल का मूलतत्त्व
संक्षेप में फेक न्यूज़ (झूठा समाचार) को परिभाषित करें. फिर उसके बाद फेक न्यूज़ के प्रसार में प्रौद्योगिकी का दुरूपयोग कैसे किया जाता है, संक्षेप में बताइए. प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से इस पर अंकुश लगाने हेतु सुझाव दीजिए.
उत्तर :-
फेक न्यूज़ या झूठा समाचार, एक प्रकार का समाचार या कहानी होती है जिसे जानबूझकर लोगों में गलतफहमी पैदा करने, उन्हें धोखा देने या नकारात्मक रूप से प्रभावित करने के लिए बनाई जाती है. फेक न्यूज़ का उद्देश्य लोगों के विचारों को प्रभावित करना, राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाना या भ्रम उत्पन्न करना होता है. प्रायः यह ऑनलाइन प्रकाशकों के लिए एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है. फेक न्यूज़ भ्रामक होता है क्योंकि इसमें परम्परागत समाचार, सोशल मीडिया या फेक न्यूज़ से सम्बंधित वेबसाइटों के तथ्यों के आधार प्रस्तुत किये जाते हैं.
प्रौद्योगिकी के दुरूपयोग ने फेक न्यूज़ के प्रसार में सहयोग किया है क्योंकि :
- सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप आदि तक लोगों की अधिकाधिक पहुँच और सोशल मीडिया पर मानव व्यवहार की विशिष्टता, फेक न्यूज़ के प्रसार को आसान बनाते हैं.
- फेक न्यूज़ की प्रकृति स्वाभाविक रूप से सामाजिक होती है क्योंकि इसमें अफवाह और दावे शामिल होते हैं; जबकि समाचार दावे का केवल अभिकथन होता है. तकनीक केवल एक बटन के क्लिक के साथ इसे शेयर करने में मदद करती है, जो सूचनाओं की बाढ़ (information inundation) की स्थिति उत्पन्न कर देती है.
- कृत्रिम बुद्धि का उपयोग फेक न्यूज़ के प्रसार को तीव्र करता है क्योंकि हिट्स (hits) की संख्या किसी विशेष न्यूज़ की लोकप्रियता का निर्धारण करती है. ऑनलाइन टूल द्वारा कस्टम ऑडियंस (पम्परागत दर्शकों) सृजित करने के लिए उपयोगकर्ता की सूचनाओं का उपयोग किया जा सकता है और उनके लिए विशेष न्यूज़ तैयार की जा सकती है.
फेक न्यूज़ के प्रसार पर अंकुश लगाने हेतु तकनीक का उपयोग निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है :
- फेसबुक जैसी सोशल मीडिया वेबसाइट हिंसक या अश्लील सामग्री से सम्बंधित फेक न्यूज़ को सीमित करने के लिए मशीन लर्निंग तकनीकों को कार्यान्वित कर रही हैं.
- “द फेक न्यूज़ चैलेन्ज” एक ओपन सोर्स सहयोग है जो झूठे समाचारों के खतरे पर अंकुश लगाने के लिए कृत्रिम बुद्धि और मैनुअल तथ्यात्मक जाँच का उपयोग करता है.
- कई ऑनलाइन कम्युनिटीज और पोर्टल यह सत्यापित करने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं कि समाचार वास्तविक है या फेक.
- अग्रेषित संदेशों को हाइलाइट करने के लिए लेबलिंग जैसी विशेषता, सन्देश प्राप्तकर्ताओं के लिए एक महत्त्वपूर्ण संकेत के रूप में कार्य कर सकती है ताकि कंटेंट की अँधाधुंध तरीके से आगे प्रेषित न किया जाए.
- “तकनीकी बोध” (techno cognition) जैसे अन्तः विषयक दृष्टिकोण का उपयोग करना. तकनीकी बोध इस विचार पर आधारित है कि सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित फेक न्यूज़ से होने वाले नुकसान और ध्रुवीकरण को शून्य करने के लिए इनफार्मेशन आर्किटेक्ट में मनोविज्ञान, व्यवहारिक अर्थशास्त्र और दर्शनशास्त्र के सिद्धांतों को शामिल किया जाना चाहिए.
अतः फेक न्यूज़ को नियंत्रित करने की वास्तविक चुनौती स्वयं व्यक्ति है. सोशल मीडिया प्लेटफोर्मों मेंपर जवाबदेहिता, उत्तरदायित्व, सतर्कता से समाचारों को पढ़ने, पूछताछ करने और तथ्यों की जाँच को प्रोत्साहित करना फेक न्यूज पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए एक प्रभावकारी उपाय है.
सामान्य अध्ययन पेपर – 3
हाल ही में गठित रक्षा नियोजन समिति (Defence Planning Committee) की प्रमुख विशेषताओं की व्याख्या कीजिए. यह समिति विश्वसनीय रक्षा तैयारी में कैसे सहायता कर सकती है? (250 words)
- अपने उत्तर में अंडर-लाइन करना है = Green
- आपके उत्तर को दूसरों से अलग और यूनिक बनाएगा = Yellow
यह सवाल क्यों?
यह सवाल UPSC GS Paper 3 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप में लिया गया है –
“आंतरिक सुरक्षा, विभिन्न सुरक्षा बल एवं संस्थाएँ….”.
सवाल का मूलतत्त्व
सबसे पहले रक्षा नियोजन समिति (DPC) को संक्षिप्त में संदर्भित और परिभाषित कीजिए. फिर इसकी मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए. रक्षा तैयारियों से सम्बंधित मुद्दों को लिखिए. DPC की विशेषताओं और रक्षा तैयारियों से सम्बंधित मुद्दों के बीच सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए.
उत्तर
रक्षा मामलों के लिए व्यापक और एकीकृत योजना को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) की अध्यक्षता में रक्षा नियोजन समिति (DPC) को स्थायी निकाय के रूप में स्थापित किया है.
मुख्य विशेषताएँ
समिति में सिविल और सैन्य सेवाओं जैसे तीनों सैन्य सेवाओं के प्रमुख, रक्षा सचिव, विदेश सचिव और वित्त मंत्रालय के सचिव (व्यय) के उच्च विभागों से सदस्यों को शामिल किया जाता है.
इसे निम्नलिखित सभी प्रासंगिक आगतों का विश्लेषण और मूल्यांकन करने का कार्य सौंप गया है –
- राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा संबंधी प्राथमिकताएँ
- विदेश नीति की अनिवार्यताएँ
- परिचालन निर्देश और आवश्यकताएँ
- प्रासंगिक रणनीतिक और सुरक्षा संबंधी सिद्धांत
- रक्षा अधिग्रहण और अवसंरचनात्मक विकास योजनाएँ
- रक्षा प्रौद्योगिकी और भारतीय रक्षा उद्योग का विकास
DPC के कार्य संचालन में सहायता हेतु, नए तन्त्र के तहत चार उप-समितियों की व्यवस्था की गई है –
- नीति और रणनीति
- योजनाएँ और क्षमता विकास
- रक्षा कूटनीति
- रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तन्त्र
DPC की रिपोर्ट रक्षा मंत्री को सौंपी जाती है तथा आगे के लिए स्वीकृति प्राप्त करना अपेक्षित होता है. मौजूदा नियोजन प्रक्रिया में रक्षा तैयारियों से सम्बंधित विभिन्न समस्याग्रस्त क्षेत्र विद्यमान हैं, जैसे कि :-
- अनेक सुरक्षा चुनौतियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधनों की कमी
- लक्ष्यों को प्राथमिकता प्रदान करना
- रक्षा मामलों के लिए एकीकृत दृष्टिकोण का अभाव
- कार्यबल संचालित सैन्य स्वदेशीकरण के क्रम में नई प्रौद्योगिकीय प्रगति पर कम ध्यान केन्द्रित करना
- रक्षा खरीद मामलों के सम्बन्ध में स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता पर कम ध्यान देना
- चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ (CDS), जिसकी संकल्पना सशस्त्र बलों और रक्षा नियोजन तन्त्र से सम्बंधित सभी आवश्यकताओं के लिए मध्यस्थ के रूप में की गई थी, परन्तु इसका गठन राजनीतिक कारणों के चलते नहीं किया गया था.
मौजूदा प्रणाली का उन्नयन DPC के रूप में हुआ है :
- इसके द्वारा दीर्घकालिक रक्षा आवश्यकताओं सम्बन्धी रणनीति निर्माण हेतु भारत की क्षमता को बढ़ाने के लिए अंतर-विभागीय समन्वय का लाभ प्राप्त किया जाएगा.
- DPC के पास अपने क्षेत्राधिकार से सम्बंधित डोमेन पर विशिष्ट ध्यान केन्द्रित करने के लिए चार उप-समितियाँ हैं.
DPC महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा और सैन्य लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से निर्धारित करने के साथ-साथ उपलब्ध संसाधनों के आधार पर रक्षा और सुरक्षा आवश्यकताओं को प्राथमिकता प्रदान करेगी. इसके अतिरिक्त यह उभरती सुरक्षा चुनौतियों, प्रौद्योगिकीय प्रगति और एक सुदृढ़ स्वदेशी रक्षा विनिर्माण आधार की स्थापना करने पर पर्याप्त ध्यान केन्द्रित करेगा. इसलिए, यह तर्क दिया जा सकता है कि DPC भारत की रक्षा तैयारियों को सुव्यवस्थित करने के लिए समय पर उठाया गया कदम है.
“संसार मंथन” कॉलम का ध्येय है आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सवालों के उत्तर किस प्रकार लिखे जाएँ, उससे अवगत कराना. इस कॉलम के सारे आर्टिकल को इस पेज में संकलित किया जा रहा है >> Sansar Manthan