वास्तव में, कोई भी देश कुशल असैनिक सेवाओं के अभाव में प्रगति नहीं कर सकता. जनता को जितनी चिंता अच्छे प्रशासन की होती है, उतनी चिंता प्रशासन के अच्छे सिद्धांत और स्वरूप की नहीं होती. यही वजह है कि प्रत्येक देश में असैनिक सेवाओं का बहुत अधिक महत्त्व होता है.
आधुनिक युग में असैनिक सेवाओं का महत्त्व (Importance of Civil Services in Modern Age)
आधुनिक युग में असैनिक सेवाओं का महत्त्व और भी अधिक बढ़ता जा रहा है. इसका मुख्य कारण यह है कि आधुनिक युग में लोककल्याण एवं सामाजिक सेवा के आदर्श से प्रेरित होने के कारण राज्य का कार्य बहुत अधिक बढ़ता जा रहा है. पहले सरकारें अहस्तक्षेप की नीति में विश्वास रखती थीं और उनका कार्य समाज में कानून और व्यवस्था बनाए रखने तक ही सीमित था, अतः उस समय असैनिक सेवाओं के कार्यक्षेत्र भी सीमित थे. परंतु, आधुनिक युग में तो राज्य के कार्यक्षेत्र में असाधारण रूप से वृद्धि हुई है. अब राज्य का स्वरूप लोकहितकारी बन गया है, अतः असैनिक सेवाओं का उत्तरदायित्व बढ़ गया है. राज्य हर तरह से नागरिकों के कल्याण में जुटा हुआ है.. ठीक ही कहा जाता है कि आधुनिक युग में राज्य सभी जगह विद्यमान रहता है और प्रत्येक नागरिक को अपनी शक्तियों से प्रभावित करता है. राज्य असैनिक सेवाओं के जरिये ही अपने उद्देश्य में सफल होता है; इसलिए प्रत्येक प्रशासन में दक्ष और दूरदर्शी कर्मचारियों की आवश्यकता होती है.
अप्रशिक्षित, अवैतनिक, अशिक्षित तथा अयोग्य कर्मचारियों की देख-रेख में प्रशासन की समस्याओं को नहीं छोड़ा जा सकता है. आधुनिक युग में ऐसे ही कर्मचारियों की आवश्यकता है जो राज्य की सेवा कर सकें और प्रशासन की योजनाओं एवं कार्यक्रमों को लागू कर सकें. थोड़े-से मंत्रियों से यह संभव नहीं है कि बिना कर्मचारियों की सहायता के वे अपने कार्यों को सम्पन्न कर सकें, अतः असैनिक सेवाओं का महत्त्व बढ़ जाना स्वाभाविक है. इसी के चलते, कहा जाता है कि शासनरूपी यंत्र में असैनिक सेवाओं का स्थान ईंधन और तेल की तरह है.
एल० डी० ह्वाइट ने असैनिक सेवाओं की महत्ता का वर्णन इन शब्दों मे किया है, “एक अच्छा लोकप्रशासन बहुत-से तत्त्वों के संयोजन से बनता है; जैसे-नेतृत्व, संगठन, वित्त, आदर्श, विधियाँ और प्रक्रियाएँ, परंतु इन सबसे बढ़कर मानवशक्ति हैं.”
वास्तव में, शासनकारी असैनिक कर्मचारियों के एक व्यावसायिक वर्ग द्वारा चलाया जाता है. यह वर्ग ही तथ्य और आँकड़े इकट्ठे करता है, अनुसंधान करता है तथा जनता की जरूरतों को संतुष्ट करने हेतु विभिन्न प्रार की योजनाओं का निर्माण करता है. इसलिए फाइनर का यह कहना उचित प्रतीत होता है कि “लोकप्रशासन में प्रशासकीय वर्ग को ही सर्वोच्च तत्त्व माना जाता है.”
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