भारत 2018 : PIB Collection Part 2

Sansar LochanPIB Hindi

हमने वर्ष 2018 में PIB और NITI Ayog द्वारा जारी अपडेट को संक्षेप में एक जगह इकठ्ठा करना शुरू कर दिया है. यह भाग दो (Part 2) है. अन्य भाग्य जल्द ही अपलोड किया जाएगा. नीचे भाग एक की लिंक दे दी गई है.

सबका साथ, सबका विकास

सबका साथ, सबका विकास के मूलमन्त्र को विदेश नीति के क्षेत्र में आगे बढ़ाते हुए भारत ने अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका तथा पूर्वी यूरोप के देशों के साथ धन, तकनीक तथा विशेषज्ञता के क्षेत्र में साझेदारी की है जिसके कारण क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण तथा शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ा है. दक्षिण-दक्षिण एकजुटता की भावना से भारत ने एल.ओ.सी तथा आर्थिक सहायता के माध्यम से पारस्परिक विकास के लिए अपने सहयोगियों को आर्थिक सहायता भी दी है.

भारत द्वारा सहयोगी देशों के विकास के लिए साझेदारी

india_financial_help_to_other_countries
  • 500 करोड़ = CMLV (कम्बोडिया, म्यांमार, लाओस, वियतनाम)
  • $1 बिलियन = आसियान के भौतिक और डिजिटल सम्पर्क हेतु
  • $1 बिलियन = अफ्रीका को एल.ओ.सी.
  • $600 = अफ्रीका के लिए अनुदान सहायता जिसमें भारत-अफ्रीका विकास निधि और भारत-अफ्रीका स्वास्थ्य निधि सम्मिलित है.
  • $1 बिलियन = अफगानिस्तान को अतिरिक्त अनुदान
  • $4.5 बिलियन = बांग्लादेश में विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए
  • $1 बिलियन = भूकंप प्रभावित नेपाल के पुनर्निर्माण हेतु
  • $500 मिलियन = वियतनाम के लिए एल.ओ.सी.
  • 5000 करोड़ = भूटान की 11वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 5000 करोड़ रू. की निरंतर सहायता के साथ भारत ने अपनी सबसे बड़ी सामाजिक-आर्थिक विकास की साझेदारी को जारी रखा है.

विश्व मंच पर भारत

“सक्रिय, व्यावहारिक और जिम्मेदाराना” – भारत की यह सोच विश्व मंच पर भारत की भूमिका को परिभाषित करती है. जब हम बहुपक्षीय बैठकों में भाग लेते हैं तब हम उभरती हुई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में भारत की नई सोच को दर्शाते हैं, जिसके कारण भारतीय कूटनीति की शैली तथा ठोस तथ्य उभरकर आते हैं. भारत बहुपक्षीय और सामूहिक निर्णय लेने की प्रक्रिया का समर्थक बनकर उभरा है. प्राचीन सभ्यता के विवेक और अपने राष्ट्रीय विकास की प्राथमिकताओं को भारत ने अपना मूलमन्त्र बनाया है. विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर भारत ने अपनी आवाज़ बड़े ही संतुलित, सारगर्भित और नैतिकता के आधार पर उठाई है जो विभिन्न चुनौतियों जैसे – आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, जलदस्यु और महामारी से निपटने तथा वैश्विक शासन व्यवस्था के ढाँचे का पुनर्निर्माण करने जैसे विषयों पर हमारे विचारों को अभिव्यक्ति करती है.

बहुपक्षीय बैठकों में भारत

बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन स्थान वर्ष
13वाँ पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन सिंगापुर 14-15 नवम्बर, 2018
13वाँ G20 शिखर सम्मेलन अर्जेंटीना 30 नवम्बर-1 दिसम्बर, 2018
विश्व आर्थिक मंच स्विट्ज़रलैंड जनवरी, 2018
20वाँ सार्क शिखर सम्मेलन श्रीलंका 8 दिसम्बर, 2018
10वाँ BRICS शिखर सम्मेलन द.अफ्रीका 25-27 जुलाई, 2018
राष्ट्रमंडल शिखर सम्मेलन यूके अप्रैल, 2018
18वाँ शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन चीन 9 जून, 2018
COP24 पौलेंड 2-15 दिसम्बर, 2018
वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट दुबई 11 फरवरी, 2018
world_economic_forum

वैश्विक नीति निर्धारण में भारत की भूमिका

भारत की सक्रिय व कुशल विश्व पटल पर हमारे बढ़ते प्रभाव व भूमिका को दर्शाती है. आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, परमाणु प्रसार और काला धन जैसे वैश्विक समस्याओं वाले विषयों की कार्यसूची तैयार करने में भारत ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पिछले चार वर्षों में आतंकवाद के प्रायोजकों और आतंक फैलाने वाली ताकतों को अलग-थलग करने के भारत के सतत प्रयासों को अंतर्राष्ट्रीय समर्थन मिला है. विभिन्न बहुपक्षीय बैठकों में भारत की कार्य योजनाओं को सभी पक्षों व्यापक समर्थन  मिला है. असंतुलित आर्थिक विकास को संतुलित करने के लिए भारत ने आगे बढ़कर काले धन को समाप्त करने के लिए वैश्विक सहयोग पर जोर दिया है. भारत के परमाणु अप्रसार की दिशा में किये गये प्रयासों की पुष्टि के रूप में भारत को तीन वैश्विक परमाणु अप्रसार व्यवस्थाओं के सदस्य के रूप में शामिल किया गया है. यह एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में भारत के प्रति विश्व के बढ़ते हुए विश्वास का परिचायक है.

कालाधन की रोकथाम करना अब एक वैश्विक चुनौती बन गई है. भारत सरकार ने काले धन की वापसी के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ाने के मुद्दे बल दिया है. इससे भारत को करोड़ों डॉलर संरक्षित करने में सहायता मिली है, जिसे अवैध तरीके से विदेशों में छिपाया जा सकता था. G-20 की विभिन्न घोषणाओं में बेस इरोजन और प्रॉफिट शेयरिंग कार्य योजना पर भारत के प्रस्ताव को परिलक्षित किया गया है.

वैश्विक परमाणु सम्पन्न देशों में शामिल

परमाणु अप्रसार के प्रति भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता के दृष्टिगत भारत को मिसाइल तकनीक नियंत्रण प्रणाली (MTCR), वासेनार व्यस्था तथा ऑस्ट्रेलिया समूह सहित शीर्ष वैश्विक परमाणु निर्यात व्यवस्था का सदस्य बनाया गया. इन परमाणु संगठनों में भारत की सदस्यता से भारत के वैश्विक परमाणु शक्ति की प्रमुख धारा में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. इससे भारत के विकास तथा समृद्धि के लिए उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण संभव हो सकेगा.

ISA

अंतर्राष्ट्रीय सौर एक ऐसा पहला अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन है जिसका मुख्यालय भारत में स्थित है. इसके माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सौर संगठन न केवल भारत की बहुपक्षीय मंचों में दृढ़ आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एक बेहतर, टिकाऊ और खुशहाल भविष्य के प्रति भी समर्पित है.

नौ-सूत्री कार्यक्रम

अर्जेंटीना में चल रहे G-20 शिखर सम्मेलन में भारत ने एक नौ-सूत्री कार्यक्रम प्रस्तुत किया है जिसका उद्देश्य भगोड़े आर्थिक अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाई करना है.

  • G-20 देशों के बीच प्रबल एवं सक्रिय सहयोग अर्थात् कानूनी प्रक्रियाओं में आपस में सहयोग करना, जैसे – अपराधी की कमाई को जब्त करना, अपराधियों को जल्दी-जल्दी लौटाना और लूट के माल को कारगर ढंग से देश को वापस करना.
  • G-20 देशों के द्वारा एक ऐसी प्रणाली तैयार करना जिससे भगोड़े आर्थिक अपराधियों को किसी देश में प्रवेश करने से रोका जाए, पर उन्हें सुरक्षित अड्डे नहीं दिए जाएँ.
  • संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी संधि (United Nations Convention Against Corruption – UNCAC) तथा संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध विरोधी संधि (United Nations Convention Against Transnational Organised Crime – UNOTC) के सिद्धांतों का कारगर क्रियान्वयन किया जाए.
  • भगोड़े अपराधियों के बारे में समय पर और व्यापक ढंग से सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए वित्तीय कार्रवाई कार्यदल (Financial Action Task Force – FATF) का आह्वान किया जाना चाहिए.
  • FATF को भगोड़े आर्थिक अपराधी की मानक परिभाषा तैयार करने का काम सौंपा जाना चाहिए.
  • FATF को यह भी चाहिए कि वह ऐसे मामलों में अपराधी की पहचान, सम्बंधित देश को वापस लौटाने और न्यायिक प्रक्रियाओं के विषय में एक मानक प्रक्रिया तय करे जिसपर सभी G-20 देशों की सहमति हो.
  • एक ऐसा समान मंच बनाए जाए जहाँ विभिन्न देश-वापसी के सफल मामलों से सम्बन्धित अपने-अपने उत्कृष्ट अनुभवों और प्रथाओं के बारे में एक-दूसरे को बताएँ और साथ ही यह सुझाव दें कि देश-वापसी एवं कानूनी सहायता से सम्बन्धित वर्तमान तंत्र में कहाँ-कहाँ खामियाँ हैं.
  • G-20 मंच उन आर्थिक अपराधियों की सम्पत्तियों का पता लगाने के लिए पहल करने पर भी विचार करें जिन्होंने अपने देश में कर की चोरी की है.

SCO

भारत के बढ़ते रूतबे को स्वीकारते हुए जून 2017 में अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में भारत को पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शामिल किया गया. इससे भारत की मध्य एशिया नीति को मजबूती मिली है. इसके माध्यम नई दिल्ली आतंकवाद के खिलाफ क्षेत्रीय सहयोग और भी अधिक सुदृढ़ कर पायेगा. भारत SCO के साथ ऊर्जा, शिक्षा, परिवहन, कृषि, सुरक्षा, विकास और व्यापार के क्षेत्रों में सम्बन्धों को नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है.

सुशासन

विचारों की गति के समान प्रौद्योगिकी भी गतिशील हो रही है. प्रौद्योगिकी वैश्विक परिवर्तन का एक बड़ा माध्यम बन गई है. इसने आम आदमी को कई अधिकार दिए हैं. E-शासन में “ई” शब्द के पाँच अर्थ हैं –

Effective (प्रभावी)

Efficient (कार्यकुशल)

Easy (सरल)

Empower (सशक्त)

Equity (निष्पक्ष)

सुशासन स्थापित करने के लिए आम आदमी के जीवन में सरकार का से कम हस्तक्षेप होना चाहिए.

मानवीय कूटनीती

दुःख-दर्द को साझा करना, संकट के सहायता करना और कष्टों का निवारण करना भारत सरकार की कूटनीति का अभिन्न अंग बन गया है. कूटनीति का यह मानवीय और संवेदनशील चेहरा अनेक रूपों में सामने आया है. पिछले चार वर्षों में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नेतृत्व में विदेश मंत्रालय ने विभिन्न क्षेत्रों में संकट और संघर्ष की स्थिति में फँसे भारतीयों को आगे बढ़कर सहायता की और उनकी सुरक्षित स्वदेश वापसी कराई. यमन तथा दक्षिण सूडान की निकासियों का नेतृत्व तो विदेश राज्यमंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वी.के. सिंह ने खुद किया. सोशल मीडिया के माध्यम से तथा व्यक्तिगत हस्तक्षेप से सरकार एक संकट मोचक बन रही है. इसी भावना के चलते सरकार ने विश्वभर में बसे प्रवासी भारतीयों तक पहुँचकर उनमें भारत के साथ जुड़ाव की भावना बढ़ाई है और राष्ट्रीय पुनर्निमाण में उनका सहयोग भी हासिल किया है.

  • यूक्रेन से वर्ष 2014 में 1,100 लोगों की निकासी करवाई गई.
  • लीबिया से वर्ष 2014 में 3,750 लोगों की निकासी करवाई गई.
  • इराक से वर्ष 2014 में 7,200 लोगों की निकासी करवाई गई.
  • यमन से “ऑपरेशन राहत” के माध्यम से वर्ष 2015 में 6,710 की निकासी करवाई गई. 48 देशों से 4,748 भारतीयों तथा 1,962 भारतीय नागरिकों को बचाया गया.
  • नेपाल से वर्ष 2015 में “ऑपरेशन मैत्री” के माध्यम से सबसे बड़ी आपदा राहत सहायता प्रदान की गई.
  • दक्षिण सूडान से वर्ष 2016 में 157 भारतीयों की निकासी करवाई गई.
  • बांग्लादेश में विस्थापित लोगों की सहायता हेतु चलाये गये “ऑपरेशन इंसानियत” के अंतर्गत मानवीय सहायता की पहली खेप भारत के राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला ने भेंट की. बाढ़ प्रभावित श्रीलंका में भारतीय नौसेना ने राहत और बचाव अभियान के लिए तीन जहाजों को तैनात किया.
  • भारत ने गंभीर जल संकट के जूझ रहे मालदीव को “ऑपरेशन नीर” के जरियेसहायता प्रदान करने के लिए नौसेना के जहाजों के जरिये तुरंत पानी भेजा.
  • ऑपरेशन संकट मोचन” के माध्यम से भारत ने दक्षिण सूडान में फँसे 157 भारतीयों को अपना जहाज भेजकर स्वदेश लाने का काम किया.

सांस्कृतिक सम्पर्क

भारत के जीवन मूल्यों तथा सांस्कृतिक विविधता को एक सूत्र में पिरोते हुए हमने उसे कूटिनीति के साथ जोड़ा. इस कारण विश्व मंच पर भारतीय सभ्यता की पहचान बढ़ी तथा वैश्विक मसलों पर नई दिशा से सोचने में मदद मिली. एक प्राचीन सभ्यता जिसका सहस्र वर्षों का इतिहास है और जिसने अपनी परम्पराओं को सुरक्षित रखते हुए आधुनिक युग में अपनी जगह बनाई है, उसे विश्व आज आदर की निगाह से देख रहा है.

परम्परागत कूटनीति से आगे बढ़कर हमने दिलों और दिमागों को जोड़ा है. हमने विश्व को भारत की संस्कृति और मूल्यों से अवगत कराया है. हमारा यह सांस्कृतिक जुड़ाव कई रूपों में दिखाई दिया है. विश्वभर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन और यूनेस्को द्वारा कुम्भ मेले को मानवता की अमूर्त संस्कृति धरोहर के रूप में घोषित किया जाना इसका प्रमाण है. बौद्ध धर्म हमारे नजदीक तथा थोड़ी दूर के पड़ोसी देशों के साथ हमारी साझी विरासत है. सांस्कृतिक सम्पर्क बढ़ने के कारण उस धरोहर को भी बहुत ऊँचाई मिली.

विदेश मंत्रालय द्वारा की गई  नई पहलें

भारत की विदेश नीति को जनता से जोड़ने के लिए विदेश मंत्रालय ने “समीप” नाम से एक पहल की है. जिन कस्बों और गाँवों में विदेश मंत्रालय के अधिकारी पले-बढ़े हुए हैं तथा जिन विद्यालयों में वे पढ़े हैं, उनमें पढ़ रहे विद्यार्थियों को विदेशी नीति से परिचय कराया जा रहा है. विदेश सेवा के अधिकारी विदेश नीति के विभिन्न पहलुओं पर विद्यार्थियों के साथ बीतचीत करते हैं और विदेश नीति के बारे में समझाते हैं. इस कार्यक्रम की बहुत सराहना हो रही है. अब तक “समीप” के अंतर्गत 5 कार्यक्रम सम्पन्न हो चुके हैं.

क्षेत्रीय मीडिया के साथ सीधा सम्पर्क साधने के लिए विदेश मंत्रालय ने “विदेश आया प्रदेश के द्वार” नाम से एक योजना तैयार की है, जिसके अंतर्गत हमारा प्रचार विभाग विभिन्न प्रदेशों में जाकर भाषाई पत्रकारों से विदेश नीति पर वार्ता करता है, प्रश्नोत्तर करता है. इस कार्यक्रम की शुरुआत हैदराबाद से की जा चुकी है. इस कार्यक्रम के माध्यम से पहली बार भाषाई पत्रकारों को यह आभास हो रहा है कि विदेश मंत्रालय उनके साथ भी जुड़ रहा है.

कुछ महत्त्वपूर्ण कदम

मदद हेल्पलाईन

परामर्श द्वारा शिकायतों के निपटान के लिए समयबद्ध रूप से “मदद” का प्रभावी उपयोग.

ई-माइग्रेट

यह पोर्टल भारतीयों को सुरक्षित और वैध रूप से विदेश जाने में मदद करता है.

ई-सनद

दस्तावेजों का ऑनलाइन सत्यापन. भारत तथा भारत के बाहर आवेदक बिना व्यक्तिगत सम्पर्क के, बिना नकदी भुगतान के और बिना कागजी कार्रवाई के अपने दस्तावेजों का सत्यापन करा सकते हैं.

समीप

“समीप” विदेश मंत्रालय और छात्रों को आपस में जोड़ने के लिए विदेश प्रचार तथा लोक राजनय प्रभाग की एक अभिनव पहल है. इसके अंतर्गत भारत के विभिन्न शहरों तथा कस्बों के छात्र समुदाय तक विदेश मंत्रालय की पहुँच बनाने की कोशिश है.

पासपोर्ट सेवा परियोजना

नागरिक-केन्द्रित तथा जन-मैत्रीपूर्ण जैसे मार्गदर्शी सिद्धांतों के साथ पासपोर्ट सेवा परियोजना ने नागरिकों को पासपोर्ट तथा उससे सम्बन्धित सेवाएँ प्रदान करने की प्रक्रिया में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है. पासपोर्ट सेवा परियोजना का प्रारूप भारतीय नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए डिजाईन किया है. दूरवर्ती क्षेत्रों में पासपोर्ट पहुँचाने के लिए डाकघरों को अधिकृत करना एक महत्त्वपूर्ण पहल है.

भारत एक परिचय

विश्व-भर में भारतीय मिशनों और पोस्टों को 51 पुस्तकों का एक सेट उपलब्ध कराया गया है, जिसे उन्हें अपने-अपने देशों के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के पुस्तकालयों को देना है. इसमें संवैधानिक सूची में शामिल सभी भारतीय भाषाओं की पुस्तकों सहित 51 पुस्तकें शामिल हैं. इस ज्ञान के उपहार से सभी देशों को भारत की मूल भावना और अरबों लोगों के जीवन को प्रकाशमान करने वाली भावना को समझने का अवसर मिलेगा.

विदेश आया प्रदेश के द्वार  

“विदेश आया प्रदेश के द्वार” जन सामान्य तक भारतीय विदेश नीति के उद्देश्यों को पहुँचाने की व्यापक जन कूटनीति का एक अंग है. इस पहल में भारत के विभिन्न नगरों में स्थित ऐसे क्षेत्रीय मीडिया के साथ विदेश मंत्रालय सम्पर्क कर रहा है जिसने अपना स्थान स्वयं बनाया है और जिसका अद्वितीय और व्यापक पाठकवर्ग है.

स्थानीय मीडिया से सीधे संवाद के माध्यम से मंत्रालय शब्दों में विदेश नीति की प्राथमिकताओं को समझाने, कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से जन-सामान्य से जुड़े इसके लाभों को उजागर करने तथा विदेश नीति के विषय में जनता को जागरूक करने का इच्छुक है. इसका लक्ष्य विदेश नीति में रूचि रखने वाले मीडिया कर्मियों का एक समूह तैयार करना तथा विदेश मंत्रालय से उनको जोड़ना है. हैदराबाद से इस कार्यक्रम का शुभारम्भ किया जा चुका है.

Read them too :
[related_posts_by_tax]