पिछले दिनों वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control – LAC) पर भारत और चीन के सैनिकों में झगड़ा हुआ जिसमें एक चीनी सैनिक के मुँह पर भारतीय सैन्य अधिकारी ने घूसा जड़ दिया. बाद में बीच-बचाव करके मामला सुलझाया गया.
हुआ क्या था?
ये घटनाएँ नाकु ला (Naku La) क्षेत्र में और लद्दाख की झील पांगोंग सो (Pangong Tso) के निकट स्थित विवादित स्थान पर घटीं. सेना ने इन घटनाओं को क्षणिक झड़प बताते हुए सूचित किया कि झगड़े को स्थानीय कमांडरों ने सैन्य प्रोटोकोल के अनुसार बातचीत और फ्लैग बैठक के माध्यम से सुलझा लिया.
नाकु ला कहाँ है?
- नाकु ला क्षेत्र सिक्किम में स्थित एक दर्रा है जो समुद्र तल से पाँच हजार मीटर से अधिक ऊँचाई पर है.
- यह तीस्ता नदी के उद्गम स्थान मुगुतांग (Muguthang) अथवा चो लामु (Cho Lhamu) के आगे पड़ता है. विदित हो कि सिक्किम में नाथु ला और जेलेप ला दर्रे भी हैं.
पांगोंग सो
पांगोंग सो 135 किलोमीटर और 4,350 मीटर ऊँची एक झील है जो भारत से लेकर चीन तक फैली हुई है. इसका 45 किलोमीटर भाग भारत के नियंत्रण में है जबकि शेष 90 किलोमीटर चीन के नियंत्रण में है. यह एक नमकीन पानी की झील है जो टेथीस जियोसिंकलाइन (ethys geosyncline) के कारण अस्तित्व में आया है.
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद
भारत की 3,488 किलोमीटर की सीमा रेखा चीन के साथ लगती है. चीन-भारत सीमा को सामान्यतः तीन क्षेत्रों में बांटा गया है:
- पश्चिमी क्षेत्र, (2) मध्य क्षेत्र, और (3) पूर्वी क्षेत्र.
पश्चिमी क्षेत्र
पश्चिमी क्षेत्र में चीन के साथ 2152 किमी लंबी भारतीय सीमा है. यह सीमा जम्मू और कश्मीर तथा चीन के भझिंजियांग (सिक्यांग) प्रांत के बीच है.
अक्साई चीन
- अक्साई चीन पर क्षेत्रीय विवाद की जड़ें ब्रिटिश साम्राज्य की अपने भारतीय उपनिवेश और चीन के बीच कानूनी सीमा की स्पष्ट व्याख्या न करने की विफलता में निहित हैं.
- ब्रिटिश राज के दौरान भारत और चीन के बीच दो सीमाएं प्रस्तावित की गई थीं – जॉनसन लाइन (Johnson’s Line) और मैकडॉनाल्ड लाइन (McDonald Line)
- जॉनसन लाइन, अक्साई चिन को भारतीय नियंत्रण में प्रदर्शित करती है जबकि मैकडॉनाल्ड लाइन इसे चीन के नियंत्रण में प्रदर्शित करती है.
- भारत चीन के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा के रूप में जॉनसन लाइन को सही मानता है जबकि दूसरी ओर, चीन मैकडॉनल्ड लाइन को भारत-चीन के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा मानता है.
- भारतीय-प्रशासित क्षेत्रों को अक्साई चीन से पृथक करने वाली रेखा को वास्तविक नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल: LAC) के रूप में जाना जाता है और यह रेखा चीन द्वारा दावा की जाने वाली अक्साई चिन सीमा रेखा के साथ समवर्ती है.
- भारत और चीन के बीच 1962 में विवादित अक्साई चिन क्षेत्र को लेकर युद्ध हुआ था. भारत का दावा है कि यह कश्मीर का भाग है, जबकि चीन ने दावा किया कि यह चीन के भिंजियांग का भाग है.
मध्य क्षेत्र
मध्य क्षेत्र में लगभग 625 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा लद्दाख से नेपाल तक जलविभाजक (वाटरशेड) के साथ-साथ चलती है. इस सीमा रेखा पर भारत के हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य, तिब्बत (चीन) के साथ लगते हैं.
पूर्वी क्षेत्र
- पूर्वी क्षेत्र में सीमा रेखा 1,140 किमी लंबी है तथा यह भूटान की पूर्वी सीमा से लेकर भारत, तिब्बत और म्यांमार के मिलन बिंदु, तालू दर्रा के पास तक विस्तृत है. इस सीमा रेखा को मैकमोहन रेखा (हेनरी मैकमोहन के नाम पर) कहते हैं. हेनरी मैकमोहन एक ब्रिटिश प्रतिनिधि थे जिन्होंने 1913-14 के शिमला कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए थे.
- यह सीमा रेखा हिमालय पर्वत के उत्तरी भाग में स्थित ब्रह्मपुत्र नदी के जलविभाजक से लगी हुई है, जहां लोहित, दिहांग, सुबनसिरी और केमांग नदियाँ उस जल विभाजक से होकर निकलती हैं.
- चीन मैकमोहन रेखा को गैरकानूनी और अस्वीकार्य मानता है. उसके अनुसार, तिब्बत को मैकमोहन रेखा का निर्धारण करने वाले 1914 के शिमला समझौते पर हस्ताक्षर करने का अधिकार नहीं था.
सीमा विवाद को सुलझाने के प्रयास
- सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 1988 में प्रधानमंत्री राजीव गाँधी चीन गये थे जिसके पश्चात् एक संयुक्त कार्य समूह (Joint Working Group – JWG) की स्थापना हुई थी.
- 1993 में इस समूह को सहायता पहुँचाने के लिए भारत-चीन कूटनीतिज्ञ एवं सैन्य अधिकारी विशेषज्ञ समूह (Expert Group of Diplomatic and Military Officers) गठित हुआ. साथ ही एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए जिसके अनुसार, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाये रखने का निर्णय हुआ.
- 1996 में आपसी भरोसा बढ़ाने के लिए (Agreement on Confidence Building Measures – CBMs) एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए.
- 2003 में भारत और चीन का एक-एक विशेष प्रतिनिधि नियुक्त हुआ जिसे सीमा विवाद का राजनैतिक समाधान निकालने का दायित्व दिया गया.
- 2009 तक इन विशेष प्रतिनिधियों के बीच 17 बार वार्ता हो चुकी है, परन्तु समाधान की ओर कोई विशेष कदम नहीं उठाया गया है. पिछले दिनों वार्ता के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परामर्शी अजित डोभाल को विशेष दूत के रूप में नियुक्त किया गया है.